प्रयागराजः संगम नगरी में 144 साल बाद महाकुंभ शुरू होने में बस कुछ दिन बचे हैं. ऐसे में संन्यासी अखाड़ों की तरफ से छावनी प्रवेश शोभायात्रा निकालने का सिलसिला लगातार चल रहा है. इसी कड़ी में सोमवार को तपोनिधि श्री पंचायती आनंद अखाड़ा की तरफ से छावनी प्रवेश शोभा यात्रा निकाली गयी.
यात्रा में राजसी अंदाज राजाओं महाराजाओं की तरह रथ पर सवार होकर सनातन धर्म के वैभव की अनूठी छंटा बिखेरते हुए आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी श्री बालका नंद गिरी महाराज के नेतृत्व में अखाड़े ने महाकुम्भ मेला क्षेत्र में प्रवेश किया.
बाघम्बरी गद्दी इलाके से तपोनिधि श्री पंचायती आनंद अखाड़े की छावनी प्रवेश शोभायात्रा शुरू हुई. हाथी-घोड़ों और ऊंट के साथ रथों पर सवार होकर अखाड़े के साधु,संत,महंत, महामंडलेश्वर और आचार्य महामंडलेश्वर छावनी प्रवेश यात्रा के जरिये मेला क्षेत्र में पहुंचे हैं. साधुओं के छावनी प्रवेश शोभा यात्रा पर श्रद्धालुओं ने पुष्प वर्षा कर स्वागत सम्मान कर रहे थे. सड़कों की दोनों पटरियों पर खड़े भक्त हाथ जोड़कर संतों से आशीष लिया. तम्बुओं के शहर में बनी छावनी में ही अब अखाड़े के साधु संत सन्यासी रहकर जप तप पूजा पाठ और हठयोग करेंगे.
छावनी प्रवेश शोभा यात्रा के दौरान तपोनिधि श्री पंचायती आनंद अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी बालकानंद गिरि जी महाराज ने बताया कि सदियों से अखाड़े धर्म की रक्षा करने के साथ ही राजसी अंदाज में महाकुंभ मेला क्षेत्र में प्रवेश करते आ रहे हैं. अखाड़ों द्वारा आज भी उसी परम्परा का पालन किया जाता है. जिसके लिए अखाड़े के नागाओं संन्यासियों और संतो को शास्त्र के साथ ही अस्त्र-शस्त्र चलाने का भी प्रशिक्षण दिया जाता है. जिससे कि कभी भी जरूरत पड़ने पर अखाड़े से जुड़े साधु-संत, संन्यासी नागाओं की सेना धर्म की रक्षा के लिए युद्ध लड़ सकें. मेला क्षेत्र में प्रवेश करने के दौरान साधु संत अपने भक्तों को कल्याण के लिए आशीष देते हुए मेला क्षेत्र में पहुंचे हैं.