लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार प्रदेश के इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर करने पर पूरा फोकस कर रही है. पिछले सात साल में प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में ऐसे कई काम हुए हैं, जिनसे विकास को तेज रफ्तार मिली है. सड़क या रेल कनेक्टिविटी, अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों की स्थापना हो या फिर स्मार्ट सिटी और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर करना हो, हर क्षेत्र पर सरकार ने काम पर ध्यान दिया है. इसका नतीजा ये है कि लोगों के जीवन स्तर में भी सुधार हुआ है. नए साल में विभिन्न क्षेत्रों में विकास और सुधार के लिए नए प्रोजेक्ट्स और योजनाएं सरकार तैयार कर रही है. ये योजनाएं हर क्षेत्र से संबंधित हैं. इससे प्रदेश के विकास को पंख लगेंगे और जनता को तमाम बेहतरीन सुविधाएं भी मिलेंगी.
हाईवे और एक्सप्रेस वे नेटवर्क का विस्तार: उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय और राज्य मार्गों का तेजी से सुधार हो रहा है और विस्तार भी हो रहा है. पूर्वी और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए कई एक्सप्रेस वे और हाईवे सरकार बना चुकी है और कई नए एक्सप्रेसवेज और अन्य सड़कों और हाईवेज का निर्माण कार्य जारी है. अभी तक देश में सबसे ज्यादा एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश में बन चुके हैं. कुल 13 एक्सप्रेस वे वाला राज्य उत्तर प्रदेश बनेगा. इनमें से छह एक्सप्रेसवे वर्तमान में शुरू भी हो गए हैं. इसके अलावा अन्य पर काम जारी है. एक्सप्रेसवे के अलावा प्रदेश में वर्तमान में आगरा लखनऊ ईवे से पूर्वांचल ईवे तक लिंक एक्सप्रेसवे (61.60 किमी), गंगा एक्सप्रेसवे से आगरा एक्सप्रेसवे वाया फर्रुखाबाद लिंक एक्सप्रेसवे (93 किलोमीटर), बलिया लिंक ईवे (131 किमी) के अलावा चित्रकूट लिंक ईवे (15.20 किमी), यमुना एक्सप्रेसवे से गंगा एक्सप्रेसवे वाया बुलंदशहर लिंक एक्सप्रेसवे (84 किलोमीटर) निर्माणाधीन या प्रस्तावित हैं.
ये एक्सप्रेसवे देगा प्रदेश के विकास को तेज रफ्तार: उत्तर प्रदेश के लोगों को एनएचएआई एक और बेहतरीन सौगात देने की तैयारी कर रहा है. एक्सप्रेसवे गोरखपुर से शुरू होकर हरियाणा के पानीपत तक जाएगा. पानीपत उत्तर भारत का एक प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र है और इसे इस एक्सप्रेसवे से जोड़ने से कई आर्थिक लाभ होंगे. इस एक्सप्रेसवे से गोरखपुर से हरिद्वार की दूरी सिर्फ आठ घंटे में पूरी हो सकेगी. ये प्रदेश के दो प्रमुख जिलों को नेपाल बॉर्डर से भी जोड़ेगा.
यूपी का सबसे लंबा एक्सप्रेसवे बनाने की तैयारीः राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के मुताबिक यह राजमार्ग 750 किलोमीटर लंबा होगा. इसे उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े एक्सप्रेसवे का दर्जा मिलेगा. गोरखपुर से शुरू होकर श्रावस्ती और बलरामपुर जैसे जिलों से होकर गुजरेगा. यूपी के 22 जिलों को इस एक्सप्रेस वे से जोड़ा जाएगा. सिद्धार्थनगर, बहराइच और शामली जैसे क्षेत्र काफी लाभान्वित होंगे.ये राजमार्ग पूर्वी उत्तर प्रदेश को पश्चिमी उत्तर प्रदेश से जोड़ने के लिए बेहद महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट होगा. इससे बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर सृजित होंगे और तेजी से व्यापार भी बढ़ेगा.
बनेंगे नए लिंक एक्सप्रेसवे, बेहद आसान होगा सफरः रोड कनेक्टिविटी को बेहतर करने के लिए योगी सरकार नए साल में गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे पर आवागमन का औपचारिक लोकार्पण करने की तैयारी में है. इस एक्सप्रेसवे से गोरखपुर क्षेत्र, पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के जरिए लखनऊ, आगरा और दिल्ली तक यातायात कॉरिडोर से जुड़ना बहुत आसान हो जाएगा. गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे गोरखपुर बाईपास एनएच- 27 जैतपुर के पास से शुरू होकर पूर्वांचल एक्सप्रेसवे पर आजमगढ़ के सालारपुर में खत्म होगा.91.35 किलोमीटर लंबे इस एक्सप्रेसवे की कुल लागत 7283.28 करोड़ रहै. इससे गोरखपुर, अम्बेडकरनगर, संतकबीरनगर और आजमगढ़ को बहुत फायदा मिलेगा. यूपी एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी के जिम्मेदारों के मुताबिक गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे का 98 फीसद निर्माण कार्य कंप्लीट हो चुका है. गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे से पूर्वांचल एक्सप्रेसवे होते हुए लोगों को गोरखपुर से लखनऊ पहुंचने में सिर्फ साढ़े तीन घंटे का वक्त लगेगा. इसकी कनेक्टिविटी से लोग दिल्ली से लेकर आगरा तक तेजी से अपने वाहन चला सकेंगे. इस लिंक एक्सप्रेसवे से गोरखपुर से लखनऊ का सफर सिर्फ साढ़े तीन घंटे में ही पूरा हो जाएगा. आवागमन की दृष्टि से यह एक्सप्रेसवे लोगों के लिए काफी मुफीद होगा.
रेलवे कनेक्टिविटी सुधार: रेल कनेक्टिविटी के लिहाज से भी उत्तर प्रदेश में तेजी से विकास हुआ है. बड़ी संख्या में अमृत भारत स्टेशन स्कीम के तहत स्टेशनों का कायाकल्प कराया जा रहा है. लखनऊ समेत प्रदेश के सैकड़ों स्टेशनों पर काम चल रहा है. थर्ड क्लास स्टेशन भी वर्ल्ड क्लास बनाए जा रहे हैं. सरकार स्टेशनों के कायाकल्प पर हजारों करोड़ रुपए खर्च कर रही है. लखनऊ का गोमती नगर रेलवे स्टेशन इसका साक्षात उदाहरण है. ऐसे स्टेशन को वर्ल्ड क्लास स्टेशन के रूप में विकसित किया जा रहा है. लखनऊ में कई नए सैटेलाइट रेलवे स्टेशनों का निर्माण कार्य जारी है. इनमें आलमनगर बनकर तैयार हो चुका है. उतरेटिया और ट्रांसपोर्ट नगर स्टेशन विकसित किए जा रहे हैं. मल्हौर, मानक नगर, ऐशबाग, बादशाह नगर और चारबाग रेलवे स्टेशन पर तेजी से काम चल रहा है. इन सभी स्टेशनों को यात्री सुविधा की दृष्टि से बेहतर किया जा रहा है.
हाईटेक हो रहे रेलवे के स्टेशनः उत्तर रेलवे में देश के किसी भी मंडल के सबसे ज्यादा रेलवे स्टेशन हैं. उत्तर प्रदेश में कुल 44 रेलवे स्टेशन हैं. इन रेलवे स्टेशनों का अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत तेजी से कायाकल्प कराया जा रहा है. इस साल जून माह तक यह सभी रेलवे स्टेशन हाइटेक हो जाएंगे. यहां पर यात्रियों को तमाम ऐसी सुविधाएं मिलेंगी, जो अब तक स्टेशनों पर नहीं मिलती थीं. उत्तर प्रदेश में अगर रेलवे स्टेशनों के रि डेवलपमेंट की बात की जाए, तो 56 ऐसे स्टेशनों को चिन्हित किया गया है, जहां पर अमृत भारत स्टेशन स्कीम के तहत काम किया जा रहा है. इन स्टेशनों में 44 रेलवे स्टेशन उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल के अंतर्गत तो 12 रेलवे स्टेशन पूर्वोत्तर रेलवे के अंतर्गत आते हैं. इन स्टेशनों के विकास पर बजट केंद्र सरकार की तरफ से रेलवे प्रशासन को मुहैया कराया गया है. इस साल जून माह से लेकर अगस्त माह तक इन स्टेशनों पर वर्ल्ड क्लास यात्री सुविधाएं दिखने लगेंगी.
इन सुविधाओं का विस्तार, होगा दशा में सुधार: रेलवे स्टेशनों के रि डेवलपमेंट के लिए बनी अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत देश भर में भारतीय रेल के 508 स्टेशनों का पुनर्विकास किया जा रहा है. स्टेशन की बिल्डिंग में सुधार, शहर के दोनों हिस्सों के साथ स्टेशन एकीकृत बनेंगे. स्टेशनों की सुन्दरता के लिए आकर्षक लाइटिंग लगेगी. अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत उत्तर रेलवे के वैसे तो 44 स्टेशनों को शामिल किया गया है. इनमें लखनऊ के भी स्टेशन शामिल हैं. 44 रेलवे स्टेशनों की सूची में लखनऊ के कायाकल्प पर 494 करोड रुपए खर्च किए जाने हैं. अन्य स्टेशनों में अमेठी, दर्शन नगर, बाराबंकी जंक्शन, भदोही, जौनपुर जंक्शन, शाहगंज जंक्शन, जंघई जंक्शन, उतरेटिया जंक्शन, प्रतापगढ़ जंक्शन, प्रयाग, फूलपुर , रायबरेली जंक्शन, सुल्तानपुर जंक्शन, उन्नाव जंक्शन और काशी स्टेशन शामिल हैं.
12 स्टेशन किए जा रहे वर्ल्ड क्लास सुविधाओं से लैसः पूर्वोत्तर रेलवे के 12 स्टेशन इस अमृत भारत स्टेशन स्कीम में शामिल हैं. पूर्वोत्तर रेलवे पर वाराणसी मण्डल के वाराणसी सिटी, बनारस, बलिया, आजमगढ़ और देवरिया सदर, लखनऊ मण्डल के बस्ती, बादशाह नगर, ऐशबाग और सीतापुर और इज्जतनगर मण्डल के लालकुआं, कासगंज और फर्रुखाबाद स्टेशन शामिल हैं. अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत इन स्टेशनों पर यात्री सुविधाओं में सुधार किया जा रहा है.
किन स्टेशनों पर खर्च किए जा रहे कितने करोड़: लखनऊ 494 करोड़. अमेठी 22.7, करोड़ दर्शन नगर 21.9 करोड़, बाराबंकी जंक्शन 33.4 करोड़, भदोही 22.5 करोड़, जौनपुर जंक्शन 38.7 करोड़, शाहगंज जंक्शन 20.3 करोड़, जंघई जंक्शन 28.4 करोड़, उतरेटिया जंक्शन 36 करोड़, प्रतापगढ़ जंक्शन 32.6 करोड़, प्रयाग जंक्शन 38.6 करोड़, फूलपुर 21.4 करोड़, रायबरेली जंक्शन 40.7 करोड़, सुल्तानपुर जंक्शन 36.9 करोड़, उन्नाव जंक्शन 29.8 करोड़, काशी 350 करोड़. गौरीगंज 11.42 करोड़, मोहनलालगंज 7.24 करोड़, बछरावां 6.74 करोड़, मडियाहूं 11.74 करोड़, चिलबिला 12.39 करोड़, बादशाहपुर 8.94 करोड़, लोहता 14.20 करोड़, व्यासनगर 9.99 करोड़, शिवपुर 11.50 करोड़, अकबरपुर जंक्शन 16.02 करोड़, बाबतपुर 10.22 करोड़, जाफराबाद 9.39 करोड़, निहालगढ़ 12.64 करोड़, हैदरगढ़ 22.5 करोड़, जौनपुर सिटी 24.34 करोड़, श्री कृष्णा नगर 26.43 करोड़, भरत कुंड 174 करोड़, लंभुआ 11.89 करोड़, कानपुर पुल वाया किनारा 30.71 करोड़, मानक नगर जंक्शन 16.52 करोड़, मल्हौर जंक्शन 43.73 करोड़, फाफामऊ जंक्शन 28.37 करोड़, ऊंचाहार 19.16 करोड़, कुंडा हरनामगंज 10.59 करोड़, लालगंज 10.65 करोड़, तकिया 10.59 करोड़, अयोध्या 240.89 करोड़.
कई और वंदे भारत ट्रेन यूपी में चलेंगीः उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल के मंडल रेल प्रबंधक सचिंद्र मोहन शर्मा का कहना है कि उत्तर रेलवे के सभी स्टेशनों पर तेजी से काम चल रहा है. यात्री सुविधा की दृष्टि स्टेशनों को बेहतर किया जा रहा है. प्रदेश के ज्यादातर स्टेशन अब मॉडर्न हो रहे हैं. रेलवे ने लाइनों के दोहरीकरण का खूब काम किया है. इसके चलते अब ट्रेनों की रफ्तार बढ़ी है. अब ज्यादातर रेल लाइनें ब्रॉड गेज हो गई हैं. पिछले दो माह में हमने 140 किलोमीटर की डबलिंग की है. उत्तर प्रदेश को सात वंदे भारत ट्रेनें दी हैं. ये सेमी हाई स्पीड ट्रेन हैं. 130 किलोमीटर की रफ्तार से भाग रही हैं. भविष्य में कई और वंदे भारत ट्रेन उत्तर प्रदेश को मिलनी हैं. इससे यात्रियों को आवागमन में काफी सहूलियत होगी. उनके समय की काफी बचत होगी. वंदे भारत की मेंटेनेंस के लिए अब शेड तैयार किए जा रहे हैं. लखनऊ में कई शेड बनाए जा रहे हैं, जिससे यहीं पर वंदे भारत मेंटेन हो सके. इसके अलावा बनारस में भी वंदे भारत के मेंटेनेंस के लिए शेड बनाए जा रहे हैं. जब मेंटेनेंस के शेड बन जाएंगे तो यहीं पर इनकी मेंटेनेंस हो सकेगी. लखनऊ के मल्हौर स्टेशन पर भी यह शेड बनाए जा रहे हैं.
अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों का विकास : उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार के कार्यकाल में कनेक्टिविटी को लेकर काफी काम हो रहा है. सड़क और रेल के साथ ही अब एयर कनेक्टिविटी में प्रदेश का दायरा काफी बढ़ता जा रहा है. उत्तर प्रदेश देश का ऐसा एकमात्र राज्य है जहां पर पांच अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे संचालित होंगे. लखनऊ के साथ ही वाराणसी में इंटरनेशनल फ्लाइट्स का संचालन जारी है. कुशीनगर में तीसरा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा चालू हुआ. अयोध्या में महृषि वाल्मीकि अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा भी 30 दिसंबर 2023 को चालू हो गया. यहां से हवाई सेवाएं शुरू हो चुकी हैं. मौजूदा समय में उत्तर प्रदेश में लखनऊ, वाराणसी, आगरा, गोरखपुर, कानपुर, प्रयागराज के साथ गाजियाबाद के हिण्डन एयरपोर्ट से हवाई सेवाएं संचालित हो रही हैं.
नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट से शुरू होगी उड़ानः इस साल नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट से उड़ान का शुभारंभ होगा. ये उड़ान 17 अप्रैल से शुरू होंगी. पहले दिन 30 उड़ानें शेड्यूल हैं. इसमें 25 घरेलू फ्लाइट्स हैं. तीन अंतरराष्ट्रीय उड़ानें और दो कार्गो फ्लाइट्स शामिल की गईं हैं. पहली अंतरराष्ट्रीय उड़ानें ज़्यूरिख, सिंगापुर और दुबई के लिए मिलेंगी. घरेलू उड़ानों में मुंबई, कोलकाता, बेंगलुरु, लखनऊ देहरादून शामिल होंगे.
बड़े पैमाने पर सोलर पार्क्स और फार्म की स्थापनाः यूपी में सौर ऊर्जा के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए बड़े पैमाने पर सोलर पार्क्स और फार्म की स्थापना हो रही है. राज्य के गांवों और शहरी क्षेत्रों में सोलर पैनल लगाने के लिए योजनाएं शुरू की जा सकती हैं. इसे लेकर सरकार लगातार प्रयासरत है. उत्तर प्रदेश में 3840 मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता के नौ सोलर पार्कों की स्थापना हो रही है. इनमें से 528 मेगावाट बिजली का उत्पादन भी होने लगा है. ये सोलर पार्क बुंदेलखंड और अन्य क्षेत्रों में स्थापित किए जा रहे हैं. इनमें से 435 मेगावाट के तीन सोलर पार्क कमीशंड भी हो चुके हैं, जबकि शेष छह सोलर पार्कों को जल्द कमीशंड किया जाएगा. बुंदेलखंड के चार शहरों झांसी, ललितपुर, चित्रकूट और जालौन के अलावा कानपुर नगर, कानपुर देहात, मिर्जापुर और प्रयागराज में सोलर पार्क बनाए गए हैं.
सौर ऊर्जा से 22 हजार मेगावाट विद्युत उत्पादन का लक्ष्यः उत्तर प्रदेश सरकार का सोलर पार्क के अलावा रूफटॉप सोलर लगाना, सोलर नगरों की स्थापना, कृषि फॉर्म को सौर ऊर्जा से बिजली देना, पंप स्टोरेज और जैव ऊर्जा के उत्पादन पर फोकस है. पीएम सूर्य घर योजना के तहत प्रदेश में 25 लाख घरों की छतों पर सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित हो रहे हैं. लोगों को 300 यूनिट मुफ्त बिजली मिलेगी. सौर ऊर्जा से 22 हजार मेगावाट विद्युत उत्पादन का लक्ष्य है. इसमें छह हजार मेगावाट निजी व सरकारी भवनों में सोलर रूफटॉप संयंत्रों की स्थापना करके की जाएगी. 14 हज़ार मेगावाट क्षमता की सौर उपयोगिता परियोजनाएं व सोलर पार्क स्थापित किए जाएंगे. घरों में 375 मेगावाट क्षमता के रूफटॉप सोलर सिस्टम स्थापित किए जा चुके हैं.
लगातार उत्तर प्रदेश में सौर ऊर्जा के इस्तेमाल पर फोकस किया जा रहा है. प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री का सोलर योजना पर पूरा फोकस है. हमारा लक्ष्य है कि हर घर में सौर ऊर्जा स्थापित हो जिससे नेचुरल एनर्जी का इस्तेमाल बढ़ सके. प्रदेश में कई स्थानों पर सोलर पार्क बनाए जा रहे हैं. अयोध्या को सोलर सिटी के रूप में विकसित जा रहा है. लखनऊ में भी सोलर पर तेजी से काम चल रहा है. सभी सरकारी दफ्तरों को सोलर पैनल से लैस किया जा रहा है. मऊ में भी सोलर पार्क की स्थापना की गई है. इसके अलावा रूफटॉप योजना के तहत लोग अपने घरों पर खूब सोलर लगवा रहे हैं. सरकार की सब्सिडी का भी फायदा उन्हें मिल रहा है. आने वाले समय में सोलर एनर्जी का लोग भरपूर इस्तेमाल करेंगे. 2025 में सोलर एनर्जी का उपयोग लोग ज्यादा करें इसको बढ़ावा देना है. इससे बिजली की खपत कम होगी और उत्तर प्रदेश का फायदा होगा. -अनुपम शुक्ला, डायरेक्टर-यूपीनेडा
स्मार्ट सिटी परियोजनाओं पर हो रहा कामः केंद्र की स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत उत्तर प्रदेश के 10 शहर इसी साल मार्च तक 100 फीसदी स्मार्ट हो जाएंगे. हाल ही में विधान परिषद में इस संबंध में पूछे गए सवाल पर नगर विकास मंत्री एके शर्मा ने जानकारी दी थी कि इन शहरों को स्मार्ट बनाने के लिए केंद्र से मिले 9290 करोड़ रुपये में से 8457 करोड़ खर्च किए जा चुके हैं. 833 करोड़ के 37 कार्य निर्माणाधीन हैं. ये कार्य मार्च-2025 तक पूरे हो जाएंगे. राज्य की स्मार्ट सिटी योजना के तहत अयोध्या, फिरोजाबाद, गोरखपुर, गाजियाबाद, मेरठ, बीबी मथुरा-वृंदावन और शाहजहांपुर को चुना गया है. राज्य स्मार्ट सिटी योजना के कार्य वर्ष 2025-26 में पूरे हो जाएंगे. केंद्र की स्मार्ट सिटी योजना के तहत आगरा, अलीगढ़, बरेली, झांसी, कानपुर, लखनऊ, मुरादाबाद, प्रयागराज, सहारनपुर और वाराणसी को चुना गया था.
डिजिटल कनेक्टिविटी को बढ़ावा दे रही सरकारः गांव-गांव तक डिजिटल सेवाएं पहुंचाने के लिए भारतनेट और फोर जी परियोजनाओं को प्रायोरिटी पर रखा गया है. भारतनेट योजना के तहत प्रदेश की ग्राम पंचायतों में लगे उपकरणों की देखभाल और इस्तेमाल के लिए ग्राम विकास अधिकारियों और सचिवों को जिम्मेदारी सौंपी गई है. राज्य में टेलीकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर को उद्योग के रूप में मान्यता देते हुए इसे औद्योगिक दरों पर महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश और हरियाणा की तरह बिजली शुल्क देने की सिफारिश की गई है. डिजिटल कनेक्टिविटी के क्षेत्र में आगरा, वाराणसी और नोएडा जैसे जिलों ने अभी तक बेहतर प्रदर्शन किया है, जबकि लखनऊ और सोनभद्र जैसे जिलों में सुधार की प्रक्रिया तेज की जाएगी.
ई ऑफिस से एक क्लिक पर सामने होगी फाइलः सरकारी दफ्तर में फाइलों का बोझ कम हो इसके लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने ई ऑफिस पर फोकस किया है. 1 जनवरी से इसे लागू भी कर दिया गया है. अब तमाम सरकारी विभागों में ई ऑफिस पर काम चल रहा है. ज्यादातर ऑफिस हरहाल में फरवरी माह तक ई ऑफिस के रूप में तब्दील हो जाएंगे. इससे सीधे तौर पर फायदा यह मिलेगा कि एक क्लिक पर ही कौन सी फाइल कहां पर है इसकी जानकारी उपलब्ध हो जाएगी. जिससे समय की काफी बचत होगी. तीन दिन से ज्यादा कोई भी बाबू अपने पास फाइल लटकाकर नहीं रख सकेगा. ई ऑफिस से भ्रष्टाचार पर भी रोक लगेगी.
महिला सुरक्षा के लिए उठाए गए महत्वपूर्णः उत्तर प्रदेश में महिला सुरक्षा के लिए कई योजनाएं हैं. इनमें महिला हेल्पलाइन 181 प्रमुख है. यह टोल फ़्री हेल्पलाइन नंबर 24 घंटे उपलब्ध है. इस पर कॉल करके महिलाओं को पुलिस, मेडिकल, कानूनी सलाह, काउंसलिंग जैसी सुविधाएं मिलती हैं.
जरूरत पर वुमेन पावर लाइन 1090 से मिलती है सहायताः यह महिला हेल्पलाइ 24 घंटे उपलब्ध है. इस पर कॉल करके महिलाएं किसी भी तरह के दुर्व्यवहार की शिकायत कर सकती हैं. इस सेवा का महिलाएं भरपूर फायदा उठा रही हैं. तत्काल पुलिस सहायता के लिए पहुंचती है.
मिशन शक्ति दे रही महिलाओं को शक्तिः उत्तर प्रदेश सरकार की प्रमुख योजनाओं में मिशन शक्ति शामिल है. इस योजना का उद्देश्य महिलाओं की सुरक्षा, और सशक्तिकरण को बढ़ावा देना है. महिलाओं को जागरूक करने के लिए सरकारी और गैर सरकारी संगठन महिलाओं को सुरक्षा और उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करने के लिए अभियान चलाते हैं.
प्रदेश के इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
विशेषज्ञ दिवाकर त्रिपाठी का कहना है कि लखनऊ में जो मास्टर प्लानिंग का कॉन्सेप्ट था कि अगर अर्बन प्लानिंग कर दी जाए और उस पर मोबिलिटी बढ़ जाए तो उससे इकोनामिक डेवलपमेंट होगा. हमने 2014 में प्रोजेक्ट किया था कि जहां-जहां पर जाम लगता है एक फंडामेंटल प्रिंसिपल है कि अगर किसी चौराहे से 10000 व्हीकल प्रति घंटे से अधिक निकलते हैं तो फ्लाई ओवर बनाना ही पड़ेगा. इसके बाद हमारी मांग पर सरकार की मंशा के मुताबिक शहर में कई फ्लाईओवर तैयार हुए. एयरपोर्ट के पास नादरगंज तिराहा, सरोजिनी नगर चौराहा उसके बाद बंथरा. इनके ऊपर तीन फ्लाई ओवर मंत्री नितिन गडकरी से मांगे थे. जब सर्वे हुआ तब कंसलटेंट ने रिपोर्ट दी कि तीनों के बदले में एक लखनऊ कानपुर एक्सप्रेसवे दे दिया जाए. यह सिर्फ लखनऊ कानपुर का हाईवे नहीं है. यह गुजरात के पोरबंदर और गांधीनगर से चलता है और सिलचर तक जाता है. यह ईस्ट वेस्ट कॉरिडोर है स्वर्णिम चतुर्भुज का. इस पर एक्सप्रेसवे की जरूरत है. इसके बाद लखनऊ कानपुर एक्सप्रेसवे मिल गया. उसी समय रेल मंत्रालय ने गति शक्ति मिशन बनाया. उसमें जितनी रेलवे क्रॉसिंग बंद होती थीं और खुलती थीं उन सब पर हमने फ्लावर मांग लिया उसे फंडिंग हो गई तो इस तरह से इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार हुआ.
रिंग रोड से निकल रहे हाईवे दे रहे प्रदेश के विकास को गतिः विशेषज्ञ दिवाकर त्रिपाठी का कहना है कि लखनऊ में शहर के फैलाव की आवश्यकता को देखते हुए नेशनल हाईवे और 4 लेन करने की मांग की थी. आउटर रिंग रोड की मांग की थी. जिसमें बताया कि आउटर रिंग रोड पूर्वांचल एक्सप्रेसवे, लखनऊ कानपुर एक्सप्रेसवे, आगरा एक्सप्रेसवे यानी तीन एक्सप्रेसवे को जोड़ती है. सुल्तानपुर हाईवे, रायबरेली हाईवे, कानपुर हाईवे और मोहान एक्सप्रेसवे को जोड़ती है, इसलिए यह काफी महत्वपूर्ण है. इसके बाद आउटर रिंग रोड घोषित हो गई, लेकिन अभी होल्ड पर है पर अब इस योजना पर भी जल्द काम होगा. आउटर मोबिलिटी के लिए रिंग रोड है, जिसमें आठ हाईवेज निकल रहे हैं जो उत्तर प्रदेश के विकास को गति दे रहे हैं. लखनऊ कानपुर एक्सप्रेसवे बनने के बाद क्रांति आ जाएगी, यह तय है. अयोध्या में राम मंदिर बन गया है जो विश्व पटल पर है, इसलिए श्रद्धालुओं की संख्या बहुत अधिक है इसे ध्यान में रखते हुए एयर फुटफाल बढ़ा. लखनऊ में एयर पैसेंजर्स की रेट ऑफ ग्रोथ देश में हाईएस्ट रही. इसके बाद भारत सरकार ने तीन शहर सिलेक्ट किए. इनमें चेन्नई, लखनऊ और गुवाहाटी शामिल थे यहां पर एयर टर्मिनल का विस्तार स्वीकृत किया. अब जो लेटेस्ट ग्रोथ है इन तीन साल में फुटफाल फिर डबल हो गया है. एक करोड़ के पार कर गया, लगातार बढ़ रहा है. इसके बाद अब हमने एयरोसिटी बनाने के लिए सजेस्ट किया है. इससे काफी फायदा मिलेगा. रिलिजियस स्थल आने वाले श्रद्धालु वहां से सीधे चले जाएंगे और देश-विदेश के लोग भी इसी एयरोसिटी से आवागमन कर सकेंगे. एयरोसिटी में ही इंटरनेशनल इवेंट आयोजित किए जाएंगे जिससे इंटरनल कुछ भी बाधित नहीं हो. देश-विदेश से लोग इस एयरोसिटी में आएंगे और इवेंट पूरा होने के बाद वहीं से निकल जाएंगे. यह एयरो सिटी मुख्यमंत्री के स्तर पर विचारणीय है, लेकिन यह भविष्य में जरूर होगा.
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