कानपुर: शहर के जो चमड़ा कारोबारी हैं, अभी उनके द्वारा तैयार चमड़ा उत्पाद ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, अमेरिका समेत कई अन्य देशों तक ही पहुंचता है, अब आने वाले समय में कारोबारी उज्बेकिस्तान में भी अपने उत्पादों की बिक्री कर सकेंगे. उज्बेकिस्तान सरकार ने शहर के चमड़ा कारोबारियों को अपना उद्यम स्थापित करने के लिए आमंत्रित किया है. इस संबंध में कारोबारियों से सीधा संवाद करने उज्बेकिस्तान की चर्म एसोसिएशन के अध्यक्ष बोबोएव फखरिद्दीन शहर पहुंचे.
चर्म निर्यात परिषद (सीएलई) के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष मुख्तारुल अमीन ने बताया कि उज्बेकिस्तान में उद्यम स्थापित करने के लिए न्योता मिला है. यह एक सराहनीय पहल है. इससे शहर के चमड़ा उत्पादों के निर्यात को तो बढ़ावा मिलेगा ही, साथ में द्विपक्षीय व्यापार की जो संभावनाएं तलाशी जा रही थीं, वह प्रबल होंगी.
वहीं, सीएलई के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष आरके जालान ने उज्बेकिस्तान से आए प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों को बताया कि देश के शीर्ष प्रमुख निर्यातक मूल रूप से शहर के ही हैं. कानपुर, चमड़ा उत्पादों, सैडलरी, हारनेस आदि का बड़ा हब है. कानपुर लेदर क्लस्टर में हुई संवाद बैठक में उद्यमी अशरफ रिजवान, ताज आलम, सीएलई की वरिष्ठ अधिकारी पल्लवी दुबे आदि मौजूद रहीं.
आठ हजार करोड़ रुपये का है सालाना कारोबार
सीएलई के वरिष्ठ अफसरों ने बताया कि कानपुर में चमड़ा का सालाना कारोबार आठ हजार करोड़ रुपये का है. हालांकि, अब इसे बढ़ाकर 10 हजार करोड़ रुपये से अधिक करने की योजना है. वहीं, अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत का सीधा मुकाबला चीन से है जिसे लेकर चमड़ा कारोबारियों का कहना है, कि कोरोना की स्थिति ठीक होने के बाद से चमड़ा कारोबार लगातार वृद्धि कर रहा है.
एक नजर
- निर्यात और घरेलू कारोबार मिलाकर हर वर्ष कुल 15 हजार करोड़ का
- अंतरराष्ट्रीय़ बाजार में भारत का जूता कारोबार छह बिलियन डालर का, नया लक्ष्य दस बिलियन डालर
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