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कानपुर: बंदी की कगार पर कानपुर का चमड़ा उद्योग

पूरे विश्व भर में विख्यात कानपुर का चमड़ा उद्योग इन दिनों बंदी की कगार पर है. चमड़ा उद्यमियों का कहना है कि सरकार व्यापारियों की तरफ ध्यान नहीं दे रही है. देखिए कानपुर से ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट...

बंदी की कगार पर कानपुर का चमड़ा उद्योग
बंदी की कगार पर कानपुर का चमड़ा उद्योग
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Published : Oct 24, 2020, 2:28 PM IST

कानपुर: विश्व भर में लेदर इंडस्ट्रीज के नाम से प्रसिद्ध कानपुर के हालात इन दिनों बद से बद्दतर हो चुके हैं. चमड़ा कारोबार कानपुर में मात्र 25 प्रतिशत ही रह गया है, जिसका सीधा फायदा बांग्लादेश समेत कई पड़ोसी देश उठा रहे हैं. कई कारणों से परेशान कानपुर के लेदर इंडस्ट्रीज में बांग्लादेश ने सेंध लगा दी है, जिसकी वजह से 2100 करोड़ रुपये के विदेशी ऑर्डर कानपुर से चले गए हैं.

कानपुर लेदर इंडस्ट्री पर स्पेशल रिपोर्ट

सॉफ्ट लेदर का उत्पादन

गौरतलब है कि सॉफ्ट लेदर यानी बकरे और बकरी की खाल का सबसे बड़ा सप्लायर भारत और बांग्लादेश ही था, लेकिन अब भारत को छोड़कर अन्य कई पड़ोसी देश सॉफ्ट लेदर ग्राहकों को देने में सफल हो रहे हैं.

टेनरी संचालकों का आरोप

कानपुर के कई बड़े ऐसे टेनरी मालिकों ने जल निगम के अधिकारियों और सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा है कि गंगा सफाई के नाम कानपुर में टेनरी बंद करवा दी गईं .अब सिर्फ पच्चीस प्रतिशत ही टेनरी चलाने के आदेश हैं, जिससे प्रतिदिन टेनरी के हालात खराब होते जा रहे हैं. टेनरी एसोसिएशन ने सरकार से मांग की है कि जल्द ही वो कोई हल निकालें नहीं तो कानपुर का नाम लेदर इंडस्ट्रीज से गायब हो जाएगा.

kanpur news
विश्व भर में लेदर इंडस्ट्रीज के नाम से प्रसिद्ध कानपुर के हालात इन दिनों बद से बद्दतर हो चुके हैं. चमड़ा कारोबार कानपुर में मात्र 25 प्रतिशत ही रह गया है.
दस हजार करोड़ का इंडस्ट्री को नुकसान
कानपुर की लेदर इंडस्ट्री डोमेस्टिक रोड एक्सपोर्ट बिजनेस मिलाकर लगभग पन्द्रह हजार करोड़ का व्यापार करती थी. आपको बता दें कि अब हालात यह हो गई है कि यह व्यापार सिमटकर पचपन सौ करोड़ रुपये का बचा है. साफ तौर पर इस इंडस्ट्री को दस हजार करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है, जिसकी वजह से कानपुर का लेदर उद्योग पूरी तरीके से बैठ गया है.
आधी रह गई है लेदर इंडस्ट्री
कानपुर महानगर में 402 लेदर इंडस्ट्री थी. वहीं बात की जाए तो अब केवल 256 लेदर इंडस्ट्री रह गईं हैं, जिनमें से लगभग 35 इंडस्ट्री में काम बंद है. यानी कि अब सिर्फ लेदर उद्योग पचास प्रतिशत तक सीमित रह गया है, अब सिर्फ आधी फैक्ट्रियां ही चल रही हैं, बाकी आधे लोगों ने यह व्यापार ही बंद कर दिया है.
kanpur news
सॉफ्ट लेदर यानी बकरे और बकरी की खाल का सबसे बड़ा सप्लायर भारत और बांग्लादेश ही था, लेकिन अब भारत को छोड़कर अन्य कई पड़ोसी देश सॉफ्ट लेदर ग्राहकों को देने में सफल हो रहे हैं.
पड़ोसी मुल्कों को हुआ फायदा
कानपुर लेदर उद्योग का काम प्रभावित होने के चलते भारत के पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश, पाकिस्तान, अर्जेंटीना , इन सब को बहुत फायदा हुआ है. भारत को मिलने वाले सारे ऑर्डर अब यही देश पूरा कर रहे हैं. पहले पूरे विश्व भर में भारत के सॉफ्ट लेदर का बोलबाला था. वहीं कानपुर महानगर में लेदर इंडस्ट्री प्रभावित होने की वजह से ऑर्डर की सप्लाई न कर पाने से भारत को मिलने वाले सारे ऑर्डर सब कैंसिल हो गए हैं. वहीं इसका सीधा फायदा पड़ोसी देशों को हुआ है.
पच्चीस प्रतिशत प्रोडक्शन करने की है बाध्यता
कानपुर महानगर में संचालित हो रही सभी लेदर फैक्ट्रियों में सिर्फ पच्चीस प्रतिशत ही प्रोडक्शन कर सकते हैं. पहले यह प्रोडक्शन पचास प्रतिशत के लिए था, लेकिन जब से कोरोना वायरस के बाद से इंडस्ट्रीज खुली हैं तो केवल पच्चीस प्रतिशत ही कार्य करने की अनुमति दी गई है. ऐसे में व्यापारियों का कहना है कि जब काम एक चौथाई हो जाएगा, तो हम लोगों को बाहर का ऑर्डर कैसे मिलेगा, जब हम लोग समय से आर्डर बनाकर दे ही नहीं पाएंगे तो जो आर्डर हमारे पास मिले भी हुए हैं, वह भी हमसे छिन जाएगा.


वन डिस्टिक वन प्रोडक्ट में कानपुर का चमड़ा उद्योग

कानपुर का चमड़ा उद्योग वन डिस्टिक वन प्रोडक्ट के तहत आता है, उसके बावजूद चमड़ा उद्योग के हालत बद से बदतर हो जाना कहीं ना कहीं शासन प्रशासन को भी सवाल खड़े करता है. आखिर कमी कहां रह गई, जिस कारण कानपुर का चमड़ा उद्योग सिमट कर रह गया. यहां से होने वाला व्यापार एक चौथाई पर सिमट कर रह गया है.

सरकार नहीं दे रही ध्यान

चमड़ा उद्यमियों का कहना है कि सरकार व्यापारियों की तरफ ध्यान नहीं दे रही है. वह रोज नई-नई पाबंदियां लगा रही है, जिस कारण व्यापार करना मुश्किल हो गया है. वही हम लोगों को कोई दूसरा व्यापार भी नहीं आता है कि हम लोग यह व्यापार छोड़कर कोई दूसरा व्यापार करें. ऐसे में हमारे सामने रोजगार की भी बड़ी समस्या है.

सिर्फ 15 दिन काम करने की अनुमति


कोविड-19 के चलते फैक्ट्रियों को पन्द्रह दिन खोलने की अनुमति है. ऐसे में व्यापारियों का कहना है कि उन्हें पन्द्रह दिन कार्य कराने में बहुत समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. क्योंकि मजदूर सिर्फ पन्द्रह दिन काम नहीं करेगा और अगर काम करेगा तो उसको पैसे पूरे महीने भर के लिए देने पड़ेंगे, क्योंकि पन्द्रह दिन के लिए कोई लेबर काम करने नहीं आएगा. कोरोना पीरियड से भी लेबरों की कमी हो गई है, जो लेबर बाहर चला गया वह आने से कतरा रहा है. वहीं अब जब पन्द्रह दिन का काम है तो ऐसे में हम लोगों को पन्द्रह दिन मजदूरों को फ्री में बैठा कर उसका भी पैसा देना पड़ रहा है.

समय से नहीं मिलती है तनख्वाह

लेदर इंडस्ट्री से जुड़े मजदूरों का कहना है कि उद्योग प्रभावित होने से उनकी तनख्वाह पर भी अब सीधा असर पड़ता है. कई-कई महीने की तनख्वाह उनको नहीं मिलती है. वहीं काम ना होने की वजह से भी कई कई महीनों ने घर में बैठना पड़ता है. उनके पास रोजगार का कोई और साधन भी नहीं है. कई बार तो परिवार चलाने में भी समस्याएं आती हैं.

वेंटिलेटर पर कानपुर चमड़ा उद्योग

चमड़ा व्यापारियों का कहना है कि कानपुर का चमड़ा उद्योग वेंटिलेटर पर है, अगर इसको सही समय पर इलाज नहीं मिला तो यह ज्यादा दिन नहीं चलेगा. व्यापारियों का कहना है कि जिस प्रकार से सरकार द्वारा रोज नई-नई पाबंदियां लगाई जा रही हैं और उन्हें कार्य करने नहीं दिया जा रहा है. ऐसे में व्यापार पूरी तरीके से बंद हो गया है.

कानपुर: विश्व भर में लेदर इंडस्ट्रीज के नाम से प्रसिद्ध कानपुर के हालात इन दिनों बद से बद्दतर हो चुके हैं. चमड़ा कारोबार कानपुर में मात्र 25 प्रतिशत ही रह गया है, जिसका सीधा फायदा बांग्लादेश समेत कई पड़ोसी देश उठा रहे हैं. कई कारणों से परेशान कानपुर के लेदर इंडस्ट्रीज में बांग्लादेश ने सेंध लगा दी है, जिसकी वजह से 2100 करोड़ रुपये के विदेशी ऑर्डर कानपुर से चले गए हैं.

कानपुर लेदर इंडस्ट्री पर स्पेशल रिपोर्ट

सॉफ्ट लेदर का उत्पादन

गौरतलब है कि सॉफ्ट लेदर यानी बकरे और बकरी की खाल का सबसे बड़ा सप्लायर भारत और बांग्लादेश ही था, लेकिन अब भारत को छोड़कर अन्य कई पड़ोसी देश सॉफ्ट लेदर ग्राहकों को देने में सफल हो रहे हैं.

टेनरी संचालकों का आरोप

कानपुर के कई बड़े ऐसे टेनरी मालिकों ने जल निगम के अधिकारियों और सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा है कि गंगा सफाई के नाम कानपुर में टेनरी बंद करवा दी गईं .अब सिर्फ पच्चीस प्रतिशत ही टेनरी चलाने के आदेश हैं, जिससे प्रतिदिन टेनरी के हालात खराब होते जा रहे हैं. टेनरी एसोसिएशन ने सरकार से मांग की है कि जल्द ही वो कोई हल निकालें नहीं तो कानपुर का नाम लेदर इंडस्ट्रीज से गायब हो जाएगा.

kanpur news
विश्व भर में लेदर इंडस्ट्रीज के नाम से प्रसिद्ध कानपुर के हालात इन दिनों बद से बद्दतर हो चुके हैं. चमड़ा कारोबार कानपुर में मात्र 25 प्रतिशत ही रह गया है.
दस हजार करोड़ का इंडस्ट्री को नुकसान
कानपुर की लेदर इंडस्ट्री डोमेस्टिक रोड एक्सपोर्ट बिजनेस मिलाकर लगभग पन्द्रह हजार करोड़ का व्यापार करती थी. आपको बता दें कि अब हालात यह हो गई है कि यह व्यापार सिमटकर पचपन सौ करोड़ रुपये का बचा है. साफ तौर पर इस इंडस्ट्री को दस हजार करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है, जिसकी वजह से कानपुर का लेदर उद्योग पूरी तरीके से बैठ गया है.
आधी रह गई है लेदर इंडस्ट्री
कानपुर महानगर में 402 लेदर इंडस्ट्री थी. वहीं बात की जाए तो अब केवल 256 लेदर इंडस्ट्री रह गईं हैं, जिनमें से लगभग 35 इंडस्ट्री में काम बंद है. यानी कि अब सिर्फ लेदर उद्योग पचास प्रतिशत तक सीमित रह गया है, अब सिर्फ आधी फैक्ट्रियां ही चल रही हैं, बाकी आधे लोगों ने यह व्यापार ही बंद कर दिया है.
kanpur news
सॉफ्ट लेदर यानी बकरे और बकरी की खाल का सबसे बड़ा सप्लायर भारत और बांग्लादेश ही था, लेकिन अब भारत को छोड़कर अन्य कई पड़ोसी देश सॉफ्ट लेदर ग्राहकों को देने में सफल हो रहे हैं.
पड़ोसी मुल्कों को हुआ फायदा
कानपुर लेदर उद्योग का काम प्रभावित होने के चलते भारत के पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश, पाकिस्तान, अर्जेंटीना , इन सब को बहुत फायदा हुआ है. भारत को मिलने वाले सारे ऑर्डर अब यही देश पूरा कर रहे हैं. पहले पूरे विश्व भर में भारत के सॉफ्ट लेदर का बोलबाला था. वहीं कानपुर महानगर में लेदर इंडस्ट्री प्रभावित होने की वजह से ऑर्डर की सप्लाई न कर पाने से भारत को मिलने वाले सारे ऑर्डर सब कैंसिल हो गए हैं. वहीं इसका सीधा फायदा पड़ोसी देशों को हुआ है.
पच्चीस प्रतिशत प्रोडक्शन करने की है बाध्यता
कानपुर महानगर में संचालित हो रही सभी लेदर फैक्ट्रियों में सिर्फ पच्चीस प्रतिशत ही प्रोडक्शन कर सकते हैं. पहले यह प्रोडक्शन पचास प्रतिशत के लिए था, लेकिन जब से कोरोना वायरस के बाद से इंडस्ट्रीज खुली हैं तो केवल पच्चीस प्रतिशत ही कार्य करने की अनुमति दी गई है. ऐसे में व्यापारियों का कहना है कि जब काम एक चौथाई हो जाएगा, तो हम लोगों को बाहर का ऑर्डर कैसे मिलेगा, जब हम लोग समय से आर्डर बनाकर दे ही नहीं पाएंगे तो जो आर्डर हमारे पास मिले भी हुए हैं, वह भी हमसे छिन जाएगा.


वन डिस्टिक वन प्रोडक्ट में कानपुर का चमड़ा उद्योग

कानपुर का चमड़ा उद्योग वन डिस्टिक वन प्रोडक्ट के तहत आता है, उसके बावजूद चमड़ा उद्योग के हालत बद से बदतर हो जाना कहीं ना कहीं शासन प्रशासन को भी सवाल खड़े करता है. आखिर कमी कहां रह गई, जिस कारण कानपुर का चमड़ा उद्योग सिमट कर रह गया. यहां से होने वाला व्यापार एक चौथाई पर सिमट कर रह गया है.

सरकार नहीं दे रही ध्यान

चमड़ा उद्यमियों का कहना है कि सरकार व्यापारियों की तरफ ध्यान नहीं दे रही है. वह रोज नई-नई पाबंदियां लगा रही है, जिस कारण व्यापार करना मुश्किल हो गया है. वही हम लोगों को कोई दूसरा व्यापार भी नहीं आता है कि हम लोग यह व्यापार छोड़कर कोई दूसरा व्यापार करें. ऐसे में हमारे सामने रोजगार की भी बड़ी समस्या है.

सिर्फ 15 दिन काम करने की अनुमति


कोविड-19 के चलते फैक्ट्रियों को पन्द्रह दिन खोलने की अनुमति है. ऐसे में व्यापारियों का कहना है कि उन्हें पन्द्रह दिन कार्य कराने में बहुत समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. क्योंकि मजदूर सिर्फ पन्द्रह दिन काम नहीं करेगा और अगर काम करेगा तो उसको पैसे पूरे महीने भर के लिए देने पड़ेंगे, क्योंकि पन्द्रह दिन के लिए कोई लेबर काम करने नहीं आएगा. कोरोना पीरियड से भी लेबरों की कमी हो गई है, जो लेबर बाहर चला गया वह आने से कतरा रहा है. वहीं अब जब पन्द्रह दिन का काम है तो ऐसे में हम लोगों को पन्द्रह दिन मजदूरों को फ्री में बैठा कर उसका भी पैसा देना पड़ रहा है.

समय से नहीं मिलती है तनख्वाह

लेदर इंडस्ट्री से जुड़े मजदूरों का कहना है कि उद्योग प्रभावित होने से उनकी तनख्वाह पर भी अब सीधा असर पड़ता है. कई-कई महीने की तनख्वाह उनको नहीं मिलती है. वहीं काम ना होने की वजह से भी कई कई महीनों ने घर में बैठना पड़ता है. उनके पास रोजगार का कोई और साधन भी नहीं है. कई बार तो परिवार चलाने में भी समस्याएं आती हैं.

वेंटिलेटर पर कानपुर चमड़ा उद्योग

चमड़ा व्यापारियों का कहना है कि कानपुर का चमड़ा उद्योग वेंटिलेटर पर है, अगर इसको सही समय पर इलाज नहीं मिला तो यह ज्यादा दिन नहीं चलेगा. व्यापारियों का कहना है कि जिस प्रकार से सरकार द्वारा रोज नई-नई पाबंदियां लगाई जा रही हैं और उन्हें कार्य करने नहीं दिया जा रहा है. ऐसे में व्यापार पूरी तरीके से बंद हो गया है.

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