कानपुरः जिले में स्थित जेके कैंसर संस्थान में एमडी रेडियोथेरेपी के अंतिम वर्ष के जूनियर रेजीडेंट के नाम पर प्रधानमंत्री कार्यालय में पास करवाने के नाम पर घूस मांगने की शिकायत की गई है. शिकायत में परीक्षा पास करवाने के नाम पर एक लाख रुपये मांगने का आरोप संस्थान के निदेशक डॉ. एसएन प्रसाद पर लगाया गया है. यह मामला अगस्त माह का है, जब सिंतबर में परीक्षा होने वाली थी. इस मामले में लास्ट ईयर के स्टूडेंट्स ने उनके नाम का गलत प्रयोग करने की बात कहते हुए कहा है कि जिसने भी यह हरकत की है, उसके खिलाफ कोर्ट जाएंगे.
बेबुनियाद है सभी आरोप
डॉ. एसएन प्रसाद कहना है कि पीएमओ में शिकायत की गई है, लेकिन उनके ऊपर लगे आरोप को उन्होंने बेबुनियाद हैं. उन्होंने कहा कि प्रदेश शासन ने रिपोर्ट मांगी थी तो कमेटी से जांच करा रिपोर्ट भेज दी है. उन्होंने बताया कि दो छात्रों ने शिकायत पत्र पर खुद के हस्ताक्षर न होने की भी बात कही है.
यह है मामला
संस्थान के रेडियोथैरेपी विभाग में पीजी की पढ़ाई होती है और यहां हर साल 4 जूनियर रेजीडेंट एमडी की पढ़ाई के लिए प्रवेश लेते हैं. इस वर्ष से शासन ने 4 से बढ़ाकर एमडी की 6 सीट कर दी है. अंतिम वर्ष के 2 जूनियर रेजिडेंट की ओर से अगस्त में पीएमओ से शिकायत की गई कि अंतिम वर्ष की परीक्षा होने वाली है और इस परीक्षा को पास कराने के के लिए प्रो. एसएन प्रसाद, विभाग के अन्य टीचर्स सामूहिक रूप से योजना बनाकर एक 1 लाख रुपये ले रहे हैं. शिकायत पत्र में आरोप लगाया गया है कि कहा जा रहा है कि पैसा परीक्षक को दिया जाएगा. पैसा देने पर ही परीक्षा में पास हो पाओगे, नहीं तो फेल कर दिए जाओगे.
बदनाम करने के लिए लग रहे हैं आरोप
प्रो डॉ. एसएन प्रसाद ने कहा कि 1 साल मुझे ज्वाइन किए हो गया है. तब से लेकर यहां पर ऐसे मामले बनाए जा रहे हैं ताकि संस्थान, सरकार और मेरी छवि धूमिल हो सके. उन्होंने कहा कि कुछ आरजक तत्व साजिश करके मुझे बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस मामले को 3 सदस्यीय कमेटी बनाई गई है. कमेटी में शामिल डॉ. रिचा अग्रवाल, डॉ. नलनी और डॉ. अधोपंत ने इस प्रकरण की जांच की है. कमेटी के समक्ष दोनों जूनियर रेजिडेंट आए थे और उन्होंने पत्र में अपने हस्ताक्षर न होने की बात की है. जबकि दो ने ई-मेल के जरिए अपनी बात रखी है.
जेके कैंसर हॉस्पिटल के निदेशक पर घूस मांगने का आरोप, पीएमओ में शिकायत - dadiotherapy department in jk cancer hospital
कानपुर के जेके कैंसर संस्थान के निदेशक पर परीक्षा पास करवाने के नाम पर घूस मांगने का आरोप लगाते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय में शिकायत की गई है. जिन स्टूडेंट्स के नाम शिकायत की गई है, उन्होंने कहा कि उनके नाम पर किसी और ने शिकायत की है. वहीं, संस्थान के निदेश ने आरोपों को निराधार बताया है.
कानपुरः जिले में स्थित जेके कैंसर संस्थान में एमडी रेडियोथेरेपी के अंतिम वर्ष के जूनियर रेजीडेंट के नाम पर प्रधानमंत्री कार्यालय में पास करवाने के नाम पर घूस मांगने की शिकायत की गई है. शिकायत में परीक्षा पास करवाने के नाम पर एक लाख रुपये मांगने का आरोप संस्थान के निदेशक डॉ. एसएन प्रसाद पर लगाया गया है. यह मामला अगस्त माह का है, जब सिंतबर में परीक्षा होने वाली थी. इस मामले में लास्ट ईयर के स्टूडेंट्स ने उनके नाम का गलत प्रयोग करने की बात कहते हुए कहा है कि जिसने भी यह हरकत की है, उसके खिलाफ कोर्ट जाएंगे.
बेबुनियाद है सभी आरोप
डॉ. एसएन प्रसाद कहना है कि पीएमओ में शिकायत की गई है, लेकिन उनके ऊपर लगे आरोप को उन्होंने बेबुनियाद हैं. उन्होंने कहा कि प्रदेश शासन ने रिपोर्ट मांगी थी तो कमेटी से जांच करा रिपोर्ट भेज दी है. उन्होंने बताया कि दो छात्रों ने शिकायत पत्र पर खुद के हस्ताक्षर न होने की भी बात कही है.
यह है मामला
संस्थान के रेडियोथैरेपी विभाग में पीजी की पढ़ाई होती है और यहां हर साल 4 जूनियर रेजीडेंट एमडी की पढ़ाई के लिए प्रवेश लेते हैं. इस वर्ष से शासन ने 4 से बढ़ाकर एमडी की 6 सीट कर दी है. अंतिम वर्ष के 2 जूनियर रेजिडेंट की ओर से अगस्त में पीएमओ से शिकायत की गई कि अंतिम वर्ष की परीक्षा होने वाली है और इस परीक्षा को पास कराने के के लिए प्रो. एसएन प्रसाद, विभाग के अन्य टीचर्स सामूहिक रूप से योजना बनाकर एक 1 लाख रुपये ले रहे हैं. शिकायत पत्र में आरोप लगाया गया है कि कहा जा रहा है कि पैसा परीक्षक को दिया जाएगा. पैसा देने पर ही परीक्षा में पास हो पाओगे, नहीं तो फेल कर दिए जाओगे.
बदनाम करने के लिए लग रहे हैं आरोप
प्रो डॉ. एसएन प्रसाद ने कहा कि 1 साल मुझे ज्वाइन किए हो गया है. तब से लेकर यहां पर ऐसे मामले बनाए जा रहे हैं ताकि संस्थान, सरकार और मेरी छवि धूमिल हो सके. उन्होंने कहा कि कुछ आरजक तत्व साजिश करके मुझे बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस मामले को 3 सदस्यीय कमेटी बनाई गई है. कमेटी में शामिल डॉ. रिचा अग्रवाल, डॉ. नलनी और डॉ. अधोपंत ने इस प्रकरण की जांच की है. कमेटी के समक्ष दोनों जूनियर रेजिडेंट आए थे और उन्होंने पत्र में अपने हस्ताक्षर न होने की बात की है. जबकि दो ने ई-मेल के जरिए अपनी बात रखी है.