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International Womens Day: हुनर के आगे संघर्ष नतमस्तक, ये महिलाएं खुद लिख रहीं सफलता की इबारत

औद्योगिक नगरी कानपुर (industrial city kanpur) में कई महिला उद्यमियों ने वो मुकाम हासिल कर लिया है. जिनके उत्पादों की मांग आज विदेशों में भी हो रही है. ईटीवी भारत से इन महिला उद्यमियों ने खास बातचीत की. आप भी पढ़िए इनके संघर्ष और सफलता की कहानी...

औद्योगिक नगरी कानपुर (
औद्योगिक नगरी कानपुर की महिला उद्यमियों ने ईटीवी भारत को बताया.
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Published : Mar 8, 2023, 6:10 PM IST

औद्योगिक नगरी कानपुर की महिला उद्यमियों ने ईटीवी भारत को बताया.

कानपुर: अगर आपके अंदर हुनर है तो निश्चित तौर पर एक दिन ऐसा आता है, जब संघर्ष आपके सामने नतमस्तक हो जाता है. जिनके पास हुनर होता है वह अपनी सफलता की इबारत भी खुद लिखते हैं. कानपुर की पहचान एक औद्योगिक नगरी के तौर पर है. यहां 3 महिला उद्यमी ऐसी हैं, जिन्होंने अपने जीवन में संघर्ष करते हुए अपनी एक अलग पहचान बनाई है. यहां किसी महिला उद्यमी ने 3 से 4 हजार रुपये की नौकरी की तो किसी ने उपहास सुना कि अरे यह काम चल जाएगा. 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है. इस मौके पर ईटीवी भारत ने शहर की 3 महिला उद्यमियों से बात कर उनके बारे में जानने की कोशिश की है.



तीन हजार रुपये की नौकरी करने के बाद आज 25 देशों जा रहे उत्पाद-
गुमटी नंबर.5 निवासी प्रेरणा वर्मा की पहचान शहर में लेदर कारोबारी के तौर पर है. कारोबारी प्रेरणा वर्मा ने बताया कि एक दौर था, जब प्रेरणा ने 3 से 4 हजार रुपये की नौकरी की थी. लेकिन उन्होंने मन में ठाना कि अब वह दूसरों को नौकरी देंगी. इसके लिए उन्होंने बिजनेस शुरू किया. यहां उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा. लेकिन मौजूदा समय में उनके पास खुद मल्टी स्टोरी बिल्डिंग वाली ऑफिस है. इसके साथ ही उनके ऑफिस में लेदर डोरी, बीड्स, बैग्स, फ्लावर्स आदि के उत्पाद बनाए जाते हैं. इन्हें वह 20 से 25 देशों में एक्सपोर्ट करती हैं. प्रेरणा वर्मा को वर्ष 2010 में राज्य पुरस्कार भी दिया गया. वहीं, 2015, 2016 और 2017 में उन्हें राष्ट्रीय स्तर का पुरस्कार भी मिल चुका है.


विदेशों में लोग पसंद किया जा रहा सुपरफूड-
उद्यमी संगीता सिंह ने बताया कि एक साल पहले अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर उन्होंने अपनी एक कंपनी बनाकर सुपरफूड उत्पाद को बाजार में उतारा था. यहां वह डर से बहुत नर्वस हो गई थी. उन्होंने बताया कि उन्हें डर था कि सफलता मिलेगी या नहीं. उनके पास जो आइडिया व कांसेप्ट थे. उसमें जिला उद्योग केंद्र के अफसरों की मदद से उन्होंने अपना व्यावसाय शुरू कर दिया था. संघर्ष के साथ संगीता के हुनर को आज ऐसी पहचान मिल गई है कि महज एक साल में ही उनके उत्पादों को लोग विदेशों में पसंद करने लगे हैं. कुछ दिनों पहले ही संगीता को राज्य सरकार ने ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट में शामिल होने के लिए आमंत्रित भी किया था. संगीता ने बताया कि वह अपने उत्पादों में ज्वार, बाजरा, रागी, मक्का का उपयोग करती हैं. संगीता सिंह को भी कई पुरस्कार मिल चुके हैं.


प्रिंटिंग का कारोबार-
शहर की प्रतिभावान महिला उद्यमियों में शामिल शारदा नगर निवासी उद्यमी मनीषा बाजपेई ने बताया कि करीब 25 साल पहले प्रिंटिंग का कारोबार शुरू किया था. जब लोग ठीक से यह नहीं जानते थे कि इसका क्या उपयोग है. उन्होंने बताया कि लोगों के मन में यह बसा था कि केवल पुरुष ही इस काम को कर सकते हैं. लेकिन ग्राफिकल वर्क में मास्टर बनने के बाद मनीषा बाजपेई ने लोगों के इस मिथक को तोड़ दिया. वह अपने हुनर से इस व्यावसाय को विस्तार दे चुकी हैं. कई वर्ष तक तो मनीषा बाजपेई से लोगों ने पूछा कि क्या काम चल रहा है. उस समय मनीषा ने लोगों को बताया कि उनका काम जारी है. मौजूदा समय में मनीषा इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन व कानपुर प्रेस एसोसिएशन की वरिष्ठ सदस्य हैं.

यह भी पढ़ें-Kanpur News: होली से पहले कानपुरवासियों को केडीए का तोहफा, घर बैठे खरीदें कॉमर्शियल प्लॉट

औद्योगिक नगरी कानपुर की महिला उद्यमियों ने ईटीवी भारत को बताया.

कानपुर: अगर आपके अंदर हुनर है तो निश्चित तौर पर एक दिन ऐसा आता है, जब संघर्ष आपके सामने नतमस्तक हो जाता है. जिनके पास हुनर होता है वह अपनी सफलता की इबारत भी खुद लिखते हैं. कानपुर की पहचान एक औद्योगिक नगरी के तौर पर है. यहां 3 महिला उद्यमी ऐसी हैं, जिन्होंने अपने जीवन में संघर्ष करते हुए अपनी एक अलग पहचान बनाई है. यहां किसी महिला उद्यमी ने 3 से 4 हजार रुपये की नौकरी की तो किसी ने उपहास सुना कि अरे यह काम चल जाएगा. 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है. इस मौके पर ईटीवी भारत ने शहर की 3 महिला उद्यमियों से बात कर उनके बारे में जानने की कोशिश की है.



तीन हजार रुपये की नौकरी करने के बाद आज 25 देशों जा रहे उत्पाद-
गुमटी नंबर.5 निवासी प्रेरणा वर्मा की पहचान शहर में लेदर कारोबारी के तौर पर है. कारोबारी प्रेरणा वर्मा ने बताया कि एक दौर था, जब प्रेरणा ने 3 से 4 हजार रुपये की नौकरी की थी. लेकिन उन्होंने मन में ठाना कि अब वह दूसरों को नौकरी देंगी. इसके लिए उन्होंने बिजनेस शुरू किया. यहां उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा. लेकिन मौजूदा समय में उनके पास खुद मल्टी स्टोरी बिल्डिंग वाली ऑफिस है. इसके साथ ही उनके ऑफिस में लेदर डोरी, बीड्स, बैग्स, फ्लावर्स आदि के उत्पाद बनाए जाते हैं. इन्हें वह 20 से 25 देशों में एक्सपोर्ट करती हैं. प्रेरणा वर्मा को वर्ष 2010 में राज्य पुरस्कार भी दिया गया. वहीं, 2015, 2016 और 2017 में उन्हें राष्ट्रीय स्तर का पुरस्कार भी मिल चुका है.


विदेशों में लोग पसंद किया जा रहा सुपरफूड-
उद्यमी संगीता सिंह ने बताया कि एक साल पहले अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर उन्होंने अपनी एक कंपनी बनाकर सुपरफूड उत्पाद को बाजार में उतारा था. यहां वह डर से बहुत नर्वस हो गई थी. उन्होंने बताया कि उन्हें डर था कि सफलता मिलेगी या नहीं. उनके पास जो आइडिया व कांसेप्ट थे. उसमें जिला उद्योग केंद्र के अफसरों की मदद से उन्होंने अपना व्यावसाय शुरू कर दिया था. संघर्ष के साथ संगीता के हुनर को आज ऐसी पहचान मिल गई है कि महज एक साल में ही उनके उत्पादों को लोग विदेशों में पसंद करने लगे हैं. कुछ दिनों पहले ही संगीता को राज्य सरकार ने ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट में शामिल होने के लिए आमंत्रित भी किया था. संगीता ने बताया कि वह अपने उत्पादों में ज्वार, बाजरा, रागी, मक्का का उपयोग करती हैं. संगीता सिंह को भी कई पुरस्कार मिल चुके हैं.


प्रिंटिंग का कारोबार-
शहर की प्रतिभावान महिला उद्यमियों में शामिल शारदा नगर निवासी उद्यमी मनीषा बाजपेई ने बताया कि करीब 25 साल पहले प्रिंटिंग का कारोबार शुरू किया था. जब लोग ठीक से यह नहीं जानते थे कि इसका क्या उपयोग है. उन्होंने बताया कि लोगों के मन में यह बसा था कि केवल पुरुष ही इस काम को कर सकते हैं. लेकिन ग्राफिकल वर्क में मास्टर बनने के बाद मनीषा बाजपेई ने लोगों के इस मिथक को तोड़ दिया. वह अपने हुनर से इस व्यावसाय को विस्तार दे चुकी हैं. कई वर्ष तक तो मनीषा बाजपेई से लोगों ने पूछा कि क्या काम चल रहा है. उस समय मनीषा ने लोगों को बताया कि उनका काम जारी है. मौजूदा समय में मनीषा इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन व कानपुर प्रेस एसोसिएशन की वरिष्ठ सदस्य हैं.

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