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IIT कानपुर की टीम पहुंची रामनगर, कहा- भूकंप आया तो तराई के लिए होगा विनाशकारी

आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिक और शोध टीम ने रामनगर में भूकंप प्रभावित क्षेत्र का अध्ययन किया. वहीं वैज्ञानिक ने कहा कि अगर यहां भूकंप आया तो तराई के लिए विनाशकारी साबित होगा.

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भूकंप का अध्ययन.
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Published : Feb 12, 2020, 2:08 AM IST

रामनगर: भारत सरकार के निर्देश पर आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिक और शोध टीम ने रामनगर में भूकंप प्रभावित क्षेत्र का अध्ययन किया. आईआईटी टीम द्वारा सैटेलाइट के जरिए भूकंप से प्रभावित रामनगर के गैबूआ नंदपुर गांव को चिन्हित किया गया था. अध्ययन और शोध के लिए खुदाई के दौरान वैज्ञानिकों ने कहा कि अगर यहां भूकंप आया तो तराई के लिए विनाशकारी साबित होगा.

भूकंप का अध्ययन.

8 फरवरी से आईआईटी के वैज्ञानिक तराई पश्चिमी वन प्रभाग के जंगल की तलहटी में जेसीबी से खुदाई करा रहे हैं. प्रोफेसर जावेद मलिक ने बताया कि खुदाई में भूकंप की वजह से जमीन की सतह टूटी मिली है. ग्राउंड पेनीट्रेंटिंक रडार से जमीन के दस मीटर नीचे तक की स्थिति का अध्ययन किया जाएगा.

ये भी पढ़े: उत्तराखंड में राजस्व चोरी का बड़ा खुलासा, आबकारी गोदाम से पकड़ी गई 348 पेटी अवैध शराब

इसके बाद आरटीके जीपीएस से सतह की मोमेंट का पता लगाया जाएगा. जिससे यह पता चलेगा कि भूकंप के कंपन से किस तरह हलचल हुई और कितनी हुई है. इसके बाद खोदे गए लैब में जांच के दौरान पता चलेगा की क्षेत्र में भूकंप से जो जमीन की सतह टूटी है वह कितनी पुरानी है.

यदि भूकंप आया तो यह और कितना असरदार होगा. जावेद ने यह भी कहा कि अगर भूकंप आया तो दाबका नदी आने वाले समय में कोसी नदी से मिल जाएगी. क्योंकि जो भूकंप का दबाव होगा वह वेस्ट की तरफ होगा.

रामनगर: भारत सरकार के निर्देश पर आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिक और शोध टीम ने रामनगर में भूकंप प्रभावित क्षेत्र का अध्ययन किया. आईआईटी टीम द्वारा सैटेलाइट के जरिए भूकंप से प्रभावित रामनगर के गैबूआ नंदपुर गांव को चिन्हित किया गया था. अध्ययन और शोध के लिए खुदाई के दौरान वैज्ञानिकों ने कहा कि अगर यहां भूकंप आया तो तराई के लिए विनाशकारी साबित होगा.

भूकंप का अध्ययन.

8 फरवरी से आईआईटी के वैज्ञानिक तराई पश्चिमी वन प्रभाग के जंगल की तलहटी में जेसीबी से खुदाई करा रहे हैं. प्रोफेसर जावेद मलिक ने बताया कि खुदाई में भूकंप की वजह से जमीन की सतह टूटी मिली है. ग्राउंड पेनीट्रेंटिंक रडार से जमीन के दस मीटर नीचे तक की स्थिति का अध्ययन किया जाएगा.

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इसके बाद आरटीके जीपीएस से सतह की मोमेंट का पता लगाया जाएगा. जिससे यह पता चलेगा कि भूकंप के कंपन से किस तरह हलचल हुई और कितनी हुई है. इसके बाद खोदे गए लैब में जांच के दौरान पता चलेगा की क्षेत्र में भूकंप से जो जमीन की सतह टूटी है वह कितनी पुरानी है.

यदि भूकंप आया तो यह और कितना असरदार होगा. जावेद ने यह भी कहा कि अगर भूकंप आया तो दाबका नदी आने वाले समय में कोसी नदी से मिल जाएगी. क्योंकि जो भूकंप का दबाव होगा वह वेस्ट की तरफ होगा.

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