कानपुर: अभी तक मास्क का उपयोग लोग केवल प्रदूषण से बचने के लिए करते थे, हालांकि अब आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञों ने नवाचार से एक ऐसा मास्क तैयार कर दिया है जो फेफड़ों की बीमारी से ग्रसित मरीजों के लिए संजीवनी साबित होगा. यह मास्क जब मरीज पहनेंगे तो मास्क से ही उनके फेफड़ों की रियल टाइम रिपोर्ट सामने आ सकेगी. इस तकनीक को विकसित करने में (मास्क में उपयोग की जाने वाली) आईआईटी कानपुर (IIT Kanpur) के विशेषज्ञों की आईआईटी खड़गपुर और आईआईआईटी रायपुर के विशेषज्ञों ने मदद की है.
रियल टाइम रिपोर्ट को मरीज के पास बैठे-बैठे ही सोशल मीडिया प्लेटफार्म की मदद से डॉक्टर तक भी भेजा जा सकेगा. इस पूरे मामले पर आईआईटी के कार्यवाहक निदेशक प्रो.एस गणेश ने बताया कि इस मास्क की तकनीक को बनाने में अत्यधिक संवेदनशील ध्वनि सेंसर का उपयोग किया गया है. इसे और मुंह और नाक में लगाया जाएगा. सांस की आवाज इंटेलीजेंट कॉर्डेड व साऊंड कार्ड डिवाइस तक पहुंचती है. इसमें एक वाई-फाई मॉड्यूल भी लगा है.
साथ ही प्रोसेसिंग इकाई है, इनबिल्ट मेमोरी और माइक्रोप्रोसेसर है जो लगातार रिपोर्ट तैयार करेगा. जो भी ऑडियो डाटा रिकार्ड होगा, वह हमेशा के लिए सुरक्षित रहेगा. प्रो.गणेश ने बताया कि इस सिस्टम का नाम ए कांटीन्यूअस लंग हेल्थ मॉनीटरिंग सिस्टम रखा गया है. इसे विकसित करने के बाद इलेक्ट्रानिक्सक एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की ओर से वित्तीय सहायता भी दी गई है. साथ ही इसका पेटेंट भी मिल गया है. यह सिस्टम बहुत कम कीमत वाला होगा. अब हम, उस कंपनी की तलाश करेंगे जो इस नई तकनीक वाले मास्क का उत्पादन कर सके.
आईआईटी कानपुर में अभी तक निदेशक रहे प्रो.अभय करंदीकर को अब सरकार ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय का सचिव बना दिया है. उन्होंने आईआईटी कानपुर में निदेशक के पद पर पांच सालों तक काम किया. अब, आईआईटी कानपुर में नए निदेशक के आने की उम्मीदें बढ़ गई हैं.
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