कानपुर: दिल्ली में जिस तरह लगातार वायु प्रदूषण का ग्राफ बढ़ रहा है, उससे सभी जिम्मेदारों के होश उड़ गए. पिछले हफ्ते तो सरकार को प्रदूषण के चलते दो दिनों तक स्कूल तक बंद करने पड़ गए. अब जिम्मेदार वायु प्रदूषण कम करने के लिए रोज एक नया उपाय ढूंढ रहे हैं. ऐसे में ही कदम बढ़ाते हुए अब दिल्ली सरकार ने आईआईटी कानपुर में सम्पर्क किया है. सोमवार सुबह ही दिल्ली मुख्यमंत्री कार्यालय से कुछ लोगों ने आईआईटी के वरिष्ठ प्रोफेसर मनीन्द्र अग्रवाल से सम्पर्क साधा. प्रो. मनीन्द्र ने बताया कि दिल्ली सरकार चाहती है कि दिल्ली में कृत्रिम बारिश कराई जाये. प्रो. मनीन्द्र ने कहा कि जब सरकार की ओर से इस सम्बंध में कोई प्रस्ताव मिलेगा तब आगे की कार्रवाई करेंगे.
सेसना एयरक्राफ्ट है मददगार: प्रो. मनीन्द्र ने बताया कि आईआईटी कानपुर ने कृत्रिम बारिश के लिए अमेरिका से सेसना एयरक्राफ्ट कई सालों पहले मंगा लिया था. आईआईटी कानपुर ने कृत्रिम बारिश कराने के लिए पूरी तरह से तैयार है. कुछ माह पहले आईआईटी कानपुर में इसका सफल परीक्षण भी किया जा चुका है. अब कहीं पर भी सेसना एयरक्राफ्ट के संचालन को लेकर नगर विमानन महानिदेशलय (डीजीसीए) से अनुमति भी मिल चुकी है. प्रो. मनीन्द्र ने कहा कि वह कृत्रिम बारिश के लिए आईआईटी कानपुर के एक्सपर्ट्स से भी बात करेंगे.
एक सप्ताह तक मिलेगी राहत: आईआईटी कानपुर के वरिष्ठ प्रो. मनीन्द्र ने बताया कि अगर कृत्रिम बारिश कराई जाती है, तो करीब एक हफ्ते तक दिल्ली में प्रदूषण से राहत मिल सकती है. एक अनुमान के मुताबिक एक बार कृत्रिम बारिश कराने में लाखों रूपये भी खर्च होंगे.
मेट्रो निर्माण स्थलों पर उड़ रही धूल, 52 लाख का लगा जुर्मानाः पूरे देश में जहां दिल्ली के प्रदूषण ने सभी को चौंका कर रख दिया है. वहीं पिछले कुछ दिनों से कानपुर में भी वायु गुणता सूचकांक का ग्राफ मानक से कई गुणा ऊपर जा रहा है. ऐसे में जब जिम्मेदार अफसरों ने शहर का सर्वे किया, तो सामने आया कि शहर में मेट्रो निर्माण स्थलों पर जो काम हो रहा है उससे बहुत अधिक वायु प्रदूषण बढ़ रहा है. दो माह की रिपोर्ट के आधार पर अब क्षेत्रीय अधिकारी उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कानपुर मेट्रो पर 52 लाख रुपये का जुर्माना ठोंक दिया है. मुख्यालय को इस मामले की जानकारी दी गई है और जल्द से जल्द जुर्माना जमा करने की भी बात कही जा रही है.
भूमिगत व एलिवेटेड स्टेशनों पर उड़ती दिखी धूलः क्षेत्रीय अधिकारी यूपीपीसीबी अमित मिश्रा ने बताया कि जब जिला स्तरीय निगरानी समिति के सदस्यों संग शहर में मेट्रो के भूमिगत व एलिवेटेड स्टेशनों को देखा गया, तो सभी जगह धूल ही धूल दिखी. प्रदूषण पर रोकथाम के लिए न तो स्प्रिंकलर मशीन थी, न ही जाल लगाए गए थे. बुद्धनगर व नौबस्ता मेट्रो स्टेशन और बड़ा चौराहा, नयागंज, चुन्नीगंज तथा नवीन मार्केट मेट्रो स्टेशन पर तो धूल का गुबार इतना अधिक था कि अफसरों को कुछ देर में ही वहां से हटना पड़ गया. इसको लेकर यूपीएमआरसी को नोटिस भेजा गया है.