कानपुर: आईआईटी कानपुर की झोली में एक और बड़ी उपलब्धि शामिल हो गई. कुछ दिन पहले आधुनिक तकनीक वाली ब्रेल लर्निंग डिवाइस तैयार करने वाले आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर सिद्धार्थ पांडा व उनकी टीम ने अब एक ऐसी सेंसर बेस्ड स्ट्रिप (नॉन एंजाइमी इलेक्ट्रोकेमिकल सेंसिंग स्ट्रिप) को तैयार किया है, जिसके उपयोग से हमें एक मिनट के अंदर पता लग जाएगा कि किसी व्यक्ति को पीलिया है या नहीं.
यह स्ट्रिप छोटे बच्चों के लिए बहुत बड़ा वरदान साबित होगी. क्योंकि, इस स्ट्रिप में महज एक या दो बूंद खून का ही उपयोग करना होगा और उसके बाद परिणाम स्वरूप खून में मौजूद बिलीरुबिन (खून में उपस्थित कणिकाएं) की संख्या सामने आ जाएगी, जिससे चंद पलों में चिकित्सक यह जान लेंगे कि बच्चों या वयस्क में पीलिया है अथवा नहीं.
आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रो.अभय करंदीकर ने इस डिवाइस के तैयार होने पर बहुत अधिक खुशी जताई है. साथ ही दावा किया है कि दुनिया में यह पहली ऐसी डिवाइस है जिसमें मरीज के शरीर से अधिक खून नहीं निकालना पड़ेगा. उन्होंने कहा, मौजूदा समय में पीलिया की जांचों के लिए जो इलेक्ट्रोस्कोपिक इंस्ट्रूमेंट उपयोग में लाए जाते हैं, उनमें बहुत अधिक खून निकालना पड़ता है.
अप्रैल 2024 से बाजार में मिलेगी स्ट्रिप: आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रो.अभय करंदीकर ने बताया कि डिवाइस हर व्यक्ति को सहज तौर पर उपलब्ध हो सके, इसके लिए हमने हैदराबाद की फर्म सेंसा कोर मेडिकल इंस्ट्रूमेंटेशन प्राइवेट लिमिटेड संग करार किया है. हमें उम्मीद है, अप्रैल 2024 से यह स्ट्रिप बाजार में महज तीन से चार रुपये तक मिल जाएगी.
शुगर जांच मशीन की तरह ही डिवाइस काम करेगीः जिस तरह ब्लड शुगर की जांच करते हैं, ठीक उसी तर्ज पर यह डिवाइस काम करेगी. इसके साथ ही, आईआईटी कानपुर में जो गंगवाल स्कूल आफ मेडिकल साइंसेस तैयार हो रहा है. उसके अंतर्गत इस डिवाइस से पीलिया की जांच भी कराई जा सकेगी.
डिवाइस में हैं कई खूबियां: प्रो.सिद्धार्थ पांडा ने बताया कि आईआईटी कानपुर के नेशनल सेंटर फॉर फ्लेक्सिबल इलेक्ट्रानिक्स विभाग में तैयार इस सेंसर बेस्ड स्ट्रिप डिवाइस में कई खूबियां हैं. यह एक प्वाइंट आफ केयर तकनीक पर आधारित डिवाइस है. इसमें अद्वितीय पांच इलेक्ट्रोड वाला कॉन्फिगरेशन शामिल है, जो एक ही स्ट्रिप पर प्रत्यक्ष और कुल बिलीरुबिन का एक साथ पता लगाने की सुविधा प्रदान करता है. इसके साथ ही यह डिवाइस ट्राइमेटेलिक नैनोकंपोजिट आधारित है. जो नमूने में अन्य घटकों की उपस्थिति के बावजूद बिलीरुबिन का प्रभावी ढंग से पता लगाने में कारगर है.