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आठ मॉनिटरिंग स्टेशन बताएंगे कानपुर शहर की हवा कितनी दूषित? - प्रोफेसर एसएन त्रिपाठी

कानपुर में बढ़ते वायु प्रदूषण के कारणों को तलाशने के लिए आइआइटी के प्रोफेसर प्रशासनिक अफसरों संग कवायद करेंगे. दशा नाम से प्रोजेक्ट तैयार किया है. अभी शहर के तीन स्थानों पर यूपीपीसीबी की ओर से मानीटरिंग कराई जाती है.

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प्रोफेसर एसएन त्रिपाठी
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Published : Apr 14, 2022, 7:21 PM IST

कानपुर: जब बात वायु प्रदूषण की होती है तो देश के प्रमुख संवेदनशील शहरों में कानपुर का नाम जरूर शामिल रहता है. इसका एक अहम कारण है, वायु गुणवत्ता सूचकांक यानि एयर क्वालिटी इंडेक्स मानक से कई गुना अधिक होता है. हालांकि, यह वायु प्रदूषण बढ़ता क्यों हैं, इसके सटीक कारण क्या हैं, इसे लेकर अब कवायद होगी. शहर के आठ अलग-अलग स्थानों पर एयर क्वालिटी मॉनीटर स्टेशन बनेंगे.

आइआइटी कानपुर के प्रोफेसर एसएन त्रिपाठी ने इसका खाका खींचा है. प्रो.त्रिपाठी ने दशा नाम से प्रोजेक्ट तैयार किया है. इसके तहत इन स्टेशनों पर लगातार छह माह तक वायु प्रदूषण संबंधी आंकड़े जुटाए जाएंगे. फिर देखा जाएगा कि आखिर प्रदूषण की स्थिति बेहतर क्यों नहीं हो रही है. इस पूरे मामले पर मंडलायुक्त डॉ. राजशेखर ने जिलाधिकारी, केडीए वीसी, नगर आयुक्त, प्रभागीय वन अधिकारी, क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी समेत कई अन्य अफसरों की टीम गठित कर दी है. उन्होंने बताया कि इस मामले पर शहर से भाजपा सांसद सत्यदेव पचौरी का भी पत्र मिला था. हमारी कोशिश होगी, कि शहर में वायु प्रदूषण की मात्रा को नियंत्रित किया जा सके.

शहर में बढ़ते वायु प्रदूषण के ये हैं मुख्य कारण:

- शहर की औद्योगिक इकाइयों की चिमनियों से निकलने वाला धुआं
- शहर में वाहनों से निकलने वाला धुआं
- जगह-जगह व खुले मैदानों पर जलने वाले कूड़ा से निकलने वाला धुआं
- निर्माण कार्यों के दौरान मानकों का पालन न करना
- अधिक संख्या में पौधारोपण न होना

यह भी पढ़ें:आईआईटी कानपुर में मेडिकल स्कूल के लिए बंसल फाउंडेशन करेगी योगदान

शहर में हमेशा मानक से अधिक रहता एयर क्वालिटी इंडेक्स: शहर में हमेशा ही एयर क्वालिटी इंडेक्स की मात्रा मानक से अधिक रहती है. उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों को देखें तो पिछले माह दादा नगर में मात्रा 324 माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यूब दर्ज हुई. इसी तरह रामादेवी में 373 माइक्रोग्राम प्रतिमीटर क्यूब और पनकी साइट नं.1 में 180 माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यूब रही थी. वहीं, बात अगर मानकों की करें तो नियमानुसार शहर का वायु गुणवत्ता सूचकांक 60 माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यूब होना चाहिए.

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कानपुर: जब बात वायु प्रदूषण की होती है तो देश के प्रमुख संवेदनशील शहरों में कानपुर का नाम जरूर शामिल रहता है. इसका एक अहम कारण है, वायु गुणवत्ता सूचकांक यानि एयर क्वालिटी इंडेक्स मानक से कई गुना अधिक होता है. हालांकि, यह वायु प्रदूषण बढ़ता क्यों हैं, इसके सटीक कारण क्या हैं, इसे लेकर अब कवायद होगी. शहर के आठ अलग-अलग स्थानों पर एयर क्वालिटी मॉनीटर स्टेशन बनेंगे.

आइआइटी कानपुर के प्रोफेसर एसएन त्रिपाठी ने इसका खाका खींचा है. प्रो.त्रिपाठी ने दशा नाम से प्रोजेक्ट तैयार किया है. इसके तहत इन स्टेशनों पर लगातार छह माह तक वायु प्रदूषण संबंधी आंकड़े जुटाए जाएंगे. फिर देखा जाएगा कि आखिर प्रदूषण की स्थिति बेहतर क्यों नहीं हो रही है. इस पूरे मामले पर मंडलायुक्त डॉ. राजशेखर ने जिलाधिकारी, केडीए वीसी, नगर आयुक्त, प्रभागीय वन अधिकारी, क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी समेत कई अन्य अफसरों की टीम गठित कर दी है. उन्होंने बताया कि इस मामले पर शहर से भाजपा सांसद सत्यदेव पचौरी का भी पत्र मिला था. हमारी कोशिश होगी, कि शहर में वायु प्रदूषण की मात्रा को नियंत्रित किया जा सके.

शहर में बढ़ते वायु प्रदूषण के ये हैं मुख्य कारण:

- शहर की औद्योगिक इकाइयों की चिमनियों से निकलने वाला धुआं
- शहर में वाहनों से निकलने वाला धुआं
- जगह-जगह व खुले मैदानों पर जलने वाले कूड़ा से निकलने वाला धुआं
- निर्माण कार्यों के दौरान मानकों का पालन न करना
- अधिक संख्या में पौधारोपण न होना

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शहर में हमेशा मानक से अधिक रहता एयर क्वालिटी इंडेक्स: शहर में हमेशा ही एयर क्वालिटी इंडेक्स की मात्रा मानक से अधिक रहती है. उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों को देखें तो पिछले माह दादा नगर में मात्रा 324 माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यूब दर्ज हुई. इसी तरह रामादेवी में 373 माइक्रोग्राम प्रतिमीटर क्यूब और पनकी साइट नं.1 में 180 माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यूब रही थी. वहीं, बात अगर मानकों की करें तो नियमानुसार शहर का वायु गुणवत्ता सूचकांक 60 माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यूब होना चाहिए.

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