कानपुर: जिले के पनकी थाना क्षेत्र में एसटीएफ की मुठभेड़ में मारा गया हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे का शार्प शूटर प्रभात उर्फ कार्तिकेय नाबालिग नहीं था. पुलिस जांच में खुलासा हुआ कि वह बालिग था. वह नाम बदलकर और फर्जी प्रमाण पत्र लगाकर एक साथ एक ही सत्र में दो स्कूलों में पढ़ाई कर रहा था. सभी कागजों में उसकी जन्मतिथि और नाम अलग- अलग है.
प्रभात मिश्रा के परिजनों ने कहा था कि वह नाबालिग था और मामले में जबरदस्ती फंसा कर उसका एनकाउंटर कर दिया गया. पुलिस ने उसकी उम्र 20 साल बताई थी, जबकि उसके परिजनों ने दावा किया था कि वह 17 वर्ष का ही है. परिजनों ने पुलिस को उसकी 2018 यूपी बोर्ड की मार्कशीट और आधार कार्ड दिखाया, जिसमें उसकी जन्मतिथि 27 मई 2004 लिखी हुई है. दोनों में उसका नाम कार्तिकेय पुत्र राजेंद्र कुमार दर्ज है.
जब पुलिस ने इस मामले की जांच की, तो सामने आया कि वह नाबालिग नहीं बल्कि बालिग था. साथ ही वह नाम बदल कर फर्जी प्रमाण पत्र के जरिए एक साथ और एक सत्र में दो स्कूलों में पढ़ाई करता था. सभी जगह उसने फर्जी अंकपत्र लगा रखा था. वहीं पुलिस की जांच में यह भी सामने आया कि सभी कागजों में नाम और जन्मतिथि अलग-अलग है.
दरअसल, कानपुर कांड में एसटीएफ ने उसे हरियाणा के फरीदाबाद जिले के गिरफ्तार किया था और वहां से ले आते समय 9 जुलाई को वह एनकाउंटर में मारा गया था. जिसके बाद उसके परिजनों ने उसे बालिग बता कर एनकाउंटर पर सवाल उठाया था.
दरअसल, बीते 2 जुलाई को कानपुर देहात के चौबेपुर थाना क्षेत्र के बिकरू गांव में पुलिस की टीम हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे को गिरफ्तार करने गई थी. इस दौरान अपने साथियों के साथ पुलिस टीम पर फायरिंग शुरू कर दी. इसके बाद पुलिस और बदमाशों में मुठभेड़ होने लगी. पुलिस ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए दो बदमाशों को मार गिराया था. इस दौरान हिस्ट्रीशीटर अपने साथियों के फरार दो गया था.
घटना के बाद से ही पुलिस और एसटीएफ की कई टीमें हिस्ट्रीशीटर और उसके साथियों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी करने लगी. कानपुर कांड में एसटीएफ ने विकास दुबे सहित कुल 6 अपराधियों का एनकाउंटर किया है. इस मामले की जांच अब एसआईटी कर रही है.