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कोरोना के सेकंड फेज के लिए GSVM मेडिकल कॉलेज तैयार

यूपी के कानपुर में कोरोना के बढ़ते संक्रमण को लेकर जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज पूरी तरह से तैयार है. अस्पताल में 160 आईसीयू बेड तैयार किये गए हैं. ताकि मरीजों की समय से सही उपचार मिल सकें.

GSVM मेडिकल कॉलेज
GSVM मेडिकल कॉलेज
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Published : Nov 22, 2020, 5:48 PM IST

कानपुर: दिवाली के बाद पूरे देश में कोरोना के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही हैं. इसको लेकर शासन-प्रशासन सब सतर्क हो गए हैं. शासन ने मास्क लगाने को अनिवार्य कर दिया है. जो लोग बिना मास्क के दिख रहे हैं, उनके चालान किए जा रहे हैं. कानपुर के जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज की टीम ने भी कोरोना के सेकंड फेज के लिए तैयारियां पूरी कर ली हैं. मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आरबी कमल ने बताया कि अभी मरीजों की संख्या को देखते हुए 160 आईसीयू बेड तैयार किए गए हैं ताकि मरीजों की समय से सही उपचार मिल सकें. इसी के साथ उन्होंने सरकार के कामों की सराहना करते हुए कहा कि शासन और जिला प्रशासन की मदद की वजह से मरीजों को इलाज मिल सका.

अस्पताल में 160 आईसीयू बेड तैयार.
सेकंड फेज के लिए तैयार है 160 आईसीयू बेडडॉ. आर बी कमल ने बताया कि दीवाली के बाद कोरोना बढ़ने को लेकर मेडिकल कॉलेज ने लगभग सभी तैयारियां पूरी कर ली है. शुरुआती दौर में जहां सिर्फ 40 आईसीयू बेड थे, वहीं आज 160 आईसीयू बेड तैयार कर लिए गए हैं. सभी में ऑक्सीजन भी है ताकि किसी को कोई दिक्कत न हो. इसी के साथ लगातार सभी डॉक्टर सतर्कता से मरीजों का इलाज कर रहे हैं.

डिफेंस बैकग्राउंड का मिला फायदा

डॉ. आर बी कमल ने बताया कि मेडिकल कॉलेज में सबसे ज्यादा फायदा डिफेंस बैकग्राउंड का फायदा मिला, क्योंकि लगातार अनुशासन के चलते सभी कुछ व्यवस्थित रहा. इस वजह से कोई समस्या नहीं हुई और टीम वर्क के चलते सभी मरीजों का समय से ठीक इलाज होता रहा.

कार्यभार संभालते ही कोरोना की थी चुनौती


डॉ. आर बी कमल ने बताया कि जब 5 महीने पहले जब उन्होंने कार्यभार संभाला था तब कोरोना का संक्रमण अपनी पीक पर था. आस-पास के जिले समेत कानपुर में सिर्फ एक एल 3 हॉस्पिटल मेडिकल कॉलेज में ही था. इसी के साथ 3 मेडिकल कॉलेज और करीब 3 करोड़ जनता की जिम्मेदारी थी. जिस वजह से काम और चुनौतीपूर्ण था, लेकिन टीम वर्क के जरिए इसे पूरा किया गया.

एल 3 हॉस्पिटल से 1800 मरीज ठीक हुए


डॉ. आर बी कमल ने बताया कि पूरे कोरोना काल के दौरान सेमी इमरजेंसी और इमरजेंसी भी चलती रही. इसलिए दवाब भी अधिक था, लेकिन मैंने खुद सबकी मॉनिटरिंग की जिस वजह से कई बार 24 घंटे सो नहीं पाया. इतनी मेहनत का परिणाम यह आया कि इस एल 3 हॉस्पिटल ने करीब 1800 मरीज ठीक होकर गए.

कानपुर: दिवाली के बाद पूरे देश में कोरोना के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही हैं. इसको लेकर शासन-प्रशासन सब सतर्क हो गए हैं. शासन ने मास्क लगाने को अनिवार्य कर दिया है. जो लोग बिना मास्क के दिख रहे हैं, उनके चालान किए जा रहे हैं. कानपुर के जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज की टीम ने भी कोरोना के सेकंड फेज के लिए तैयारियां पूरी कर ली हैं. मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आरबी कमल ने बताया कि अभी मरीजों की संख्या को देखते हुए 160 आईसीयू बेड तैयार किए गए हैं ताकि मरीजों की समय से सही उपचार मिल सकें. इसी के साथ उन्होंने सरकार के कामों की सराहना करते हुए कहा कि शासन और जिला प्रशासन की मदद की वजह से मरीजों को इलाज मिल सका.

अस्पताल में 160 आईसीयू बेड तैयार.
सेकंड फेज के लिए तैयार है 160 आईसीयू बेडडॉ. आर बी कमल ने बताया कि दीवाली के बाद कोरोना बढ़ने को लेकर मेडिकल कॉलेज ने लगभग सभी तैयारियां पूरी कर ली है. शुरुआती दौर में जहां सिर्फ 40 आईसीयू बेड थे, वहीं आज 160 आईसीयू बेड तैयार कर लिए गए हैं. सभी में ऑक्सीजन भी है ताकि किसी को कोई दिक्कत न हो. इसी के साथ लगातार सभी डॉक्टर सतर्कता से मरीजों का इलाज कर रहे हैं.

डिफेंस बैकग्राउंड का मिला फायदा

डॉ. आर बी कमल ने बताया कि मेडिकल कॉलेज में सबसे ज्यादा फायदा डिफेंस बैकग्राउंड का फायदा मिला, क्योंकि लगातार अनुशासन के चलते सभी कुछ व्यवस्थित रहा. इस वजह से कोई समस्या नहीं हुई और टीम वर्क के चलते सभी मरीजों का समय से ठीक इलाज होता रहा.

कार्यभार संभालते ही कोरोना की थी चुनौती


डॉ. आर बी कमल ने बताया कि जब 5 महीने पहले जब उन्होंने कार्यभार संभाला था तब कोरोना का संक्रमण अपनी पीक पर था. आस-पास के जिले समेत कानपुर में सिर्फ एक एल 3 हॉस्पिटल मेडिकल कॉलेज में ही था. इसी के साथ 3 मेडिकल कॉलेज और करीब 3 करोड़ जनता की जिम्मेदारी थी. जिस वजह से काम और चुनौतीपूर्ण था, लेकिन टीम वर्क के जरिए इसे पूरा किया गया.

एल 3 हॉस्पिटल से 1800 मरीज ठीक हुए


डॉ. आर बी कमल ने बताया कि पूरे कोरोना काल के दौरान सेमी इमरजेंसी और इमरजेंसी भी चलती रही. इसलिए दवाब भी अधिक था, लेकिन मैंने खुद सबकी मॉनिटरिंग की जिस वजह से कई बार 24 घंटे सो नहीं पाया. इतनी मेहनत का परिणाम यह आया कि इस एल 3 हॉस्पिटल ने करीब 1800 मरीज ठीक होकर गए.

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