कानपुर : पीएम मोदी ने किसानों की आय दोगुनी करने के लिए सभी अधीनस्थ अफसरों को निर्देश तो बहुत पहले दे दिए थे, अब किसानों की मदद के लिए आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञों ने भी पहल शुरू कर दी है. यहां के विशेषज्ञों की देखरेख में इस तरह की खाद तैयार की गई है, जिससे अब किसान कम लागत में अधिक से अधिक फसलों की पैदावार करके मालामाल हो सकेंगे. आईआईटी कानपुर के स्टार्टअप-एलीसीबी फर्टिलाइजर्स को तैयार करने वाले कुशीनगर निवासी अक्षय श्रीवास्तव ने बताया कि 'उन्होंने अपने आठ साथियों के साथ मिलकर 60 जीवाणुओं (तालाब, नाली व मिट्टी से लिए गए) की मदद से नौ अलग-अलग प्रकार की खाद बनाई हैं. इन्हें फसलों के अनुसार, किसान खेतों में उपयोग कर सकते हैं. किसानों के अलावा कुशीनगर के वन विभाग समेत अन्य विभागों में यह खाद प्रयोग में ली जाने लगी है.'
25 हजार से अधिक किसान जुड़े, केवल एक बार प्रयोग करना होता : अक्षय ने बताया कि 'जब किसान इस खाद का प्रयोग करते हैं तो उन्हें एक एकड़ फसल में एक बार ही खाद डालनी होती है. खाद की विशेषता के संदर्भ में बानगी के तौर पर बताया कि अगर कोई किसान एक एकड़ में गेहूं की फसल तैयार करता है तो उसे आमतौर पर लागत के नजरिए से 6200 रुपये खर्च करने होते हैं. लेकिन, एलसीबी फर्टिलाइजर का उपयोग करने पर यह खर्च महज 3400 रुपये रह जाता है, इसी तरह उसकी यील्ड यानी उत्पादन में 15 से 35 फीसद की वृद्धि होती है, जबकि दो बार से तीन बार ही सिंचाई की आवश्यकता होती है.'
एनएबीएल से भी मिला प्रमाण पत्र : अक्षय के उत्पाद-एलसीबी फर्टिलाइजर को आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञ तो प्रमाणित कर ही चुके हैं, इसके साथ-साथ एनएबीएल लैब से भी प्रमाण पत्र मिल चुका है. शहर के भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान (आईआईपीआर) में भी इस खाद का उपयोग शुरू हो चुका है. जल्द ही कई राज्यों में इसका उत्पादन शुरू होगा, जबकि मौजूदा समय में कुशीनगर व महाराष्ट्र में इसकी मैन्युफेक्चरिंग यूनिट कार्यरत है. किसानों को यह खाद 800 रुपये प्रति 50 किलोग्राम की दर से मिलती है.
आईआईटी कानपुर के वरिष्ठ प्रोफेसर प्रो.अमिताभ बंदोपाध्याय ने बताया कि 'अक्षय के स्टार्टअप एलसीबी फर्टिलाइजर्स को पूरे देश में सराहना मिली है. उनके उत्पाद पर आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञ अपनी मुहर लगा चुके हैं.'
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