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करगिल विजय दिवस: शहीद मेजर अविनाश सिंह भदौरिया को परिजनों ने दी श्रद्धांजलि

करगिल युद्ध के 21 साल पूरे हो गए हैं. यह युद्ध 26 जुलाई, 1999 को खत्म हुआ था. भारतीय सेना विजयी हुई थी. करीब तीन महीने तक चले इस युद्ध में भारत की ओर से 527 जवान शहीद हुए थे.

major avinash singh bhadauria
शहीद मेजर अविनाश सिंह भदौरिया.
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Published : Jul 26, 2020, 6:49 PM IST

कानपुर: देश के सबसे बड़े करगिल युद्ध के 21 वर्ष पूरे हो चुके हैं, लेकिन अभी भी उन 527 जवानों की कुर्बानी याद की जाती है तो आंखें नम हो जाती हैं. शहादत और गर्व से भरे इस दिन को भुला पाना भारत के लिए शायद ही न के बराबर होगा. ऐसे ही एक जांबाज योद्धा थे कानपुर के अविनाश सिंह भदौरिया.

शहीद को परिजनों ने दी श्रद्धांजलि.

करगिल विजय दिवस पर परिजनों ने उन्हें पुष्प अर्पित करते हुए श्रद्धाजंलि दी. इस मौके पर परिजनों के साथ ही आस पड़ोस के लोग भी शामिल थे. यहां दो मिनट के मौन के बाद जैसे लोगों ने पुष्प चढ़ाने के लिए हाथ बढ़ाया तो सभी भावुक हो गए, क्योंकि मेजर अविनाश सिंह भदौरिया उन शहीदों में एक थे, जिन्होंने गोली लगने के बाद भी तीन पाकिस्तानियों को युद्ध में मार गिराया था.

करगिल युद्ध जिक्र करते हुए शहीद मेजर अविनाश का परिवार आज भी गर्व महसूस करता है. उनके भाई अमित भदौरिया ने कहा कि हमारा देश आज वीर जवानों की वजह से ही सुरक्षित है.

शहीद मेजर अविनाश सिंह भदौरिया के परिजन नम आंखों के साथ बताते हैं कि ऐसा कोई दिन नहीं होता है, जब वो अपने वीर सपूत को याद न करते हों. बता दें कि टाइगर हिल पर तिरंगा फहराने वाले शहीदों में कानपुर के तीन लाल भी शामिल थे, जिन्होंने अपनी जान को न्योछावर करते हुए पाकिस्तान के कई सैनिकों को मार गिराया था.

ये भी पढ़ें: कानपुर: कोविड-19 पर नियंत्रण पाने के लिए मुख्य सचिव ने दिए दिशानिर्देश

करगिल में भारतीय सेना की विजय पराक्रम और शौर्य की ऐसी गाथा है, जिससे पीढ़ियों तक प्रेरणा मिलती रहेगी. आज करगिल विजय दिवस की 21वीं वर्षगांठ है. इस मौके पर कृतज्ञ राष्ट्र शहीद रणबांकुरों को श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा है. प्रधानमंत्री मोदी ने भी सैनिकों के साहस और दृढ़ संकल्प को याद किया. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने नेशनल वॉर मेमोरियल जाकर शहीद सैनिकों को श्रद्धासुमन अर्पित किए.

कानपुर: देश के सबसे बड़े करगिल युद्ध के 21 वर्ष पूरे हो चुके हैं, लेकिन अभी भी उन 527 जवानों की कुर्बानी याद की जाती है तो आंखें नम हो जाती हैं. शहादत और गर्व से भरे इस दिन को भुला पाना भारत के लिए शायद ही न के बराबर होगा. ऐसे ही एक जांबाज योद्धा थे कानपुर के अविनाश सिंह भदौरिया.

शहीद को परिजनों ने दी श्रद्धांजलि.

करगिल विजय दिवस पर परिजनों ने उन्हें पुष्प अर्पित करते हुए श्रद्धाजंलि दी. इस मौके पर परिजनों के साथ ही आस पड़ोस के लोग भी शामिल थे. यहां दो मिनट के मौन के बाद जैसे लोगों ने पुष्प चढ़ाने के लिए हाथ बढ़ाया तो सभी भावुक हो गए, क्योंकि मेजर अविनाश सिंह भदौरिया उन शहीदों में एक थे, जिन्होंने गोली लगने के बाद भी तीन पाकिस्तानियों को युद्ध में मार गिराया था.

करगिल युद्ध जिक्र करते हुए शहीद मेजर अविनाश का परिवार आज भी गर्व महसूस करता है. उनके भाई अमित भदौरिया ने कहा कि हमारा देश आज वीर जवानों की वजह से ही सुरक्षित है.

शहीद मेजर अविनाश सिंह भदौरिया के परिजन नम आंखों के साथ बताते हैं कि ऐसा कोई दिन नहीं होता है, जब वो अपने वीर सपूत को याद न करते हों. बता दें कि टाइगर हिल पर तिरंगा फहराने वाले शहीदों में कानपुर के तीन लाल भी शामिल थे, जिन्होंने अपनी जान को न्योछावर करते हुए पाकिस्तान के कई सैनिकों को मार गिराया था.

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करगिल में भारतीय सेना की विजय पराक्रम और शौर्य की ऐसी गाथा है, जिससे पीढ़ियों तक प्रेरणा मिलती रहेगी. आज करगिल विजय दिवस की 21वीं वर्षगांठ है. इस मौके पर कृतज्ञ राष्ट्र शहीद रणबांकुरों को श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा है. प्रधानमंत्री मोदी ने भी सैनिकों के साहस और दृढ़ संकल्प को याद किया. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने नेशनल वॉर मेमोरियल जाकर शहीद सैनिकों को श्रद्धासुमन अर्पित किए.

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