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कानपुर: नेत्रदान की वजह से रोशनी से गुलजार हुई दो लोगों की जिंदगी

उत्तर प्रदेश के कानपुर में नेत्रदान की वजह से दो लोगों की जिंदगी रोशन हो गई. दरअसल, कानपुर में दो लोगों की आंख का सफल ऑपरेशन किया गया है. इनमें से एक 35 वर्षीय महिला है, तो दूसरा 15 साल का एक बच्चा है.

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Published : Feb 5, 2020, 9:32 PM IST

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दो लोगों की आंख का किया गया सफल ऑपरेशन.

कानपुर: शहर के अशोक नगर निवासी जितेंद्र के बेटों की नारामऊ की एक शादी से लौटते वक्त मौत हो गई थी. इसके बाद परिजनों ने दोनों बेटों का नेत्रदान किया. इनमें से छोटे बेटे की आंख ज्यादा खराब हो जाने की वजह से उसे प्रयोग नहीं किया जा सका, लेकिन उनके बड़े बेटे की दोनों आंखों ने दो लोगों की जिंदगी को रोशन किया है. इनमें से एक आंख उन्नाव की 35 वर्षीय महिला कमला और दूसरी आंख झींझक के 15 वर्षीय प्रमोद कुमार को लगाई गई हैं.

दो लोगों की आंख का किया गया सफल ऑपरेशन.

कानपुर के लालालाजपत राय अस्पताल के नेत्र रोग विभाग में डॉक्टर शालिनी मोहन ने यह सफल ऑपरेशन किया. डॉ. शालिनी मोहन ने बताया कि प्रमोद को जन्मजात ही नहीं दिखाई देता था, जबकि कमला की आंख में पिछले 12 साल पहले कांटा लग जाने की वजह से रोशनी चली गई थी. नेत्रदान और सफल ऑपरेशन के बाद दोनों लोग दुनिया देखने के लिए तैयार हैं.

इसे भी पढ़ें- राम मंदिर ट्रस्ट का इकबाल अंसारी ने किया स्वागत, कहा- मस्जिद के लिए अयोध्या में ही चाहिए जमीन

कानपुर: शहर के अशोक नगर निवासी जितेंद्र के बेटों की नारामऊ की एक शादी से लौटते वक्त मौत हो गई थी. इसके बाद परिजनों ने दोनों बेटों का नेत्रदान किया. इनमें से छोटे बेटे की आंख ज्यादा खराब हो जाने की वजह से उसे प्रयोग नहीं किया जा सका, लेकिन उनके बड़े बेटे की दोनों आंखों ने दो लोगों की जिंदगी को रोशन किया है. इनमें से एक आंख उन्नाव की 35 वर्षीय महिला कमला और दूसरी आंख झींझक के 15 वर्षीय प्रमोद कुमार को लगाई गई हैं.

दो लोगों की आंख का किया गया सफल ऑपरेशन.

कानपुर के लालालाजपत राय अस्पताल के नेत्र रोग विभाग में डॉक्टर शालिनी मोहन ने यह सफल ऑपरेशन किया. डॉ. शालिनी मोहन ने बताया कि प्रमोद को जन्मजात ही नहीं दिखाई देता था, जबकि कमला की आंख में पिछले 12 साल पहले कांटा लग जाने की वजह से रोशनी चली गई थी. नेत्रदान और सफल ऑपरेशन के बाद दोनों लोग दुनिया देखने के लिए तैयार हैं.

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Intro:
कानपुर:-जानिए कहां नेत्र दान की रोशनी से गुलजार हुई दो लोगो की जिंदगी

अब बात नेत्र दान महा दान की। जिससे कानपुर में दो लोगो की जिंदगी प्रकाश के उजाले से अब गुलजार हो गई है। लेकिन क्या कभी आपने यह सोचा है कि बिन आंखों के यह दुनियां कैसी होगी? चारो तरफ अंधेरा ही अंधेरा मालूम होगा। दुनियां की सारी खूबसूरती आंखों के बिना कुछ नहीं है। आंखें ना होने का दुख वही समझ सकता है जिसके पास आंखें नहीं होतीं।
जी हां बीते दिनों अशोक नगर निवासी जितेंद्र के बेटों की नारामऊ में एक शादी से लौटते वक्त मौत हो जाने के बाद परिजनों ने दोनों बेटों का नेत्रदान किया...जहां छोटे बेटे की आंख ज्यादा खराब हो जाने की वजह से उसे प्रयोग नहीं किया जा सका लेकिन बड़े बेटे की दोनों आंखों ने दो लोगों की जिंदगी को रौशन कर दिया है ...जिनमें एक आंख जिला उन्नाव से 35 वर्षीय महिला कमला को तो दूसरी आंख झींझक के अनंतपुर से 15 वर्षीय प्रमोद कुमार को मिली...


Body:जहां कानपुर के लालालाजपत राय अस्पताल के नेत्र रोग विभाग में डॉक्टर शालिनी मोहन द्वारा ये सफल ऑपरेशन किया गया... उन्होंने बताया कि प्रमोद को जन्मजात ही नहीं दिखाई देता था...जबकि कमला के आंख में पिछले 12 साल पहले कांटा लग जाने की वजह से रौशनी चली गई...लेकिन नेत्रदान और सफल ऑपरेशन के बाद वो एक बार फिर दुनिया देखने के लिए तैयार हैं...
 

बाइट-प्रमोद, 15 वर्षीय
बाइट:-डॉ. शालिनी मोहन ने किया सफल ऑपरेशन






Conclusion:आंखें ना सिर्फ हमें रोशनी दे सकती हैं बल्कि हमारे मरने के बाद वह किसी और की जिंदगी से भी अंधेरा हटा सकती हैं. लेकिन जब बात नेत्रदान की होती है तो काफी लोग इस अंधविश्वास में पीछे हट जाते हैं कि कहीं अगले जन्म में वह नेत्रहीन ना पैदा हो जाएं. इस अंधविश्वास की वजह से दुनियां के कई नेत्रहीन लोगों को जिंदगी भर अंधेरे में ही रहना पड़ता है.

नेत्रदान की महत्ता को समझते हुए ही 10 जून को हर वर्ष अंतरराष्ट्रीय दृष्टिदान दिवस के रुप में मनाया जाता है. इसके जरिए लोगों में नेत्रदान करने की जागरुकता फैलाई जाती है. हमारे द्वारा उठाए गए एक कदम से किसी की जिंदगी आबाद हो सकती है.तो हम सबकों प्रेरणा लेकर नेत्र दान जरुर करना चाहिए ताकि हमारे नही रहने पर भी हमारी आंखे किसी और की जन्दगी को रौशन करने के साथ दुनिया देखती रहे।

रजनीश दीक्षित,
कानपुर।
9451259107



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