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ज्ञानवापी परिसर के सर्वे में ASI के साथ आएंगे आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञ, जीपीआर तकनीक का होगा उपयोग

ज्ञानवापी सर्वे में आर्कियोलॉजिकल सर्वे (Gyanvapi Survey GPR Technique) आफ इंडिया के सदस्यों के साथ आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञ भी योगदान देंगे. सर्वे के दौरान कई बिंदुओं पर जांच की जानी है.

ज्ञानवापी सर्वे में आईआईटी कानपुर का भी योगदान रहेगा.
ज्ञानवापी सर्वे में आईआईटी कानपुर का भी योगदान रहेगा.
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Published : Jul 28, 2023, 8:27 PM IST

ज्ञानवापी सर्वे में आईआईटी कानपुर का भी योगदान रहेगा.

कानपुर : ज्ञानवापी परिसर के सर्वे में आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञ भी सहयोग करेंगे. आईआईटी कानपुर के वरिष्ठ प्रोफेसर जावेद मलिक ने इसकी पुष्टि की है. उनका कहना है, फिलहाल कोर्ट ने आगामी तीन अगस्त तक सर्वे पर रोक लगा रखी है. उसके बाद वह अपनी टीम के साथ काशी जाएंगे. वह और उनकी टीम के सदस्य आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया (एएसआई) के सदस्यों के साथ काम करेंगे. प्रो.मलिक ने कहा, कि पहले भी वह कई प्रोजेक्ट्स पर एएसआई टीम के सदस्यों के साथ काम कर चुके हैं.
वहीं, कुछ माह पहले ही प्रो. मलिक ने अपने शोध से यह दावा किया था, कि तुर्किए व सीरिया में आए भूकंप के बाद भारत के भी जोन-5 के शहर ज्यादा खतरे में हैं.

यह भी पढ़ें : देश की 6 प्रमुख नदियों को संरक्षित करेंगे आईआईटी और एनआईटी के विशेषज्ञ

ग्राउंड पेनिट्रेटिंग राडार का होगा उपयोग : प्रो.जावेद मलिक ने अपना वीडियो जारी कर बताया, कि ज्ञानवापी सर्वे के दौरान ग्राउंड पेनिट्रेटिंग राडार (जीपीआर) तकनीक का उपयोग किया जाएगा. इस तकनीक की मदद से हम यह जान सकेंगे, कि जिस पर्वतनुमा, ईंट या फिर किसी दीवार के अंदर कौन सी धातु या उपकरण मौजूद हैं. उन्होंने बताया, कि वैसे तो यह बहुत पुरानी तकनीक है, लेकिन, जब हम इसका उपयोग करते हैं तो इससे इलेक्ट्रोमैग्नेट वेव ट्रांसमिट होती है. इस वेव से ही पता लग सकता है, कि क्या मैटेरीयिल संबंधित वस्तु में लगाया गया है.

जीपीआर तकनीक से मिलेगी काफी मदद : प्रो.जावेद मलिक ने बताया कि उदाहरण देकर बताया कि जब हम जीपीआर तकनीक से जानने की कोशिश करेंगे तो अगर हमारे उपकरणों में हाइपरबोला बनकर आता है तो हम जान जाएंगे कि दीवार के अंदर पाइप लगा है. उन्होंने दावा किया, कि इस तकनीक से सर्वे का काम बहुत आसान हो जाएगा.

यह भी पढ़ें : ज्ञानवापी मस्जिद के एएसआई सर्वे पर हाईकोर्ट का भी स्टे, 3 अगस्त को आ सकता है फैसला

ज्ञानवापी सर्वे में आईआईटी कानपुर का भी योगदान रहेगा.

कानपुर : ज्ञानवापी परिसर के सर्वे में आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञ भी सहयोग करेंगे. आईआईटी कानपुर के वरिष्ठ प्रोफेसर जावेद मलिक ने इसकी पुष्टि की है. उनका कहना है, फिलहाल कोर्ट ने आगामी तीन अगस्त तक सर्वे पर रोक लगा रखी है. उसके बाद वह अपनी टीम के साथ काशी जाएंगे. वह और उनकी टीम के सदस्य आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया (एएसआई) के सदस्यों के साथ काम करेंगे. प्रो.मलिक ने कहा, कि पहले भी वह कई प्रोजेक्ट्स पर एएसआई टीम के सदस्यों के साथ काम कर चुके हैं.
वहीं, कुछ माह पहले ही प्रो. मलिक ने अपने शोध से यह दावा किया था, कि तुर्किए व सीरिया में आए भूकंप के बाद भारत के भी जोन-5 के शहर ज्यादा खतरे में हैं.

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ग्राउंड पेनिट्रेटिंग राडार का होगा उपयोग : प्रो.जावेद मलिक ने अपना वीडियो जारी कर बताया, कि ज्ञानवापी सर्वे के दौरान ग्राउंड पेनिट्रेटिंग राडार (जीपीआर) तकनीक का उपयोग किया जाएगा. इस तकनीक की मदद से हम यह जान सकेंगे, कि जिस पर्वतनुमा, ईंट या फिर किसी दीवार के अंदर कौन सी धातु या उपकरण मौजूद हैं. उन्होंने बताया, कि वैसे तो यह बहुत पुरानी तकनीक है, लेकिन, जब हम इसका उपयोग करते हैं तो इससे इलेक्ट्रोमैग्नेट वेव ट्रांसमिट होती है. इस वेव से ही पता लग सकता है, कि क्या मैटेरीयिल संबंधित वस्तु में लगाया गया है.

जीपीआर तकनीक से मिलेगी काफी मदद : प्रो.जावेद मलिक ने बताया कि उदाहरण देकर बताया कि जब हम जीपीआर तकनीक से जानने की कोशिश करेंगे तो अगर हमारे उपकरणों में हाइपरबोला बनकर आता है तो हम जान जाएंगे कि दीवार के अंदर पाइप लगा है. उन्होंने दावा किया, कि इस तकनीक से सर्वे का काम बहुत आसान हो जाएगा.

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