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ब्रिटिश इंडिया कॉरपोरेशन संपत्ति घोटाले की EOW करेगी जांच

ब्रिटिश इंडिया कॉरपोरेशन की करोड़ों रुपये कीमत की संपत्तियां औने-पौने दाम में बेचे जाने के आरोपों की जांच शासन ने ईओडब्ल्यू कानपुर सेक्टर को सौंपी है. तीन माह में जांच पूरी करके रिपोर्ट देने के निर्देश दिए गए हैं. ईओडब्ल्यू के सीओ ने इस बाबत दस्तावेज जुटाने शुरू कर दिए हैं.

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ईओडब्ल्यू करेगी ब्रिटिश इंडिया कॉरपोरेशन घोटाले की जांच.
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Published : Dec 21, 2020, 12:53 PM IST

कानपुर: ब्रिटिश इंडिया कॉरपोरेशन की करोड़ों रुपये कीमत की बेशकीमती सम्पतियों को औने-पौने दाम में बेचे जाने के मामले में अब नया मोड़ आ गया है. अब करोड़ो की संपति घोटाले की जांच प्रदेश सरकार ने आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा यानी (ईओडब्ल्यू) कानपुर सेक्टर को सौंपी है, जबकि तीन साल से सीबीआई बीआईसी की सभी 27 सम्पतियों की जांच कर रही है. ईओडब्ल्यू तीन माह में जांच पूरी करके रिपोर्ट शासन को सौंपेगी. ईओडब्ल्यू की कानपुर शाखा ने इस बाबत दस्तावेज जुटाने भी शुरू कर दिए हैं.

4 हजार करोड़ का है बीआईसी घोटाला
ब्रिटिश इंडिया कॉरपोरेशन की साल 2004 में दो हजार करोड़ की 27 सम्पतियों को महज 131 करोड़ रुपये में बिल्डरों से साठगांठ कर बेच डाला गया था. वर्तमान में इन प्रॉपर्टीज की कीमत 4 हजार करोड़ रुपये के आसपास आंकी जा रही है. फिलहाल जांच एजेंसियां तत्कालीन घोटाले की राशि का ही घोटाला मान कर जांच कर रही हैं.

ऐसे हुआ बेशकीमती जमीन का घोटाला
ईओडब्ल्यू के अधिकारियों के मुताबिक 2003 में ब्रिटिश इंडिया कॉरपोरेशन के अधिकारियों ने बिल्डरों से एग्रीमेंट कर 80 करोड़ रुपये में जमीन का सौदा कर लिया, जबकि उस वक्त इन संपत्तियों की कीमत दो हजार करोड़ रुपये थी, जिसमें बीच के दलालों और प्रॉपर्टी डीलरों ने अपने करोडों के वारे-न्यारे कर दिए थे. ईओडब्ल्यू के एसपी बाबूराम का कहना है कि इस घोटाले से केवल प्रदेश सरकार को एक हजार करोड़ से ज्यादा के राजस्व को नुकसान पहुंचाया गया. क्योंकि प्रदेश सरकार को बीआईसी की संपत्तियों की लीज को रिन्यूअल करने पर धन मिलना था, लेकिन हासिल कुछ नहीं हुआ.

कानपुर: ब्रिटिश इंडिया कॉरपोरेशन की करोड़ों रुपये कीमत की बेशकीमती सम्पतियों को औने-पौने दाम में बेचे जाने के मामले में अब नया मोड़ आ गया है. अब करोड़ो की संपति घोटाले की जांच प्रदेश सरकार ने आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा यानी (ईओडब्ल्यू) कानपुर सेक्टर को सौंपी है, जबकि तीन साल से सीबीआई बीआईसी की सभी 27 सम्पतियों की जांच कर रही है. ईओडब्ल्यू तीन माह में जांच पूरी करके रिपोर्ट शासन को सौंपेगी. ईओडब्ल्यू की कानपुर शाखा ने इस बाबत दस्तावेज जुटाने भी शुरू कर दिए हैं.

4 हजार करोड़ का है बीआईसी घोटाला
ब्रिटिश इंडिया कॉरपोरेशन की साल 2004 में दो हजार करोड़ की 27 सम्पतियों को महज 131 करोड़ रुपये में बिल्डरों से साठगांठ कर बेच डाला गया था. वर्तमान में इन प्रॉपर्टीज की कीमत 4 हजार करोड़ रुपये के आसपास आंकी जा रही है. फिलहाल जांच एजेंसियां तत्कालीन घोटाले की राशि का ही घोटाला मान कर जांच कर रही हैं.

ऐसे हुआ बेशकीमती जमीन का घोटाला
ईओडब्ल्यू के अधिकारियों के मुताबिक 2003 में ब्रिटिश इंडिया कॉरपोरेशन के अधिकारियों ने बिल्डरों से एग्रीमेंट कर 80 करोड़ रुपये में जमीन का सौदा कर लिया, जबकि उस वक्त इन संपत्तियों की कीमत दो हजार करोड़ रुपये थी, जिसमें बीच के दलालों और प्रॉपर्टी डीलरों ने अपने करोडों के वारे-न्यारे कर दिए थे. ईओडब्ल्यू के एसपी बाबूराम का कहना है कि इस घोटाले से केवल प्रदेश सरकार को एक हजार करोड़ से ज्यादा के राजस्व को नुकसान पहुंचाया गया. क्योंकि प्रदेश सरकार को बीआईसी की संपत्तियों की लीज को रिन्यूअल करने पर धन मिलना था, लेकिन हासिल कुछ नहीं हुआ.

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