कानपुर: नगर निगम के अफसरों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए, कि प्लास्टिक का उपयोग न हो. अगर आमजन प्लास्टिक का उपयोग नहीं करेंगे, तो न तो प्लास्टिक नालियों में पहुंचेगी और न ही प्रदूषण फैलेगा. बस, हर प्रदूषण या समस्या के लिए उद्यमियों को जिम्मेदार मान लेना और उन्हें रिटर्न और जुर्माना के भंवरजाल में फंसा देना कहीं से उचित नहीं है. बुधवार को इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील वैश्य ने यह तंज नगर निगम, प्रदूषण व जिला प्रशासन के अफसरों को लेकर कसा. मौका था, पनकी स्थित इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन भवन में हुए कार्यशाला कार्यक्रम का. जिसका विषय- प्लास्टिक वेस्ट, मैनेजमेंट रुल्स एंड रेगुलेशंस रखा गया था.
उद्यमियों ने मौजूद अफसरों को जमकर कमियां गिनाईं. उन्होंने कहा कि उद्यमी शहर के आर्थिक विकास के नजरिए से अपना काम करते हैं. मगर, शहर पर जो प्रदूषण का दाग लगता है उसके लिए उद्यमियों को जिम्मेदार माना जाता है. उद्यमियों ने कहा, सरकार अफसरों पर कोई कार्रवाई नहीं करती. लेकिन, उद्यमियों को रिटर्न के मकड़जाल में बांध दिया जाता है. कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में मौजूद दि शक्ति प्लास्टिक दिल्ली से आए साहिल घई ने मौजूद 200 से अधिक उद्यमियों को ईपीआर रजिस्ट्रेशन के संबंध में जानकारी दी. साथ ही कहा, प्लास्टिक उत्पादन से जुडे़ उद्यमियों के लिए जरूरी है कि वह समय से अपना रिटर्न दाखिल करें. वहीं, उपस्थित क्षेत्रीय अधिकारी उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अमित मिश्रा ने कहा कि वह उद्यमियों की हरसंभव मदद करेंगे. यहां मुख्य रूप से आलोक अग्रवाल, दिनेश बरासिया, सुरेश गुरनानी, जय हेमराजानी आदि मौजूद रहें.
10 से अधिक चमड़ा इकाइयों की काटी गई बिजली: पिछले 15 दिनों के अंदर उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अफसरों ने शहर में 10 से अधिक चमड़ा इकाइयों की बिजली काट दी है. माघ मेला को देखते हुए सभी टेनरियों के संचालन को बंद रखने के आदेश जारी हुए थे. मगर अफसरों के निरीक्षण में उक्त टेनरियों में संचालन हो रहा था. अब उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अफसरों ने कहा कि 20 जनवरी को फिर से सभी टेनरियों का निरीक्षण किया जाएगा.