कानपुर : शहर में 24 अक्टूबर 2016 को आत्मप्रकाश ब्रह्मचारी स्कूल के प्रधानाचार्य रमेश बाबू शुक्ला की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. जाजमऊ निवासी आतंकी मो.फैसल व आतिफ मुजफ्फर ने वारदात को अंजाम दिया था. महज एक पिस्टल का परीक्षण करने और प्रतिबंधित आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट की दहशत फैलाने के लिए दोनों ने प्रधानाचार्य की हत्या की थी. वारदात को प्योंदी गांव के पास अंजाम दिया गया था. एनआईए की स्पेशल कोर्ट ने दोनों को फांसी की सजा सुनाई है.
कई सालों तक नहीं पकड़े गए आरोपी : पुलिस ने वारदात को महज एक हत्या माना था. रमेश बाबू शुक्ला के लड़के अक्षय की ओर से दर्ज कराए मुकदमे ने इस केस को गंभीर बना दिया. भले ही, उस दौर में दोनों आतंकी सालों तक पुलिस की पकड़ से दूर रहे हों, लेकिन जैसे ही कुछ समय बाद भोपाल-उज्जैन ट्रेन बम ब्लास्ट हुआ और एनआइए की टीम ने इस मामले की जांच शुरू की तो दहशत का पर्याय बन चुके आतंकी मो.सैफुल्लाह को पकड़ा गया. उसके बाद एनआइए की टीम ने जाजमऊ से आतंकी आतिफ मुजफ्फर को पकड़ लिया था. आतिफ से पूछताछ के बाद ही एनआइए और एटीएस की टीम ने आतंकी मो.फैसल को भी धर दबोचा था. इस मामले में दोनों ही आतंकियों को 27 फरवरी 2023 को फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है.
ऐसे सामने आए दोनों के नाम : दरअसल, भोपाल ट्रेन ब्लास्ट मामले में जब एनआइए की टीम ने आतंकी मो.सैफुल्लाह को पकड़ा था, तो उसके पास से आठ पिस्टल, 600 से अधिक कारतूस व एक मोटरसाइकिल बरामद हुई थी. मोटरसाइकिल की डिटेल निकलवाई गई, तो वह आतंकी आतिफ मुजफ्फर के नाम की निकली. इसी तरह रमेश बाबू हत्याकांड में जिस पिस्टल का प्रयोग किया गया था, उसका परीक्षण चंडीगढ़ स्थित केंद्रीय विधि विज्ञान प्रयोगशाला में कराया गया था. जांच करने वाले पुलिसकर्मियों का दावा था कि पिस्टल के साथ ही रमेश बाबू के शरीर से जो बुलेट मिली थी, वह उसी पिस्टल की थी, जो आतंकी आतिफ व मो.फैसल से एनआइए टीम को मिली थी. इन दोनों आतंकियों को यह पिस्टल उनके आकाओं खासतौर से आतंकी मो.सैफुल्लाह से मिली थी.
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