ETV Bharat / state

Sikh Riots in 1984: SIT ने सौंपी क्लोजर रिपोर्ट, दोषियों को कोर्ट कभी भी सुना सकती है सजा - Punishment in 1984 Sikh Riots

कोर्ट किसी भी समय 1984 सिख दंगा में चिन्हित आरोपियों को सजा सुना सकती है. एसआईटी प्रभारी बोले शासन में क्लोजर रिपोर्ट जमा हो गई थी. 50 से अधिक आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल.

Sikh Riots in 1984
Sikh Riots in 1984
author img

By

Published : Feb 23, 2023, 8:02 PM IST

कानपुर: शहर में बिकरु कांड के बाद सबसे चर्चित मामलों में शामिल 1984 सिख दंगा मामले में अब कोर्ट किसी भी समय दोषियों को सजा सुना सकती है. शासन द्वारा गठित स्पेशल इंवेस्टीगेशन टीम (एसआईटी) ने तीन साल से अधिक समय तक कवायद करने के बाद अब सरकार और कोर्ट को अपनी क्लोजर रिपोर्ट सौंप दी है.

रिपोर्ट में 50 से अधिक आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई है. जबकि 10 से अधिक आरोपी ऐसे है, जिन्हें उनकी उम्र व बीमारियों के चलते उनकी जानकारी केवल शासन को दी गई है. अब कोर्ट को अंतिम फैसला सुनाना है और उसके बाद 1984 सिख दंगा पीड़ितों को इंसाफ और न्याय मिलने की उम्मीद है.

2018 से शुरू हुई थी आरोपियों को पकड़ने की कवायद: शहर में साल 2018 से 1984 सिख दंगा मामले में शामिल आरोपियों को पकड़ने की कवायद शुरू हुई थी. इस गंभीर मामले में एसआईटी ने कुल 94 आरोपी चिन्हित किए थे. हालांकि इनमें से 22 की मौत हो गई थी. 72 आरोपियों को पकड़ने के लिए एसआईटी के अफसरों ने जमकर पसीना बहाया. 43 आरोपियों को तो गिरफ्तार करके पहले जेल भेजा गया. इसके अलावा कई अन्य आरोपियों ने सरेंडर किया. अब पूरी फाइल शासन व कोर्ट की टेबल पर पहुंच चुकी है.

जानिए, क्या था 1984 सिख दंगा मामला: डीआईजी एसआईटी बालेंदू भूषण सिंह बताते हैं कि कानपुर में 1984 के दौरान सिख दंगा हुआ था. जिसमें अराजक तत्वों ने शहर के बर्रा, निराला नगर, गोविंद नगर, रतनलाल नगर समेत अन्य क्षेत्रों में सामूहिक रूप से सिख समुदाय के लोगों की नृशंस हत्या कर दी थी. इस मामले में 1000 से अधिक मुकदमे दर्ज किए गए थे. जबकि 40 मामले तो बेहद गंभीर श्रेणी वाले मुकदमों के थे. 1984 सिख दंगा मामले की जांच के लिए पीएम मोदी तक पीड़ितों ने अपनी बात पहुंचाई थी. इसके बाद सरकार ने एसआईटी गठित करने का फैसला किया था. एसआईटी ने तय समय में अपनी क्लोजर रिपोर्ट सरकार को सौंप भी दी.

कानपुर: शहर में बिकरु कांड के बाद सबसे चर्चित मामलों में शामिल 1984 सिख दंगा मामले में अब कोर्ट किसी भी समय दोषियों को सजा सुना सकती है. शासन द्वारा गठित स्पेशल इंवेस्टीगेशन टीम (एसआईटी) ने तीन साल से अधिक समय तक कवायद करने के बाद अब सरकार और कोर्ट को अपनी क्लोजर रिपोर्ट सौंप दी है.

रिपोर्ट में 50 से अधिक आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई है. जबकि 10 से अधिक आरोपी ऐसे है, जिन्हें उनकी उम्र व बीमारियों के चलते उनकी जानकारी केवल शासन को दी गई है. अब कोर्ट को अंतिम फैसला सुनाना है और उसके बाद 1984 सिख दंगा पीड़ितों को इंसाफ और न्याय मिलने की उम्मीद है.

2018 से शुरू हुई थी आरोपियों को पकड़ने की कवायद: शहर में साल 2018 से 1984 सिख दंगा मामले में शामिल आरोपियों को पकड़ने की कवायद शुरू हुई थी. इस गंभीर मामले में एसआईटी ने कुल 94 आरोपी चिन्हित किए थे. हालांकि इनमें से 22 की मौत हो गई थी. 72 आरोपियों को पकड़ने के लिए एसआईटी के अफसरों ने जमकर पसीना बहाया. 43 आरोपियों को तो गिरफ्तार करके पहले जेल भेजा गया. इसके अलावा कई अन्य आरोपियों ने सरेंडर किया. अब पूरी फाइल शासन व कोर्ट की टेबल पर पहुंच चुकी है.

जानिए, क्या था 1984 सिख दंगा मामला: डीआईजी एसआईटी बालेंदू भूषण सिंह बताते हैं कि कानपुर में 1984 के दौरान सिख दंगा हुआ था. जिसमें अराजक तत्वों ने शहर के बर्रा, निराला नगर, गोविंद नगर, रतनलाल नगर समेत अन्य क्षेत्रों में सामूहिक रूप से सिख समुदाय के लोगों की नृशंस हत्या कर दी थी. इस मामले में 1000 से अधिक मुकदमे दर्ज किए गए थे. जबकि 40 मामले तो बेहद गंभीर श्रेणी वाले मुकदमों के थे. 1984 सिख दंगा मामले की जांच के लिए पीएम मोदी तक पीड़ितों ने अपनी बात पहुंचाई थी. इसके बाद सरकार ने एसआईटी गठित करने का फैसला किया था. एसआईटी ने तय समय में अपनी क्लोजर रिपोर्ट सरकार को सौंप भी दी.

यह भी पढ़ें:1984 सिख दंगा मामले में 43वां आरोपी अंवार अहमद गाजियाबाद से गिरफ्तार

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.