कानपुर : शहर का जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज इस समय चर्चा में है. मेडिकल कॉलेज के ठीक सामने बने एलएलआर अस्पताल में कुछ दिनों पहले थैलीसीमिया से पीड़ित 10 से अधिक बच्चों को संक्रमित खून चढ़ाए जाने की बात सामने आई थी. जिसे लेकर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और सूबे के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने ट्वीट कर सरकार पर हमला बोला था. हालांकि बुधवार को ही प्रेस कांफ्रेंस कर जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य ने मामले को पूरी तरह से बेबुनियाद बताया था. वहीं इस मामले में गुरुवार को नेशनल एड्स कंट्रोल आर्गेनाइजेशन (नाको) के सदस्य जांच करने के लिए जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज पहुंचे.
थैलीसीमिया पीड़ित मरीजों की फाइल चेक की : गाजियाबाद के ड्रग इंस्पेक्टर प्रमोद और कानपुर की ड्रग इंस्पेक्टर रेखा सचान ने कई घंटे तक मेडिकल कॉलेज ब्लड बैंक के दस्तावेजों को जांचा. टीम के सदस्यों ने पिछले पांच साल में तैयार 50 रजिस्टरों में दर्ज डाटा भी चेक किए. वहीं थैलीसीमिया पीड़ित मरीजों की हर फाइल पढ़ी. जांच टीम के सदस्यों का कहना था कि वह अपनी रिपोर्ट जल्द ही शासन को सौंपेंगे.दरअसल, जब इस मामले पर विपक्ष के आलानेताओं ने ट्वीट व अन्य सोशल मीडिया माध्यमों से तंज कसा तो सूबे के डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने मीडिया को बताया कि इस मामले का मेडिकल कॉलेज से कोई लेना-देना नहीं है.
परिजनों की चुप्पी से लग रहे कई कयास: इस पूरे मामले को लेकर शहर के सरकारी कार्यालयों से लेकर प्रशासनिक दफ्तरों तक तरह-तरह की चर्चाएं होती रहीं. मगर सभी के सामने एक सवाल था कि आखिर इस पूरे मामले पर उन बच्चों के परिजन क्यों चुप हैं, जिनके सामने संक्रमित खून चढ़ाया गया. वहीं मेडिकल कॉलेज के रिकार्ड में यह बात सामने आई है कि एलएलआर अस्पताल में न तो बच्चों को संक्रमित खून चढ़ाया गया, न ही कोई बच्चा परिसर में संक्रमित हुआ.