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नेत्र दान की मुहीम से लोगों की जिंदगी रोशन कर रहा यह परिवार

कानपुर का भाटिया परिवार 'नेत्र दान, महादान' की अलख जगा रहा है. इस परिवार ने अपने मोहल्ले के लोगों से नेत्र दान करने का आह्वान किया, जिससे बेरंग लोगों में खुशी के रंग भरे जा सके. उनकी मुहीम धीर-धीरे रंग लाने लगी और उनके पूरे मोहल्ले के लोगों ने अपने नेत्रों को दान करने का संकल्प ले लिया. इसके साथ ही अब वे देह दान करके चिकित्सा के छात्रों की मदद के लिए भी आगे आ रहे हैं.

eye donation in kanpur krishna nagar
नेत्र दानियों की नगरी बनी कृष्णा नगर,
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Published : Feb 26, 2021, 7:17 PM IST

कानपुर : 'मै अकेला ही चला था जानिब-ए-मंजिल, मगर लोग साथ आते गए और कारवां बनता गया' यह शेर कानपुर के कृष्णा नगर में रहने वाले मदन लाल भाटिया पर बिलकुल सटीक बैठता है. 1947 में भारत-पाक के विभाजन के बाद कृष्णा नगर में आकर बसे मदन लाल भाटिया के पिता ने लोगों को नेत्र दान करने के प्रति जागरूक करना शुरू किया था, लेकिन उस वक्त उनकी मुहीम को अपेक्षित सफलता नहीं मिली थी, लेकिन सन 2006 में मदन लाल भाटिया ने बेरंग लोगों में खुशियों के रंग भरने का बीड़ा उठाया, जिसको मूर्त रूप देने के लिए उन्होंने युग दधीचि देह दान संस्था के संस्थापक मनोज सेंगर से मिलकर कृष्णा नगर मोहल्ले के लोगों को नेत्र दान के प्रति जागरूक करना शुरू कर दिया, जिसका नतीजा यह निकला कि कृष्णा नगर मोहल्ले के 179 लोगों ने अपने नेत्रों का दान करके 358 लोगों के जीवन के अंधियारे को रोशनी से गुलजार कर दिया.

नेत्र दानियों की नगरी बनी कृष्णा नगर,
नेत्र दानियों की नगरी बनी कृष्णा नगर
कृष्णा नगर मोहल्ले में नेत्र दान की मुहीम चलाने वाले मदन लाल भाटिया का कहना है कि अब तो परम्परा हो गई है कि लोग कृष्णा नगर को नेत्र दानियों की नगरी के नाम से पहचानने लगे हैं. मदन लाल भाटिया नेत्र दान के प्रति इतने जागरूक हैं कि कानपुर के अलावा वो कई अन्य जनपदों में भी लोगों के नेत्रों का दान करवा चुके हैं. उनका कहना है कि जब इस मोहल्ले में किसी की मौत होती है, तब उनके परिजन स्वेच्छा से आकर नेत्र दान करने की बात कहते हैं. अब तक इस मोहल्ले के 550 लोगों ने अपने नेत्रों का दान करने का संकल्प पत्र भर चुके है.
नेत्र दान नहीं देखता मजहब
नेत्र दान कोई मजहब नहीं देखता. इसीलिए कानपुर से किया हुआ नेत्र दान कश्मीर में मुस्लिम महिला रुबीना को भी लगाया गया है.
अब देहदान को लेकर जागरूकता अभियान
युग दधीचि संस्था अब लोगों को देहदान अभियान से जोड़ रही है. संस्था द्वारा लोगों को इस बात के लिए प्रेरित किया जा रहा कि वह मृत्योपरांत अपनी देह चिकित्सा क्षेत्र में शोध के लिए मेडिकल कॉलेज को स्वेच्छा से दान कर दें और अपनी आंखों को किसी नेत्रहीन के लिए दान कर मिसाल भी पेश कर रहे है.

कानपुर : 'मै अकेला ही चला था जानिब-ए-मंजिल, मगर लोग साथ आते गए और कारवां बनता गया' यह शेर कानपुर के कृष्णा नगर में रहने वाले मदन लाल भाटिया पर बिलकुल सटीक बैठता है. 1947 में भारत-पाक के विभाजन के बाद कृष्णा नगर में आकर बसे मदन लाल भाटिया के पिता ने लोगों को नेत्र दान करने के प्रति जागरूक करना शुरू किया था, लेकिन उस वक्त उनकी मुहीम को अपेक्षित सफलता नहीं मिली थी, लेकिन सन 2006 में मदन लाल भाटिया ने बेरंग लोगों में खुशियों के रंग भरने का बीड़ा उठाया, जिसको मूर्त रूप देने के लिए उन्होंने युग दधीचि देह दान संस्था के संस्थापक मनोज सेंगर से मिलकर कृष्णा नगर मोहल्ले के लोगों को नेत्र दान के प्रति जागरूक करना शुरू कर दिया, जिसका नतीजा यह निकला कि कृष्णा नगर मोहल्ले के 179 लोगों ने अपने नेत्रों का दान करके 358 लोगों के जीवन के अंधियारे को रोशनी से गुलजार कर दिया.

नेत्र दानियों की नगरी बनी कृष्णा नगर,
नेत्र दानियों की नगरी बनी कृष्णा नगर
कृष्णा नगर मोहल्ले में नेत्र दान की मुहीम चलाने वाले मदन लाल भाटिया का कहना है कि अब तो परम्परा हो गई है कि लोग कृष्णा नगर को नेत्र दानियों की नगरी के नाम से पहचानने लगे हैं. मदन लाल भाटिया नेत्र दान के प्रति इतने जागरूक हैं कि कानपुर के अलावा वो कई अन्य जनपदों में भी लोगों के नेत्रों का दान करवा चुके हैं. उनका कहना है कि जब इस मोहल्ले में किसी की मौत होती है, तब उनके परिजन स्वेच्छा से आकर नेत्र दान करने की बात कहते हैं. अब तक इस मोहल्ले के 550 लोगों ने अपने नेत्रों का दान करने का संकल्प पत्र भर चुके है.
नेत्र दान नहीं देखता मजहब
नेत्र दान कोई मजहब नहीं देखता. इसीलिए कानपुर से किया हुआ नेत्र दान कश्मीर में मुस्लिम महिला रुबीना को भी लगाया गया है.
अब देहदान को लेकर जागरूकता अभियान
युग दधीचि संस्था अब लोगों को देहदान अभियान से जोड़ रही है. संस्था द्वारा लोगों को इस बात के लिए प्रेरित किया जा रहा कि वह मृत्योपरांत अपनी देह चिकित्सा क्षेत्र में शोध के लिए मेडिकल कॉलेज को स्वेच्छा से दान कर दें और अपनी आंखों को किसी नेत्रहीन के लिए दान कर मिसाल भी पेश कर रहे है.
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