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जनप्रतिनिधि हों या आम जनता, नियम तोड़ने पर सबका होगा चालान : डीसीपी ट्रैफिक

कानपुर में ट्रैफिक व्यवस्था को सुधारने और क्राइम को कंट्रोल करने के लिए कमिश्नर असीम अरुण ने बीबीजीटीएस मुर्थी को डीसीपी ट्रैफिक और डीसीपी पश्चिम का पदभार सौंपा है. इसको लेकर ईटीवी भारत के संवाददाता ने जाना कि इनके आने के बाद कानपुर में क्या कुछ खास होने वाला है.

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Published : Sep 4, 2021, 6:36 PM IST

बीबीजीटीएस मुर्थी डीसीपी ट्रैफिक से खास बातचीत.
बीबीजीटीएस मुर्थी डीसीपी ट्रैफिक से खास बातचीत.

कानपुर: महानगर में कमिश्नरेट प्रणाली लागू होने के बाद लगातार यहां की ट्रैफिक व्यवस्था को सुधारने का प्रयास किया जा रहा है. वीआईपी रोड के चौराहे हों या अन्य सभी जगह सिग्नल्स को सुधाने का का किया जा रहा है. इसी क्रम में कानपुर महानगर में डीसीपी ट्रैफिक और डीसीपी पश्चिम के पद पर तैनात बीबीजीटीएस मुर्थी से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की. ये हैदराबाद के रहने वाले हैं. कमिश्नरी सिस्टम लागू होने के बाद इनको कमिश्नर असीम अरुण ने इन पर भरोसा जताते हुए इनको डीसीपी ट्रैफिक और डीसीपी पश्चिम की जिम्मेदारी सौंपी है. ईटीवी भारत ने बीबीजीटीएस मुर्थी से जाना कि इनके आने के बाद कानपुर में क्या कुछ खास होने वाला है.

प्रश्न- हैदराबाद से उत्तर प्रदेश आना, भाषा बदलना, लोग बदलना कितनी कठिनाई आई ?

उत्तर- उत्तर प्रदेश में सर्विस करते हुए 6 साल हो गए हैं. शुरुआती दौर में भाषा में दिक्कत आई थी लेकिन, अब भाषा की इतनी दिक्कत नहीं होती है. कानपुर महानगर है और एक तरह से देखा जाए तो कानपुर आर्थिक राजधानी भी है. जहां ट्रैफिक को संभालना एक चुनौती है और उस चुनौती को स्वीकार करते हुए हम पिछले कई महीनों से कोशिश कर रहे हैं और आगे भी अच्छा करेंगे. कानपुर में कुछ महत्वपूर्ण जगहों को चिन्हित किया जिनमें जीटी रोड में चलने वाले लोगों की संख्या अधिक थी, वहां रेलवे लाइन भी है, जिसके चलते लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था लेकिन, अब ऐसा नहीं है. अब हर चौराहे पर ट्रैफिक पुलिस मौजूद रहती है और सारी व्यवस्थाओं को सुचारू रूप से चलाते हैं. कल्याणपुर में भी काफी समस्याएं आ रही थीं, जिसके चलते वहां भी सुधार किया गया है. मेट्रो बनने के कारण कानपुर की जनता को दिक्कत न हो इसके लिए भी प्लान बनाया गया है.

कानपुर की ट्रैफिक व्यवस्था पर खास बातचीत.

प्रश्न- ऑनलाइन चालान से जनता को दिक्कत हो रही है, क्योंकि कई बार फर्जी चालान भी हो जाता है, इस बारे में क्या कहेंगे ?

उत्तर- ऑनलाइन चालान तभी होता है जब लोग ट्रैफिक नियमों का पालन नहीं करते हैं. फालतू में किसी का चालान नहीं किया जाता है और अगर किसी का फर्जी चालान होता है तो वह मेरे पास आता है और मैं उसका चालान कैंसिल कर देता हूं. गाड़ी का चालान करने की एक प्रक्रिया होती है. जिसमें फोटो खींचकर फॉर्म भरा जाता है, जिसके बाद उसको सबमिट किया जाता है. सबमिट करने के बाद एक टीम उस चालान की फोटो को देखती है, अगर फोटो स्पष्ट नहीं है या गाड़ी का नंबर स्पष्ट नहीं है तो उस चालान को कैंसिल कर दिया जाता है. यह सब काम क्वालिटी कंट्रोल करती है.

प्रश्न- हाल ही में गोविंद नगर पुल से जनप्रतिनिधि सांसद देवेन्द्र सिंह भोले रॉन्ग साइड से जा रहे थे. ट्रैफिक पुलिस वहीं खड़ी थी, फिर भी उनका चालान क्यों नहीं हुआ ?

उत्तर- जनप्रतिनिधि और आम जनता दोनों ही बराबर है. अगर वह रॉन्ग साइड जा रहे थे तो उनका चालान अवश्य होना चाहिए था. अगर चालान नहीं हुआ है तो हो सकता है उनकी गाड़ी का नंबर स्पष्ट नहीं होगा, इसलिए चालान नहीं हुआ होगा. अगर गाड़ी का नंबर मुझे स्पष्ट मिल जाए तो जरूर चालान किया जाएगा.

प्रश्न- कानपुर का क्राइम और ट्रैफिक दोनों जिम्मेदारियां आपके कंधों पर हैं. कैसे दोनों जिम्मेदारियों का निर्वाह कर रहे हैं ?

उत्तर- कानपुर के कमिश्नर असीम अरुण ने मेरे ऊपर भरोसा जताया है और यह दोनों की जिम्मेदारियां मैं अच्छे से निभा रहा हूं और निभाता रहूंगा.

कानपुर: महानगर में कमिश्नरेट प्रणाली लागू होने के बाद लगातार यहां की ट्रैफिक व्यवस्था को सुधारने का प्रयास किया जा रहा है. वीआईपी रोड के चौराहे हों या अन्य सभी जगह सिग्नल्स को सुधाने का का किया जा रहा है. इसी क्रम में कानपुर महानगर में डीसीपी ट्रैफिक और डीसीपी पश्चिम के पद पर तैनात बीबीजीटीएस मुर्थी से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की. ये हैदराबाद के रहने वाले हैं. कमिश्नरी सिस्टम लागू होने के बाद इनको कमिश्नर असीम अरुण ने इन पर भरोसा जताते हुए इनको डीसीपी ट्रैफिक और डीसीपी पश्चिम की जिम्मेदारी सौंपी है. ईटीवी भारत ने बीबीजीटीएस मुर्थी से जाना कि इनके आने के बाद कानपुर में क्या कुछ खास होने वाला है.

प्रश्न- हैदराबाद से उत्तर प्रदेश आना, भाषा बदलना, लोग बदलना कितनी कठिनाई आई ?

उत्तर- उत्तर प्रदेश में सर्विस करते हुए 6 साल हो गए हैं. शुरुआती दौर में भाषा में दिक्कत आई थी लेकिन, अब भाषा की इतनी दिक्कत नहीं होती है. कानपुर महानगर है और एक तरह से देखा जाए तो कानपुर आर्थिक राजधानी भी है. जहां ट्रैफिक को संभालना एक चुनौती है और उस चुनौती को स्वीकार करते हुए हम पिछले कई महीनों से कोशिश कर रहे हैं और आगे भी अच्छा करेंगे. कानपुर में कुछ महत्वपूर्ण जगहों को चिन्हित किया जिनमें जीटी रोड में चलने वाले लोगों की संख्या अधिक थी, वहां रेलवे लाइन भी है, जिसके चलते लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था लेकिन, अब ऐसा नहीं है. अब हर चौराहे पर ट्रैफिक पुलिस मौजूद रहती है और सारी व्यवस्थाओं को सुचारू रूप से चलाते हैं. कल्याणपुर में भी काफी समस्याएं आ रही थीं, जिसके चलते वहां भी सुधार किया गया है. मेट्रो बनने के कारण कानपुर की जनता को दिक्कत न हो इसके लिए भी प्लान बनाया गया है.

कानपुर की ट्रैफिक व्यवस्था पर खास बातचीत.

प्रश्न- ऑनलाइन चालान से जनता को दिक्कत हो रही है, क्योंकि कई बार फर्जी चालान भी हो जाता है, इस बारे में क्या कहेंगे ?

उत्तर- ऑनलाइन चालान तभी होता है जब लोग ट्रैफिक नियमों का पालन नहीं करते हैं. फालतू में किसी का चालान नहीं किया जाता है और अगर किसी का फर्जी चालान होता है तो वह मेरे पास आता है और मैं उसका चालान कैंसिल कर देता हूं. गाड़ी का चालान करने की एक प्रक्रिया होती है. जिसमें फोटो खींचकर फॉर्म भरा जाता है, जिसके बाद उसको सबमिट किया जाता है. सबमिट करने के बाद एक टीम उस चालान की फोटो को देखती है, अगर फोटो स्पष्ट नहीं है या गाड़ी का नंबर स्पष्ट नहीं है तो उस चालान को कैंसिल कर दिया जाता है. यह सब काम क्वालिटी कंट्रोल करती है.

प्रश्न- हाल ही में गोविंद नगर पुल से जनप्रतिनिधि सांसद देवेन्द्र सिंह भोले रॉन्ग साइड से जा रहे थे. ट्रैफिक पुलिस वहीं खड़ी थी, फिर भी उनका चालान क्यों नहीं हुआ ?

उत्तर- जनप्रतिनिधि और आम जनता दोनों ही बराबर है. अगर वह रॉन्ग साइड जा रहे थे तो उनका चालान अवश्य होना चाहिए था. अगर चालान नहीं हुआ है तो हो सकता है उनकी गाड़ी का नंबर स्पष्ट नहीं होगा, इसलिए चालान नहीं हुआ होगा. अगर गाड़ी का नंबर मुझे स्पष्ट मिल जाए तो जरूर चालान किया जाएगा.

प्रश्न- कानपुर का क्राइम और ट्रैफिक दोनों जिम्मेदारियां आपके कंधों पर हैं. कैसे दोनों जिम्मेदारियों का निर्वाह कर रहे हैं ?

उत्तर- कानपुर के कमिश्नर असीम अरुण ने मेरे ऊपर भरोसा जताया है और यह दोनों की जिम्मेदारियां मैं अच्छे से निभा रहा हूं और निभाता रहूंगा.

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