कानपुर : जिले में बुधवार को नवरात्रि के प्रथम दिन ही मां के भक्तों को मायूसी का सामना करना पड़ा. दरअसल, कोरोना महामारी के बढ़ते मामलों को लेकर कानपुर के 1700 वर्ष पुराने ऐतिहासिक और पौराणिक मां बारा देवी मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए हैं. इस दौरान श्रद्धालुओं को बिना दर्शन के ही वापस लौटना पड़ा.
डीसीपी ने मंदिर का लिया जायजा
मंदिर प्रांगण में डीसीपी दक्षिण रवीना त्यागी ने जायजा लिया. डीसीपी ने मंदिर प्रांगण में बिना मास्क लगाए आए लोगों को मास्क भी वितरित किए. साथ ही उन्होंने लोगों से अपील की कि सभी कोविड-19 गाइडलाइंस का सख्ती से पालन करें. नवरात्रि पर्व पर मंदिर में प्रतिदिन लाखों श्रद्धालुओं का आना जाना रहता था, लेकिन कोरोना के खौफ से उसी मंदिर में पहुंच रहे भक्तों को मां के दर्शन किए बिना ही मायूस लौटना पड़ा. इससे भक्तों में साफ तौर पर निराशा देखी गई.
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बारादेवी मंदिर का इतिहास
कानपुर का बारादेवी मंदिर प्राचीनतम मंदिरों में से एक है. इस मंदिर का इतिहास तो किसी को सही से नहीं मालूम, लेकिन कानपुर और आस-पास के जिलों में रहने वाले लोगों में इस मंदिर की देवी के प्रति गहरी आस्था है. तभी साल के बारह महीनों और खासतौर पर नवरात्रि में लाखों भक्तों की अटूट आस्था बारादेवी मंदिर में उमड़ती है.
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मंदिर के नाम पर रखे गए कई इलाकों के नाम
कानपुर दक्षिण के ज्यादातर इलाकों के नाम बारादेवी मंदिर के नाम पर ही रखे गए हैं. इन इलाकों में बर्रा 1 से लेकर बर्रा 9 तक, बिन्गवा, बारासिरोही, बर्रा विश्व बैंक का नाम भी देवी के नाम पर ही रखा गया है. मंदिर में रहने वालों का कहना है कि कुछ समय पहले एएसआई की टीम ने इस मंदिर का सर्वेक्षण किया था, जिसमें पता चला था कि मंदिर की मूर्ति लगभग 15 से 17 सौ वर्ष पुरानी है.