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Jageshwar Mahadev Mandir: इस शिव मंदिर में दिन में 3 बार बदल जाता है शिवलिंग का रंग, दर्शन से पूरी होती हैं मनोकामनाएं

कानपुर में स्थित जागेश्वर महादेव मंदिर ( Jageshwar Mahadev Mandir) में हजारों किलोमीटर दूर से भक्त दर्शन करने के लिए आते हैं. इस मंदिर की विशेषता है कि यहां दिन में 3 बार शिवलिंग का रंग बदल जाता है. चलिए जानते क्या है मंदिर की विशेषता..

महंत गोपाल पंडित ने बताया
महंत गोपाल पंडित ने बताया
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Published : Aug 7, 2023, 7:39 PM IST

महंत गोपाल पंडित ने बताया.

कानपुर: सावन का महीना शुरू होने के बाद से ही देश भर के सभी शिव मंदिरों में स्थापित शिवालयों को भव्य रूप में सजा दिया जाता है. लोग सुबह से ही शिवालयों में भोलेनाथ का दर्शन करने के लिए पहुंचने लगते हैं. इसी तरह जिले में भोलेनाथ का एक जागेश्वर महादेव मंदिर है. इस मंदिर के चमत्कार को देखने के लिए हजारों किलोमीटर दूर से भक्त आते हैं. इस मंदिर की मान्यता है कि यहां का शिवलिंग दिन में 3 बार अपने रंग बदलता है. साथ ही यहां दर्शन करने से लोगों की मुराद भी पूरी होती है.

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जागेश्वर महादेव मंदिर का शिवलिंग दिन में 3 बार रंग बदलता है.


मंदिर का इतिहास: नवाबगंज थाना क्षेत्र के अंतर्गत बाबा भोलेनाथ का 300 वर्ष पुराना जागेश्वर महादेव मंदिर है. ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में मंदिर के महंत गोपाल पंडित ने बताया कि इस मंदिर में स्थापित बाबा भोलेनाथ का शिवलिंग सुबह के समय काले रंग, दोपहर में भूरे रंग और शाम के समय सफेद रंग में नजर आता है. उन्होंने बताया कि इस मंदिर की मान्यता है कि यहां ब्रह्मा जी ने जब बिठूर में यज्ञ किया था. उस समय उन्होंने इस शिवलिंग स्थापना की थी. इस वजह से यह पीपलेश्वर, लोकेश्वर और जागेश्वर के रूप में विख्यात है. इस शिवलिंग के चमत्कार को देखने के लिए कानपुर ही नहीं बल्कि अन्य जिलों से भी लोग भोले बाबा का दर्शन और उनका जलाभिषेक करने पहुंचते हैं.



पीपल के पेड़ पर नाग-नागिन का जोड़ा: महंत गोपाल पंडित ने बताया कि मंदिर प्रांगण में ही स्थित एकबार पीपल के पेड़ को मंदिर के निर्माण के लिए काटा जा रहा था. उस समय यहां पर नाग-नागिन का एक जोड़ा प्रकट हुआ था.इसके बाद इस पेड़ को काटने नहीं दिया गया था. यहां काफी मन्नतों के बाद आश्वासन दिया गया और प्रार्थना की गई थी कि मंदिर निर्माण के लिए इस पीपल के वृक्ष को नहीं काटा जाएगा. इस वजह से इस पीपल के वृक्ष की शाखाएं आज भी भोले बाबा को चारों ओर से घेरे हुए हैं. महंत ने बताया कि यहां स्थापित शिवलिंग अर्ध गोलाकार शैली में बना हुआ है. जहां नाग-नागिन आज भी होंगे. सावन में भोले नाथ का दर्शन करने के लिए भक्तों का तांता लगा रहता है.

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महंत गोपाल पंडित ने बताया.

कानपुर: सावन का महीना शुरू होने के बाद से ही देश भर के सभी शिव मंदिरों में स्थापित शिवालयों को भव्य रूप में सजा दिया जाता है. लोग सुबह से ही शिवालयों में भोलेनाथ का दर्शन करने के लिए पहुंचने लगते हैं. इसी तरह जिले में भोलेनाथ का एक जागेश्वर महादेव मंदिर है. इस मंदिर के चमत्कार को देखने के लिए हजारों किलोमीटर दूर से भक्त आते हैं. इस मंदिर की मान्यता है कि यहां का शिवलिंग दिन में 3 बार अपने रंग बदलता है. साथ ही यहां दर्शन करने से लोगों की मुराद भी पूरी होती है.

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जागेश्वर महादेव मंदिर का शिवलिंग दिन में 3 बार रंग बदलता है.


मंदिर का इतिहास: नवाबगंज थाना क्षेत्र के अंतर्गत बाबा भोलेनाथ का 300 वर्ष पुराना जागेश्वर महादेव मंदिर है. ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में मंदिर के महंत गोपाल पंडित ने बताया कि इस मंदिर में स्थापित बाबा भोलेनाथ का शिवलिंग सुबह के समय काले रंग, दोपहर में भूरे रंग और शाम के समय सफेद रंग में नजर आता है. उन्होंने बताया कि इस मंदिर की मान्यता है कि यहां ब्रह्मा जी ने जब बिठूर में यज्ञ किया था. उस समय उन्होंने इस शिवलिंग स्थापना की थी. इस वजह से यह पीपलेश्वर, लोकेश्वर और जागेश्वर के रूप में विख्यात है. इस शिवलिंग के चमत्कार को देखने के लिए कानपुर ही नहीं बल्कि अन्य जिलों से भी लोग भोले बाबा का दर्शन और उनका जलाभिषेक करने पहुंचते हैं.



पीपल के पेड़ पर नाग-नागिन का जोड़ा: महंत गोपाल पंडित ने बताया कि मंदिर प्रांगण में ही स्थित एकबार पीपल के पेड़ को मंदिर के निर्माण के लिए काटा जा रहा था. उस समय यहां पर नाग-नागिन का एक जोड़ा प्रकट हुआ था.इसके बाद इस पेड़ को काटने नहीं दिया गया था. यहां काफी मन्नतों के बाद आश्वासन दिया गया और प्रार्थना की गई थी कि मंदिर निर्माण के लिए इस पीपल के वृक्ष को नहीं काटा जाएगा. इस वजह से इस पीपल के वृक्ष की शाखाएं आज भी भोले बाबा को चारों ओर से घेरे हुए हैं. महंत ने बताया कि यहां स्थापित शिवलिंग अर्ध गोलाकार शैली में बना हुआ है. जहां नाग-नागिन आज भी होंगे. सावन में भोले नाथ का दर्शन करने के लिए भक्तों का तांता लगा रहता है.

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