कानपुर: शहर के प्राणिउद्यान में जैसे ही किसी वन्यजीव की मौत होती थी, तो वहां के चिकित्सकों और प्रशासनिक अफसरों के लिए स्थिति बहुत असहज हो जाती थी. कभी उन पर आरोप लगता था कि समय से वन्यजीव को इलाज नहीं मिला. कभी वन्यजीव के बेहतर प्रबंधन और रखरखाव को लेकर कई सवाल उठते थे. अब जानवरों के इलाज में देरी नहीं होगी. इसके लिए प्राणउद्यान प्रशासन ने डिजिटल एक्सरे की नई मशीन मंगवा ली है. इससे जानवरों को तुरंत इलाज मिल सकेगा.
दरअसल, यहां के अस्पताल में 14 सालों पुरानी मशीन से जानवरों का एक्सरे होता था. एक्सरे के लिए जिस फिल्म का उपयोग करते थे, उसे बाजार में धुलवाने भेजना पड़ता था. दो से तीन दिन तो यही पता लगाने में गुजरते थे कि आखिर वन्यजीव को क्या समस्या है? इस वजह से अक्सर कई जानवरों की स्थिति खराब हो जाती थी.
यह बात जब कई बार शासन तक पहुंची तो शासन ने अफसरों को निर्देशित किया कि डिजिटल दुनिया के दौर में डिजिटल एक्सरे मशीन मंगवाएं. जू निदेशक केके सिंह ने आईओसीएल कंपनी के प्रतिनिधियों से वार्ता कर उक्त मशीन का प्रस्ताव उनके समक्ष रखा. इसके बाद 10.31 लाख रुपये खर्च कर अब जू में डिजिटल एक्सरे मशीन आ गई है. इसे लेकर चिकित्सक व प्रशासनिक अफसरों ने सालों बाद राहत की सांस ली है.
इस बारे में जू निदेशक केके सिंह ने बताया कि जो डिजिटल एक्सरे मशीन मिली है, वह पोर्टेबल है यानी, अब हमें जैसे ही किसी वन्यजीव का एक्सरे करना होगा तो वन्यजीव को बाड़े से अस्पताल न लाकर, मशीन बाड़े में ले जाएंगे. जैसे ही संबंधित बीमारी की जानकारी प्रिंट से मिलेगी, वैसे ही चिकित्सक उसका इलाज शुरू कर देंगे. उन्होंने बताया कि मशीन सी-आर्म सिस्टम पर आधारित है. जैसे-जैसे एक्सरे होगा, वैसे-वैसे पूरी जानकारी मॉनीटर पर भी दिखेगी और वन्यजीव को इलाज मिल सकेगा.
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