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करगिल विजय दिवस: शहीद विजय ने गोलियों से घायल होने पर भी दुश्मनों को दिया मुंहतोड़ जवाब

करगिल युद्ध के दौरान हमारे देश के वीर सपूतों ने अपनी जान की परवाह किए बिना दुश्मनों को एलओसी से सफलता पूर्वक खदेड़ कर ही दम लिया. इस युद्ध के दौरान शहीद विजय यादव ने 'ऑपेरशन विजय' की विजय गाथा लिखी. वह दुश्मनों से लड़ते-लड़ते शहीद हो गए.

करगिल विजय.
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Published : Jul 25, 2019, 11:17 PM IST

कानपुर: करगिल युद्ध के दौरान हमारे देश के वीर सपूतों ने अपनी जान की परवाह किए बिना देश की आन, बान और शान के लिए 'ऑपरेशन विजय' में अदम्य साहस और वीरता का परिचय दिया. वीर जवानों ने अपने सीने पर गोली खा कर भी दुश्मनों को एलओसी से सफलतापूर्वक खदेड़ कर ही दम लिया. भारतीय फौज का लोहा पूरा विश्व मानता है. करगिल युद्ध के दौरान तोलोलिंग की लड़ाई के दौरान शहीद विजय यादव ने भी अद्भुत साहस और वीरता का परिचय दिया.

शहीद विजय यादव के परिजनों से बातचीत करते ईटीवी भारत के संवाददाता.

दुश्मनों से लड़ते-लड़ते शहीद हुए विजय यादव

  • बर्रा इलाके के रहने वाले शहीद विजय यादव ने दुश्मनों की गोलियों की परवाह किए बिना आगे बढ़ते गए.
  • जो उनके रास्ते में आया, उसे मौत के घाट उतारते गए.
  • इसी दौरान उनके शरीर पर कई गोलियां लगीं और देश का यह शूरवीर वीर गति को प्राप्त हो गया.
  • तत्कालीन सरकार ने करगिल युद्ध के शहीद सपूतों के परिजनों को पेट्रोल पंप दिया.
  • विजय के परिजनों ने पेट्रोल पंप का नाम करगिल विजय रखा.
  • 20 साल पहले 26 जुलाई को भारतीय सेना ने पाकिस्तानियों को खदेड़कर करगिल युद्ध फतह किया था.
  • शहीद जवान विजय यादव के परिवार को तत्कालीन सरकार ने 2000 में पेट्रोल पंप आवंटित किया था.
  • ईटीवी भारत से बातचीत में करगिल के शहीद के परिजन ने बताया कि उनके दिल में आज भी पाकिस्तान को लेकर गुस्सा है.
  • अपने बच्चों को सेना में भेजने की तैयारी भी चल रही है.

1997 में सेना में भर्ती हुए थे विजय

  • विजय यादव का जन्म यूपी के जनपद फतेहपुर के अमौली ब्लॉक के झाऊपुर गांव में किसान के घर में 1976 को हुआ था.
  • दो साल की नौकरी के दौरान इन्हें दूसरी बार कश्मीर में जाने का मौका मिला.
  • यहां सन 1999 में करगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तान से लोहा लेते वक्त शहीद हो गए थे.

कानपुर: करगिल युद्ध के दौरान हमारे देश के वीर सपूतों ने अपनी जान की परवाह किए बिना देश की आन, बान और शान के लिए 'ऑपरेशन विजय' में अदम्य साहस और वीरता का परिचय दिया. वीर जवानों ने अपने सीने पर गोली खा कर भी दुश्मनों को एलओसी से सफलतापूर्वक खदेड़ कर ही दम लिया. भारतीय फौज का लोहा पूरा विश्व मानता है. करगिल युद्ध के दौरान तोलोलिंग की लड़ाई के दौरान शहीद विजय यादव ने भी अद्भुत साहस और वीरता का परिचय दिया.

शहीद विजय यादव के परिजनों से बातचीत करते ईटीवी भारत के संवाददाता.

दुश्मनों से लड़ते-लड़ते शहीद हुए विजय यादव

  • बर्रा इलाके के रहने वाले शहीद विजय यादव ने दुश्मनों की गोलियों की परवाह किए बिना आगे बढ़ते गए.
  • जो उनके रास्ते में आया, उसे मौत के घाट उतारते गए.
  • इसी दौरान उनके शरीर पर कई गोलियां लगीं और देश का यह शूरवीर वीर गति को प्राप्त हो गया.
  • तत्कालीन सरकार ने करगिल युद्ध के शहीद सपूतों के परिजनों को पेट्रोल पंप दिया.
  • विजय के परिजनों ने पेट्रोल पंप का नाम करगिल विजय रखा.
  • 20 साल पहले 26 जुलाई को भारतीय सेना ने पाकिस्तानियों को खदेड़कर करगिल युद्ध फतह किया था.
  • शहीद जवान विजय यादव के परिवार को तत्कालीन सरकार ने 2000 में पेट्रोल पंप आवंटित किया था.
  • ईटीवी भारत से बातचीत में करगिल के शहीद के परिजन ने बताया कि उनके दिल में आज भी पाकिस्तान को लेकर गुस्सा है.
  • अपने बच्चों को सेना में भेजने की तैयारी भी चल रही है.

1997 में सेना में भर्ती हुए थे विजय

  • विजय यादव का जन्म यूपी के जनपद फतेहपुर के अमौली ब्लॉक के झाऊपुर गांव में किसान के घर में 1976 को हुआ था.
  • दो साल की नौकरी के दौरान इन्हें दूसरी बार कश्मीर में जाने का मौका मिला.
  • यहां सन 1999 में करगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तान से लोहा लेते वक्त शहीद हो गए थे.
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कानपुर:-ऑपेरशन विजय के शहीद ने गोलियों से घायल होने पर भी दुश्मनों को दिया मुँहतोड़ जवाब

कारगिल युद्ध के दौरान हमारे देश के वीर सपूतों ने अपनी जान की परवाह किए बिना देश की आन-बान-शान के लिए ऑपरेशन विजय में अदम्य साहस और वीरता की शौर्य गाथा ऐसी लिखी की पाक की नापाक हरकत का ईट का जवाब ना सिर्फ पत्थर से दिया बल्कि अपने सीने पर गोली खा कर भी दुश्मनों को अपनी एलओसी से सफलता पूर्वक खदेड़ कर ही दम लिया। भारतीय फौज का लोहा पूरा विश्व मानता है हमारे वीर योद्धा ने दिखा दिया था 1999 में हम हर हालत में दुश्मनों को नेस्तनाबूद करने में सक्षम है।कारगिल युद्ध के दौरान तोलोलिंग की लड़ाई के दौरान कानपुर के लाल शहीद विजय यादव ने ऑपेरशन विजय की विजय गाथा लिख डाली। बर्रा इलाके के निवासी शहीद विजय यादव ने दुश्मनों की गोलियों की परवाह किए बिना आगे बढ़ते गए जो उनके रास्ते में आया उसे मौत के घाट उतारते गए। इसी  दौरान उनके शरीर पर कई गोलियां लगीं और देश का यह शूर वीर ,वीर गति को प्राप्त हो गया।





Body:तत्कालीन सरकार ने जब कारगिल युद्ध के शहीद सपूतों के परिजनों को पेट्रोल पंप दिए तो विजय के परिजनों ने कारगलि विजय रखा पेट्रोल पंप का नाम। 20 साल पहले आज के ही दिन यानी 26 जुलाई को भारतीय सेना ने पाकिस्तानी को खदेड़कर कारगिल युद्ध फतह किया था। कारगिल युद्ध में शहीद हुए जवान विजय यादव के परिवार को तत्कालीन सरकार ने  सन 2000 में शहीद के परिजन को पेट्रोल पम्प आवंटित किया था।
ईटीवी भारत से बातचीत में कारगिल के शहीद के परिजन ने बताया की उनके दिल में आज भी पाकिस्तान को लेकर गुस्सा है।अपने बच्चों को सेना में भेजने की तैयारी भी चल रही है।




Conclusion:1997 में सेना में भर्ती हुए थे वीर योद्धा।
विजय यादव का जन्म यूपी के जनपद फतेहपुर के अमौली ब्लॉक के झाऊपुर ग्राम में किसान के घर में 1976 को हुआ था। दो साल की नौकरी के दौरान इन्हें दूसरी बार कश्मीर में जाने का मौका मिला। जहाँ सन 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तान से लोहा लेते वक्त शहीद हो गए थे।

बाईट:- सुनील....शहीद का रिश्तेदार।

रजनीश दीक्षित,
कानपुर।
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