कानपुर: करगिल युद्ध के दौरान हमारे देश के वीर सपूतों ने अपनी जान की परवाह किए बिना देश की आन, बान और शान के लिए 'ऑपरेशन विजय' में अदम्य साहस और वीरता का परिचय दिया. वीर जवानों ने अपने सीने पर गोली खा कर भी दुश्मनों को एलओसी से सफलतापूर्वक खदेड़ कर ही दम लिया. भारतीय फौज का लोहा पूरा विश्व मानता है. करगिल युद्ध के दौरान तोलोलिंग की लड़ाई के दौरान शहीद विजय यादव ने भी अद्भुत साहस और वीरता का परिचय दिया.
दुश्मनों से लड़ते-लड़ते शहीद हुए विजय यादव
- बर्रा इलाके के रहने वाले शहीद विजय यादव ने दुश्मनों की गोलियों की परवाह किए बिना आगे बढ़ते गए.
- जो उनके रास्ते में आया, उसे मौत के घाट उतारते गए.
- इसी दौरान उनके शरीर पर कई गोलियां लगीं और देश का यह शूरवीर वीर गति को प्राप्त हो गया.
- तत्कालीन सरकार ने करगिल युद्ध के शहीद सपूतों के परिजनों को पेट्रोल पंप दिया.
- विजय के परिजनों ने पेट्रोल पंप का नाम करगिल विजय रखा.
- 20 साल पहले 26 जुलाई को भारतीय सेना ने पाकिस्तानियों को खदेड़कर करगिल युद्ध फतह किया था.
- शहीद जवान विजय यादव के परिवार को तत्कालीन सरकार ने 2000 में पेट्रोल पंप आवंटित किया था.
- ईटीवी भारत से बातचीत में करगिल के शहीद के परिजन ने बताया कि उनके दिल में आज भी पाकिस्तान को लेकर गुस्सा है.
- अपने बच्चों को सेना में भेजने की तैयारी भी चल रही है.
1997 में सेना में भर्ती हुए थे विजय
- विजय यादव का जन्म यूपी के जनपद फतेहपुर के अमौली ब्लॉक के झाऊपुर गांव में किसान के घर में 1976 को हुआ था.
- दो साल की नौकरी के दौरान इन्हें दूसरी बार कश्मीर में जाने का मौका मिला.
- यहां सन 1999 में करगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तान से लोहा लेते वक्त शहीद हो गए थे.