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कानपुर की आरती बनी गंगा दूत, 200 महिलाओं के साथ सालों से कर रही हैं गंगा घाटों की सफाई

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 6, 2023, 3:55 PM IST

कानपुर की आरती कुशवाहा को सरकार ने गंगा दूत बनाया है. आरती पिछले कई साल से महिलाओं को एकत्रित कर गंगा और घाटों की सफाई के कारण मिला है.

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कानपुर: 'कौन कहता है, आसमां में सुराख नहीं होता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों' यह बिठूर थाना क्षेत्र निवासी आरती कुशवाहा पर यह पंक्तियां पूरी तरह से चरितार्थ होते दिखती हैं. साल 2017 में आरती ने गंगा किनारे गांव की कुछ महिलाओं के संग दैनिक कार्यों से मुक्त होकर जो गंगा सफाई का सपना संजोया था, वह 6 साल की कड़ी मेहनत से साकार होते दिखने लगा है. इसकी बानगी है कि केंद्रीय सरकार की सहयोगी संस्था नमामि गंगे की ओर से आरती को गंगा दूत चुना गया है. आगामी 8 दिसंबर को राजधानी लखनऊ में नमामि गंगे की ओर से होने वाले कार्यक्रम में आरती को जलशक्ति मंत्री खुद सम्मानित करेंगे. आरती के जुनूनी काम और लगन को सभी ने सराहा है.

गंगा घाटों की सफाई में आरती को साथ देती हैं 200 महिलाएं.
गंगा घाटों की सफाई में आरती को साथ देती हैं 200 महिलाएं.
बुलंद इरादों और मजबूत इच्छाशक्ति से बनाई टीम: वैसे तो गंगा सफाई को लेकर केंद्र से लेकर राज्य सरकार व तमाम निजी संस्थाओं के जिम्मेदार लगातार अपनी ओर से कवायद कर रहे हैं. हालांकि, आरती ने दिखावे से दूर रहते हुए पहले कुछ महिलाओं का सहयोग लिया और बिठूर स्थित ब्रह्मावर्त घाट पर बिना नाक-मुंह सिकोड़े गंदगी को साफ करना शुरू किया. ईटीवी भारत संवाददाता से बातचीत में आरती ने बताया कि गंगा किनारे जो आयोजन होते हैं, उससे घाटों के किनारे गंदगी हो जाती है. फिर वह कूड़ा-कचरा और गंदा पानी गंगा में गिरता है. इसको देखते हुए उसने तय किया कि महिलाओं की एक ऐसी सशक्त टीम तैयार करेगी, जो बिना झिझक गंगा घाटों की सफाई में सहयोग दे. इसके बाद यूनिफॉरनैक्स सेवा समिति संस्था बनाई और महिलाओं को जोड़ा. नमामि गंगे से जुड़कर वह स्पेयर हेड के रूप में काम करती हैं. जिसमें उन्हें किसी तरह का कोई पारिश्रमिक नहीं मिलता.
टीम के साथ गंगा घाट की सफाई करती आरती.
टीम के साथ गंगा घाट की सफाई करती आरती.

आरती ने कर रखा इंटीरियर डिजाइनिंग का कोर्स: आरती ने बताया कि साल 2017 में सबसे पहले उन्होंने हेल्थ वर्कर के तौर पर काम करना शुरू किया था. इससे उनका लगाव गांव की महिलाओं से हो गया. फिर एक दिन नमामि गंगे टीम के सदस्यों से मिली. सदस्यों ने उन्हें अपने साथ काम करने को कहा, जिस पर वह तैयार हो गईं. आरती कहती हैं, महिलाओं को उनके घर से बाहर निकालना सबसे बड़ी चुनौती है. लेकिन, वह मुस्कुराकर बोलती हैं कि जब आप खुद काम करते हो तो आपके साथ हाथ बढ़ाने वाले कई हाथ अपने आप आ जाते हैं. आरती के पिता विश्वनाथ कुशवाहा दुकानदार हैं और मां शारदा कुशवाहा गृहणी हैं. आरती ने कहा, उनके काम में उन्हें घर से पूरा समर्थन मिलता है.

नमागि गंगे टीम के साथ आरती कुशवाहा.
नमागि गंगे टीम के साथ आरती कुशवाहा.

इसे भी पढ़ें-साइबेरियन क्रेन के शिकार का VIDEO: गंगा में 'विदेशी मेहमानों' को धड़ल्ले से मार रहे, बोरियों में भरकर ले जा रहे लोग


कानपुर: 'कौन कहता है, आसमां में सुराख नहीं होता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों' यह बिठूर थाना क्षेत्र निवासी आरती कुशवाहा पर यह पंक्तियां पूरी तरह से चरितार्थ होते दिखती हैं. साल 2017 में आरती ने गंगा किनारे गांव की कुछ महिलाओं के संग दैनिक कार्यों से मुक्त होकर जो गंगा सफाई का सपना संजोया था, वह 6 साल की कड़ी मेहनत से साकार होते दिखने लगा है. इसकी बानगी है कि केंद्रीय सरकार की सहयोगी संस्था नमामि गंगे की ओर से आरती को गंगा दूत चुना गया है. आगामी 8 दिसंबर को राजधानी लखनऊ में नमामि गंगे की ओर से होने वाले कार्यक्रम में आरती को जलशक्ति मंत्री खुद सम्मानित करेंगे. आरती के जुनूनी काम और लगन को सभी ने सराहा है.

गंगा घाटों की सफाई में आरती को साथ देती हैं 200 महिलाएं.
गंगा घाटों की सफाई में आरती को साथ देती हैं 200 महिलाएं.
बुलंद इरादों और मजबूत इच्छाशक्ति से बनाई टीम: वैसे तो गंगा सफाई को लेकर केंद्र से लेकर राज्य सरकार व तमाम निजी संस्थाओं के जिम्मेदार लगातार अपनी ओर से कवायद कर रहे हैं. हालांकि, आरती ने दिखावे से दूर रहते हुए पहले कुछ महिलाओं का सहयोग लिया और बिठूर स्थित ब्रह्मावर्त घाट पर बिना नाक-मुंह सिकोड़े गंदगी को साफ करना शुरू किया. ईटीवी भारत संवाददाता से बातचीत में आरती ने बताया कि गंगा किनारे जो आयोजन होते हैं, उससे घाटों के किनारे गंदगी हो जाती है. फिर वह कूड़ा-कचरा और गंदा पानी गंगा में गिरता है. इसको देखते हुए उसने तय किया कि महिलाओं की एक ऐसी सशक्त टीम तैयार करेगी, जो बिना झिझक गंगा घाटों की सफाई में सहयोग दे. इसके बाद यूनिफॉरनैक्स सेवा समिति संस्था बनाई और महिलाओं को जोड़ा. नमामि गंगे से जुड़कर वह स्पेयर हेड के रूप में काम करती हैं. जिसमें उन्हें किसी तरह का कोई पारिश्रमिक नहीं मिलता.
टीम के साथ गंगा घाट की सफाई करती आरती.
टीम के साथ गंगा घाट की सफाई करती आरती.

आरती ने कर रखा इंटीरियर डिजाइनिंग का कोर्स: आरती ने बताया कि साल 2017 में सबसे पहले उन्होंने हेल्थ वर्कर के तौर पर काम करना शुरू किया था. इससे उनका लगाव गांव की महिलाओं से हो गया. फिर एक दिन नमामि गंगे टीम के सदस्यों से मिली. सदस्यों ने उन्हें अपने साथ काम करने को कहा, जिस पर वह तैयार हो गईं. आरती कहती हैं, महिलाओं को उनके घर से बाहर निकालना सबसे बड़ी चुनौती है. लेकिन, वह मुस्कुराकर बोलती हैं कि जब आप खुद काम करते हो तो आपके साथ हाथ बढ़ाने वाले कई हाथ अपने आप आ जाते हैं. आरती के पिता विश्वनाथ कुशवाहा दुकानदार हैं और मां शारदा कुशवाहा गृहणी हैं. आरती ने कहा, उनके काम में उन्हें घर से पूरा समर्थन मिलता है.

नमागि गंगे टीम के साथ आरती कुशवाहा.
नमागि गंगे टीम के साथ आरती कुशवाहा.

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