कानपुर: 'कौन कहता है, आसमां में सुराख नहीं होता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों' यह बिठूर थाना क्षेत्र निवासी आरती कुशवाहा पर यह पंक्तियां पूरी तरह से चरितार्थ होते दिखती हैं. साल 2017 में आरती ने गंगा किनारे गांव की कुछ महिलाओं के संग दैनिक कार्यों से मुक्त होकर जो गंगा सफाई का सपना संजोया था, वह 6 साल की कड़ी मेहनत से साकार होते दिखने लगा है. इसकी बानगी है कि केंद्रीय सरकार की सहयोगी संस्था नमामि गंगे की ओर से आरती को गंगा दूत चुना गया है. आगामी 8 दिसंबर को राजधानी लखनऊ में नमामि गंगे की ओर से होने वाले कार्यक्रम में आरती को जलशक्ति मंत्री खुद सम्मानित करेंगे. आरती के जुनूनी काम और लगन को सभी ने सराहा है.
आरती ने कर रखा इंटीरियर डिजाइनिंग का कोर्स: आरती ने बताया कि साल 2017 में सबसे पहले उन्होंने हेल्थ वर्कर के तौर पर काम करना शुरू किया था. इससे उनका लगाव गांव की महिलाओं से हो गया. फिर एक दिन नमामि गंगे टीम के सदस्यों से मिली. सदस्यों ने उन्हें अपने साथ काम करने को कहा, जिस पर वह तैयार हो गईं. आरती कहती हैं, महिलाओं को उनके घर से बाहर निकालना सबसे बड़ी चुनौती है. लेकिन, वह मुस्कुराकर बोलती हैं कि जब आप खुद काम करते हो तो आपके साथ हाथ बढ़ाने वाले कई हाथ अपने आप आ जाते हैं. आरती के पिता विश्वनाथ कुशवाहा दुकानदार हैं और मां शारदा कुशवाहा गृहणी हैं. आरती ने कहा, उनके काम में उन्हें घर से पूरा समर्थन मिलता है.