कानपुर: ऐसा नहीं है कि जिले में कमिश्नरेट व्यवस्था लागू होने के बाद अपराध का ग्राफ बहुत तेजी से नीचे गिर गया. लेकिन यह बात भी है कि इस नई व्यवस्था से अपराध काफी हद तक नियंत्रित हुआ है. अब, कमिश्नरेट लागू होने के बाद शहर में थानों की संख्या 52 पहुंच चुकी है और पुलिस थानों के वांछित अपराधियों को दबोचने के लिए तैयार है.
दो नए थानों का शुभारंभः डीसीपी सेंट्रल रवींद्र कुमार ने रविवार को जिले में दो नए थानों- रेउना व सेन पश्चिपारा का शुभारंभ किया. शहर में पिछले छह माह के अंदर 8 नए थानों को शुरू किया गया है. इनमें अरौल, साढ़, हनुमंत विहार, गुजैनी, जाजमऊ, रावतपुर समेत अन्य शामिल हैं. कमिश्नरेट पुलिस के आला अफसरों का कहना है कि सुरक्षा सिस्टम को बेहतर बनाने की दिशा में थानों का गठन किया गया है. लोग, थानों में आकर अपनी समस्या बता सकते हैं. जिससे समय से उसका समाधान भी किया जा सके.
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50 हजार की आबादी पर एक थाना: शासन की नियमावली को देखें तो जिले में 50 हजार की आबादी पर एक थाना होना चाहिए. लेकिन कानपुर में अभी यह संभव नहीं है. डीएम कार्यालय से मिले आंकड़ों के मुताबिक शहर की आबादी करीब 60 लाख है, जबकि थानों की संख्या अभी महज 52 है. ऐसे में कहा जा सकता है कि अपराध पर पूरी तरह नियंत्रण के लिए शासन को जिले के लिए कुछ और नए थानों की स्वीकृति देनी होगी.
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इन थाना क्षेत्रों में अपराध अधिक: पिछले एक साल के अपराध संबंधी मामलों को देखें तो शहर में चकेरी, महाराजपुर, नवाबगंज, बिधनू, बर्रा, बिठूर समेत कई ऐसे थाने हैं जहां अपराध बहुत अधिक हुआ है. पुलिस ने कार्रवाई जरूर की, लेकिन हमेशा देरी के चलते खूब किरकिरी भी हुई है.
थानों की संख्या बढ़ने से क्राइम कंट्रोल होगा. लोग, अब अपनी समस्या बताने के लिए नए थानों में जा सकते हैं. हम अपराध नियंत्रित करने की दिशा में लगातार काम कर रहे हैं.
-आनंद प्रकाश तिवारी, संयुक्त पुलिस आयुक्त कानून व्यवस्था