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एक गांव ऐसा भी, जहां नहीं बनते दो मंजिला मकान...

आस्था हमेशा से विकास पर भारी रही है. इसका उदाहरण एक बार फिर कानपुर देहात के मावर गांव में देखने को मिला है, जहां लोग आस्था के चलते दो मंजिला मकान तक नहीं बनवाते हैं.

कानपुर देहात
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Published : Jul 10, 2019, 2:46 PM IST

कानपुर देहात: जिले का मावर इलाका कुछ खास है, यहां के लोगों ने खुद के लिए आशियाना तो बनाया, लेकिन किसी भी आशियाने की ऊंचाई एक मंजिल से ऊपर नहीं गई. इतना ही नहीं यहां छत पर जाने के लिए किसी भी मकान में सीढ़ियां तक नहीं हैं. ऐसा भी नहीं है कि यहां के लोग आर्थिक रूप से सम्पन्न नहीं हैं, यहां के लोग आर्थिक और कृषि दोनों रूप से सम्पन्न हैं. बावजूद इसके यहां किसी ने दो मंजिला मकान नहीं बनवाया.

देखें रिपोर्ट.

दो हजार की आबादी वाले इस गांव में दो मंजिला मकान न होने की वजह आस्था है. जी हां, यहां के लोगों का मानना है कि गांव में मौजूद हजरत काजी मुतैरक उल्लाह शेख शाह बाबा शरीफ नहीं चाहते कि कोई उनसे ऊपर लेट सके. मान्यता है कि यहां किसी ने दो मंजिला मकान बनाई भी थी, लेकिन आज उस परिवार में कोई चिराग जलाने वाला भी नहीं बचा है.

आस्था की इस लहर के चलते भले ही यहां के लोगों ने आज तक घरों की दूसरी मंजिल का निर्माण नहीं कराया है, लेकिन इस गांव की तस्वीरों से एक बात तो साफ हो जाती है कि आज भी देश में कई ऐसे इलाके हैं, जहां आस्था विकास पर भारी दिखाई पड़ती है.

कानपुर देहात: जिले का मावर इलाका कुछ खास है, यहां के लोगों ने खुद के लिए आशियाना तो बनाया, लेकिन किसी भी आशियाने की ऊंचाई एक मंजिल से ऊपर नहीं गई. इतना ही नहीं यहां छत पर जाने के लिए किसी भी मकान में सीढ़ियां तक नहीं हैं. ऐसा भी नहीं है कि यहां के लोग आर्थिक रूप से सम्पन्न नहीं हैं, यहां के लोग आर्थिक और कृषि दोनों रूप से सम्पन्न हैं. बावजूद इसके यहां किसी ने दो मंजिला मकान नहीं बनवाया.

देखें रिपोर्ट.

दो हजार की आबादी वाले इस गांव में दो मंजिला मकान न होने की वजह आस्था है. जी हां, यहां के लोगों का मानना है कि गांव में मौजूद हजरत काजी मुतैरक उल्लाह शेख शाह बाबा शरीफ नहीं चाहते कि कोई उनसे ऊपर लेट सके. मान्यता है कि यहां किसी ने दो मंजिला मकान बनाई भी थी, लेकिन आज उस परिवार में कोई चिराग जलाने वाला भी नहीं बचा है.

आस्था की इस लहर के चलते भले ही यहां के लोगों ने आज तक घरों की दूसरी मंजिल का निर्माण नहीं कराया है, लेकिन इस गांव की तस्वीरों से एक बात तो साफ हो जाती है कि आज भी देश में कई ऐसे इलाके हैं, जहां आस्था विकास पर भारी दिखाई पड़ती है.

Intro:नोट- फूल पैकेज स्पेशल स्टोरी नोट- E tv bharat एब से up-cnd-makan-2019-visual+w t+bite-7205968 नाम की 1 फाइल भेजी जा चुकी है । एंकर-यूपी के कानपुर देहात का एक गांव जो मावर नदी के किनारे बसा हुआ है..जहा आज तक किसी ने भी अपने घर मे नही बनाई दूसरी मंजिल और न ही पहली मंजिल की छत तक जाने के लिए किसी ने पक्का जीना. जिसने भी की दूसरी मंजिल बनाने की हिम्मत की उसका पूरा परिवार हुआ साफ नही रहे घर मे चिराग जलाने वाले लोग.... तो देखिए हमारी स्पेशल रिपोर्ट etv भारत पर रहस्य महि गांव की दास्तां सिर्फओ सिर्फ etv भारत पर......।


Body:वी0ओ0-कानपुर देहात के मावर इलाका कुछ खाश है जहा कई पीढियां गुजरने के बावजूद लोगो ने अपने रहने के लिए आशियाने तो बनवाए लेकिन आज तक इस पूरे इलाके में एक ही मंजिल के मकान ही बने है और दूसरी मंजिल आज तक किसी ने नही बनवाई खाश बात यह है कि घर की छतों पर जाने के लिए किसी भी मकान में पक्के जीने तक नही है ऐसा नही की यहाँ के लोग आर्थिक रूप से संपन्न नही है लोग यहां संपन्न भी है और बड़े पैमाने पर बावजूद इसके आजतक इस पूरे इलाके में 70 से 80 घरों वाला यह गांव सिर्फ एक ही मंजिल के मकानों से सुसज्जित नजर आ रहा है...... दरअसल इस गांव की आबादी लगभग 2 हजार लोगों की है और सेकड़ो साल से यहाँ की एक मान्यता है कि इस गांव में बनी हजरत काजी मुतैरक उल्लाह शेख शाह बाबा की मजार की वजह से लोग यहाँ घरों की दूसरी मंजिल नही बनवाते है। लोगो का मानना है कि मजार के बाबा शरीफ नही चाहते कि कोई उनसे ऊपर लेट सके .लोगो के मुताबिक एक बार गाँव के एक सख्श ने दूसरी मंजिल बनवाने की हिम्मत की थी तो उसके परिवार में आज तक कोई भी चिराग जलाने वाला नही बचा है.... 70 से 80 घरो वाला यह गांव मुस्लिम बाहुल इलाका है और लोगो की आस्था इस मजार से जुड़ी हुई है बीते समय मे हुए हादसों के कारण आज किसी की भी हिम्मत नही होती कि वह अपने घरों की छत पर दूसरी मंजिल का निर्माण करा सके.....तो वही etv भारत की टीम की मुलाकात हुई इस गांव के सबसे बुजुर्ग सख्श से जिन्हों ने बताया इस गांव की रहस्यमयी दस्ता के बारे में यहा गांव गांव नही बल्कि एक जंगल मे बस बड़ा कस्बा हुआ करता था जो मवार सरीख के नाम से जाना जाता है अगर किसी यहा के खिलाफ जाकर दो मंजिला मकान व मकान में जीने का निर्माण भी कराया तो वो नसतो नाबूत हो गया जिसका प्रमाण गांव वाले देख चुके है और ये शान के खिलाफ है..... वाईट- सफीक अहमद ( ग्रामीण)


Conclusion:वी0ओ0 बहरहला आस्था की इस लहर के कारण आज तक लोगो ने घरों की दूसरी मंजिल का निर्माण भले ही न कराया है लेकिन इस गांव की इस तस्बीर से एक बात जरूर साफ हो जाती है कि आज भी देश मे ऐसे इलाके है जहाँ लोग आस्था के सफर पर निकलते हुए अंधविस्वास की मंजिल तय करते है नतीजन सब कुछ होने के बावजूद वे विकास के रास्ते पर चाह कर भी चलने की हिम्मत जुटा नही पाते......। mob-9616567545 Date- 10-7-2019 Center - Kanpur dehat Reporter - Himanshu sharma
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