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खिलजी वंश के बादशाह की वो इमारत, जो अब खंडहर में बदल गया है - दिल्ली सल्तनत

कानपुर देहात में खिलजी वंश के दूसरे शासक अलाउद्दीन खिलजी के द्वारा अपने सेनापति मलिक चमन के नाम से एक इमारत बनवाई गई थी. बाद में इसी में मलिक की दरगाह बना दी गई. आज ये इमारत खंडहर में तब्दील हो चुकी है. इस ओर न सरकार ध्यान दे रही है न ही जिला प्रशासन.

कानपुर देहात में स्थित सेनापति चमन मलिक की दरगाह.
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Published : Sep 2, 2019, 9:22 AM IST

कानपुर देहात: हिंदुस्तान के अगर अलग-अलग राज्यों की बात करे तो आज भी कुछ ऐसी खूबसूरती की मुगलकालीन धरोहर हमारे भारत देश में मौजूद है, जो आज गुमनामी के साये में चली गई है. ऐसा ही एक धरोहर है कानपुर देहात के गांव अमरौधा क्षेत्र के जंगल में मुगलकालीन बादशाह अलाउद्दीन खिलजी की बनवाई हुई इमारत, जो आज खंडहर में बदल गई है. यहां अब बेहद खतरनाक जहरीले जानवरों का डेरा है.

अलाउद्दीन खिलजी की बनाई यह इमारत अब खंडहर में बदल गई है, देखें वीडियो.

क्या है इस इमारत का इतिहास
अलाउद्दीन खिलजी दिल्ली सल्तनत के खिलजी वंश का दूसरा शासक था. उसका साम्राज्य अफगानिस्तान से लेकर उत्तर-मध्य भारत तक फैला था. इसके बाद इतना बड़ा भारतीय साम्राज्य अगले तीन सौ सालों तक कोई भी शासक स्थापित नहीं कर पाया था.

यह इमारत बादशाह अलाउद्दीन खिलजी ने अपने सेनापति मलिक चमन के नाम से बनवाई थी व उनके मरने के बाद इसी इमारत में उनकी दरगाह बनवा दी गई जो आज ये मलिक चमन के नाम से जानी जाती है.

ये भी पढ़ें: जादूगर ओपी शर्मा विवादों में, मैजिक शो में परोसी जा रही अश्लीलता

ये इमारत अलाउद्दीन खिलजी के समय की बनी हुई है. जब से देश में बादशाहों का शासन खत्म हुआ, तब से खंडहर पड़ी हुई है.. इस ओर न तो सरकार ध्यान रही है और न ही प्रशासन.
-सैफू, ग्रामीण

कानपुर देहात: हिंदुस्तान के अगर अलग-अलग राज्यों की बात करे तो आज भी कुछ ऐसी खूबसूरती की मुगलकालीन धरोहर हमारे भारत देश में मौजूद है, जो आज गुमनामी के साये में चली गई है. ऐसा ही एक धरोहर है कानपुर देहात के गांव अमरौधा क्षेत्र के जंगल में मुगलकालीन बादशाह अलाउद्दीन खिलजी की बनवाई हुई इमारत, जो आज खंडहर में बदल गई है. यहां अब बेहद खतरनाक जहरीले जानवरों का डेरा है.

अलाउद्दीन खिलजी की बनाई यह इमारत अब खंडहर में बदल गई है, देखें वीडियो.

क्या है इस इमारत का इतिहास
अलाउद्दीन खिलजी दिल्ली सल्तनत के खिलजी वंश का दूसरा शासक था. उसका साम्राज्य अफगानिस्तान से लेकर उत्तर-मध्य भारत तक फैला था. इसके बाद इतना बड़ा भारतीय साम्राज्य अगले तीन सौ सालों तक कोई भी शासक स्थापित नहीं कर पाया था.

यह इमारत बादशाह अलाउद्दीन खिलजी ने अपने सेनापति मलिक चमन के नाम से बनवाई थी व उनके मरने के बाद इसी इमारत में उनकी दरगाह बनवा दी गई जो आज ये मलिक चमन के नाम से जानी जाती है.

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ये इमारत अलाउद्दीन खिलजी के समय की बनी हुई है. जब से देश में बादशाहों का शासन खत्म हुआ, तब से खंडहर पड़ी हुई है.. इस ओर न तो सरकार ध्यान रही है और न ही प्रशासन.
-सैफू, ग्रामीण

Intro:नोट_यहा इमारत बादशाह अलाउद्दीन खिलजी ने अपने सेनापति मलिक चमन के नाम से बनवाई थी व उनके मरने के बाद इसी इमारत में उनकी दरगाह बनवा दी जो आज ये मलिक चमन के नाम से जानी जाती है....... नोट- E tv bharat एब व L U - smart से up-kan_badshah_visual+bite+wt+ptc_7205968 नाम की 1 फाइल भेजी जा चुकी है । एंकर-हिंदुस्तान के अगर अलग अलग राज्यो की बात करे तो.. आज भी कुछ ऐसी खूबसूरती की मुगलकालीन की तस्बीरे व धरोहर हमारे भारत देश मे मौजूद है...जो आज गुमनामी के साये में चली गई है...उत्तर प्रदेश के जनपद कानपुर देहात में मौजूद है..बीघड़ में बसे गांव अमरौधा क्षेत्र के जंगल में मुगलकालीन बादशाह अलाउद्दीन खिलजी की बनवाई हुई इमारत...जो बेहद खूबसूरत व हरिवादियो में...खण्डहर में बदल गई है...जहा अब किसी बादशाह का नही बल्की बेहद खतरनाक जहरीले जानवरो का डेरा है....देखे etv भारत पर कानपुर देहात से ये रिपोर्ट बादशाह की इमारत....


Body:वी0ओ0_ये तस्बीरे है कानपुर देहात के बीघड़ में बसे गांव अमरौधा क्षेत्र के जंगल मे बने बादशाह अलाउद्दीन खिलजी की इमारत की जो आज भी हरिवादियो में खूबसूरती को समेटे हुए है...भले ही सरकार भूल गई हो लेकिन...अब यहा पर जंगली जानवरों ने अपना बसेरा बना लिया है...अलाउद्दीन खिलजी दिल्ली सल्तनत के खिलजी वंश का दूसरा शासक था। उसका साम्राज्य अफगानिस्तान से लेकर उत्तर-मध्य भारत तक फैला था। इसके बाद इतना बड़ा भारतीय साम्राज्य अगले तीन सौ सालों तक कोई भी शासक स्थापित नहीं कर पाया था। मेवाड़ चित्तौड़ का युद्धक अभियान इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना है। जिसके बाद कानपुर देहात में भी अपनी छाप छोड़ी थी। यहा इमारत बादशाह अलाउद्दीन खिलजी ने अपने सेनापति मलिक चमन के नाम से बनवाई थी व उनके मरने के बाद इसी इमारत में उनकी दरगाह बनवा दी गई जो आज ये मलिक चमन के नाम से जानी जाती है....


Conclusion:वी0ओ0_तो वही बुजुर्गों की माने तो उनका कहना था की ये इमारत अलाउद्दीन खिलजी के समय की बनी हुई है...जब से देश मे बादशाहों का शासन खत्म हुआ तब से खण्डहर पड़ी हुई है.. और न तो सरकार की और से ध्यान रख्खा जाता है न ही प्रशासन की और से समय के अभाव को देखते हुए खूबसूरत वादियों में बनी इस बादशाह की इमारत को भूल गए है..... वाईट_ सैफू ( ग्रामीण बुजुर्ग) Date- 31-8-2019 Center - Kanpur dehat Reporter - Himanshu sharma
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