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कानपुर देहात: जब शिक्षक ही हों अशिक्षित तो कैसे पूरा होगा पीएम का सपना - कानपुर देहात समाचार

उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात के कुरवा खुर्द गांव के स्कूल के बच्चों और शिक्षकों का बेहद बुरा हाल है. यहां के बच्चों को देश के प्रधानमंत्री तो शिक्षकों को प्रदेश के राज्यपाल तक का नाम नहीं पता है.

शिक्षकों को है शिक्षा की जरूरत.
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Published : Sep 8, 2019, 9:03 AM IST

कानपुर देहात: एक तरफ सरकार 'सब पढ़ें सब बढ़ें' स्लोगन के माध्यम से बच्चों को शिक्षित करने में जुटी हुई है. वहीं दूसरी तरफ जनपद कानपुर देहात में ईटीवी भारत की टीम ने एक स्कूल की पड़ताल की. पड़ताल में जमीनी स्तर पर सरकारी स्कूल की जो तस्वीरें सामने आई हैं उससे साफ पता चलता है कि इस स्कूल में बच्चों को नहीं बल्कि शिक्षकों को शिक्षा की जरूरत है. देखिए ईटीवी भारत पर कानपुर देहात के कुरवा खुर्द गांव के स्कूल की ये स्पेशल रिपोर्ट...

शिक्षकों को है शिक्षा की जरूरत.

जानिए कैसा है इस स्कूल के बच्चों का हाल
ये तस्वीर है उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात के कुरवा खुर्द गांव की जहां पर ईटीवी भारत की टीम ने आज रियल्टी चेक किया और प्राथमिक शिक्षा का हाल जाना. आपको बता दें कि यहां बच्चों को ऐसा ज्ञान दिया जा रहा है जहां उनको पता ही नहीं है कि जिले का जिलाधिकारी कौन है और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का क्या नाम है. यहां के बच्चे तो देश के प्रधानमंत्री के नाम से भी अनजान हैं.

शिक्षकों को है शिक्षा की जरूरत
ईटीवी भारत की टीम ने इस स्कूल के शिक्षकों से बात की. टीम ने शिक्षकों से उनका नाम और वो कितने सालों से पढ़ा रहे हैं इस बारे में पूछा. शिक्षक ने बताया कि कि 14 सालो से. फिर उनसे पूछा गया कि आखिरकार आपकी शिक्षा विभाग की अधिकारी का क्या नाम है तब उन्होंने ऐसा जवाब दिया कि आप भी एक बार सोचेंगे.

एक शिक्षक होकर अपने ही विभाग की महिला अधिकारी के नाम के आगे वो श्री लगा रहे थे और किसी महिला के नाम के आगे श्री लगता है कि श्रीमती ये दो बार में बता पाए. बच्चों से ज्यादी बुरा हाल था इस स्कूल के शिक्षक का. जिलाधिकारी हो या उत्तर प्रदेश के राज्यपाल हर सवाल के आगे शिक्षक का यही जवाब था कि सर हमें नहीं पता.

ऐसे में अहम सवाल ये उठता है कि देश के प्रधानमंत्री व उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का सपना 'सब पढ़े सब बढ़े' कैसे पूरा होगा. जब शिक्षक को ही शिक्षा की जरूरत हो तो वो बच्चों को शिक्षा क्या देंगे.

कानपुर देहात: एक तरफ सरकार 'सब पढ़ें सब बढ़ें' स्लोगन के माध्यम से बच्चों को शिक्षित करने में जुटी हुई है. वहीं दूसरी तरफ जनपद कानपुर देहात में ईटीवी भारत की टीम ने एक स्कूल की पड़ताल की. पड़ताल में जमीनी स्तर पर सरकारी स्कूल की जो तस्वीरें सामने आई हैं उससे साफ पता चलता है कि इस स्कूल में बच्चों को नहीं बल्कि शिक्षकों को शिक्षा की जरूरत है. देखिए ईटीवी भारत पर कानपुर देहात के कुरवा खुर्द गांव के स्कूल की ये स्पेशल रिपोर्ट...

शिक्षकों को है शिक्षा की जरूरत.

जानिए कैसा है इस स्कूल के बच्चों का हाल
ये तस्वीर है उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात के कुरवा खुर्द गांव की जहां पर ईटीवी भारत की टीम ने आज रियल्टी चेक किया और प्राथमिक शिक्षा का हाल जाना. आपको बता दें कि यहां बच्चों को ऐसा ज्ञान दिया जा रहा है जहां उनको पता ही नहीं है कि जिले का जिलाधिकारी कौन है और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का क्या नाम है. यहां के बच्चे तो देश के प्रधानमंत्री के नाम से भी अनजान हैं.

शिक्षकों को है शिक्षा की जरूरत
ईटीवी भारत की टीम ने इस स्कूल के शिक्षकों से बात की. टीम ने शिक्षकों से उनका नाम और वो कितने सालों से पढ़ा रहे हैं इस बारे में पूछा. शिक्षक ने बताया कि कि 14 सालो से. फिर उनसे पूछा गया कि आखिरकार आपकी शिक्षा विभाग की अधिकारी का क्या नाम है तब उन्होंने ऐसा जवाब दिया कि आप भी एक बार सोचेंगे.

एक शिक्षक होकर अपने ही विभाग की महिला अधिकारी के नाम के आगे वो श्री लगा रहे थे और किसी महिला के नाम के आगे श्री लगता है कि श्रीमती ये दो बार में बता पाए. बच्चों से ज्यादी बुरा हाल था इस स्कूल के शिक्षक का. जिलाधिकारी हो या उत्तर प्रदेश के राज्यपाल हर सवाल के आगे शिक्षक का यही जवाब था कि सर हमें नहीं पता.

ऐसे में अहम सवाल ये उठता है कि देश के प्रधानमंत्री व उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का सपना 'सब पढ़े सब बढ़े' कैसे पूरा होगा. जब शिक्षक को ही शिक्षा की जरूरत हो तो वो बच्चों को शिक्षा क्या देंगे.

Intro:नोट_ इस खबर को दोबारा भेजा जा रहा है संशोधित करके...

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एंकर_जहा एक और देश के प्रधानमंत्री का सपना सब पढ़े सब बढ़े ये स्लोगन आप ने देखा और पढ़ा ही होगा...उत्तर प्रदेश के जनपद कानपुर देहात में आज etv भारत की टीम ने एक ऐसे स्कूल की पड़ताल की...और जाना जमीनी स्तर पर सरकारी स्कूल की जो तस्बीरे निकल आई है...की इस स्कूल में बच्चों को नही बल्कि शिक्षकों को शिक्षा की जरूरत है..एक और योगी सरकार सरकारी स्कूलों को कॉन्वेंट स्कूल बनाने का सपना देख रही है...तो दूसरी और ऐसे शिक्षक देश के प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री के सपनो पर पानी फेरते नजर आ रहे है..तो देखे etv भारत पर कानपुर देहात के कुरवा खुर्द गांव के स्कूल की ये स्पेशल रिपोर्ट....


Body:वी0ओ0_ये तस्बीर है उत्तर प्रदेश के जनपद कानपुर देहात के कुरवा खुर्द गांव की प्रथमिक विद्यालय की जहा पर etv भारत की टीम ने आज रियल्टी चेक किया.....और जाना प्रथमिक शिक्षा का हाल...बच्चों को ऐसा ज्ञान दिया जा रहा है... जहाँ उन्हें ये ही नही पता की जिले का जिलाधिकारी कौन है...और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का क्या नाम है..यहा के बच्चे देश के प्रधानमंत्री के नाम से भी अनजान है....ये तो था बच्चों का हाल....जैसे ही हमारी etv भारत की टीम ने कक्षा 5 के पहले बच्चे से बात की तो तस्बीरे साफ हो गई थी...इसके बाद कक्षा में पढ़ा रहे शिक्षक से बात की....etv भारत की टीम ने पहले ही बच्चे से बात करने के बाद सीधा शिक्षक महोदय की ओर रुख किया...और हमने जाना उनका नाम और वो कितने सालो से पढ़ा रहे है....तो उनका जवाब था की 14 सालो से...फिर उनसे पूछा की आखिरकार आपकी शिक्षा विभाग की अधिकारी का क्या नाम है..तब उन्हों ने ऐसा बताया की आप भी सोचेंगे की एक शिक्षक होकर अपने ही विभाग के महिला अधिकारी के नाम के आगे श्री लगता है की श्री मती दो बार मे बता पाए...बच्चों से जादा बुरा हाल था इस स्कूल के शिक्षक का जिले अधिकारी हो या उत्तर प्रदेश के राज्य पाल हर सवाल के आगे यही शब्द था की सर हमे नही पता...

वाईट_प्रांजुल (कक्षा 5 का छात्र)

वाईट_सुनील कुमार( कक्षा 5 के अध्यापक )



Conclusion:वी0ओ0_तो वही पर etv भारत की टीम ने कक्षा 5 के बाद सीधा रुख किया...कक्षा 3 में तो वहाँ पर एक मैडम पढ़ते हुए मिली...और..ज्ञान ऐसा की सवाल के सही उत्तर न पता हो तो कुछ भी बता दो....ऐसे अहम सवाल ये उठता है की कैसे पूरा होगा देश के प्रधानमंत्री व उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का सपना की सब पढ़े सब बढ़े...जब शिक्षक को ही हो शिक्षा की जरूरत तो वो बच्चों को शिक्षा क्या देगे...

वाईट_गायत्री अग्निहोत्री( कक्षा 3 की अध्यापिका )


Date- 4-9-2019

Center - Kanpur dehat

Reporter - Himanshu sharma
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