कानपुर देहातः मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जीरो टॉलरेंस नीति पर काम करने की कवायद में जुटे हुए हैं, लेकिन वहीं, जनपद कानपुर देहात में जिले के डीएम और सीडीओ समेत कई बड़े अधिकारियों पर घोटाले का आरोप लगा है. शासन ने मामले संज्ञान लेते हुए कानपुर देहात के 3 कंसल्टेंट को बर्खास्त कर दिया है. साथ ही कमीश्नर से डीएम, सीडीओ और विकास विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों समेत 7 लोगो पर कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं.
अपर मुख्य सचिव (पंचायती राज) मनोज कुमार सिंह ने अपर प्रमुख सचिव, नियुक्ति एव कार्मिक विभाग और निदेशक पंचायतीराज विभाग उ.प्र., कमिश्नर कानपुर समेत डीएम कानपुर देहात और अन्य विभाग के अधिकारियो को पत्र भेजकर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं. पत्र जारी होने के बाद जिले के अधिकारियो और कर्मचारियों में हड़कंप मचा हुआ है. अपर मुख्य सचिव (पंचायती राज) की मानें, तो स्वच्छ भारत मिशन के तहत निदेशालय से भेजी धनराशि को गलत तरीके से निकला कर कई करोड़ रूपये का घोटला किया गया है.
पंचायतीराज अधिनियम के तहत कार्रवाई के निर्देशः मामले को लेकर 3 कर्मचारियों की तत्काल प्रभाव से बर्खास्तगी की गई है. वहीं, उपनिदेशक कानपुर मंडल (पंचायत) को डीपीआरओ और ग्राम पंचायत भुजपुरा के दो सचिवो को निलंबित कर कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं. वहीं, एक नोडल राज्य स्तरीय कंसल्टेन्ट और एक जिला पीएफएमएस कर्मचारी की बर्खास्तगी के निर्देश के साथ डीपीआरओ कार्यालय के तत्कालीन सहायक पर कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं.
कार्य में लापरवाही और सही पर्यवेक्षण न करने पर जिले के डीएम और सीडीओ पर स्पष्टीकरण के बाद नियुक्ति विभाग के माध्यम से सरकार द्वारा कार्रवाई के निर्देश के साथ ही 195 ग्राम पंचायतों के प्रधानों पर धारा 95(जी) पंचायतीराज अधिनियम के तहत कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं.
स्वच्छ भारत मिशन के तहत शासन ने भेजे थे 6 करोड़ः गौरतलब है कि गांवों में पानी की निकासी ठीक हो. गांव में लोग स्वच्छ रहे. नालियों का पानी रोड पर न बहे इसके लिये टैंक बनाकर नालियों का पानी इस टैंक में डाला जाना था. इसके साथ ही कूड़ा और गोबर फेंकने के लिये गड्ढे बनाये जाने थे, जिसको लेकर भारत सरकार ने वर्ष 2021-2022 में कानपुर देहात जिले की करीब 347 ग्राम पंचायतों को स्वच्छ और सुंदर बनाने के लिये स्वच्छ भारत मिशन के तहत विकास हेतु करीब 6 करोड़ रुपया भेजा था. ये रुपया ग्राम पंचायत के खातों में जाना था.
लेकिन, अधिकारियों की लापरवाही चलते जिला स्तर पर जुलाई 2022 तक ग्राम पंचायतों के खातों में रुपया नहीं भेजा गया. वहीं, जिले के जिम्मेदार अधिकारियों की शह पर विकास विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों ने स्वच्छता मिशन के करोड़ों रुपयों को नवम्बर 2022 को 195 ग्राम पंचायतों के खातों में करीब 5 करोड़ रुपया ट्रांसफर किया. इसके बाद विकास विभाग के अधिकारियो का भ्रष्टाचार शुरू हुआ.
ग्राम प्रधानों के डोंगल करा लिए गए जमाः जिले के उच्च अधिकारियों की शह पर विकास विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों ने ग्राम प्रधानों के डोंगल प्रधानों से एक्टिवेट/रिन्यूवल करने के बहाने जिला मुख्यालय मंगवा लिये और ग्राम प्रधानों के डोंगल से करोड़ों रुपये अपने चहेतों की फर्मों में डाल दिये गये. बेचारे ग्राम प्रधान कुछ न बोल सके. इस कारण इन 195 ग्राम पंचायतों में स्वच्छ भारत मिशन फेज 2 और एसएलडब्ल्यू के तहत कोई कामे नहीं हो सके. विकास के लिये आया करोड़ों रुपया जिले के अधिकारियों कर्मचारियों को भेंट स्वरूप मिला गया. वहीं, जब उक्त भ्रष्टाचार के रुपयों में हिस्सा सही से नहीं बंटा, तब मामला विवाद के साथ मीडिया के समक्ष आ गया. वहीं, पर ग्राम पंचायत अधिकारी संघ के पूर्व जिलाध्यक्ष ने बताया जनपद के जिम्मेदार अधिकारी विकास कार्य कागजों में दिखा रहे हैं.
अज्ञात के खिलाफ मुकदमा किया गया था दर्जः भ्रष्टाचार का मामला खुलने के बाद जिले की डीएम ने जांच ने कार्रवाई का हवाला दिया है, लेकिन डीएम की कार्रवाई ठंडे बसते में चली गई. वहीं, जब पूरा मामला यूपी के अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह के संज्ञान में आया, तो अपर मुख्य सचिव ने मामले पर जांच टीम गठित कर दी है. जांच शुरू हो गई. आरोप है कि जिले की डीएम ने मामले की जांच के दौरान जिले के जिम्मेदारो दोषियों को बचाते हुए कोतवाली अकबरपुर में अज्ञात के खिलाफ आईपीसी की धारा 420 और 409 के तहत मुकदमा दर्ज करवा दिया.
6 महिनों तक नहीं भेजे गए पैसेः वहीं, अपर मुख्य सचिव ने गठित टीम की जांच रिपोर्ट आने के बाद अपर मुख्य सचिव नियुक्ति एव कार्मिक विभाग उ.प्र.मंडलायुक्त कानपुर, निदेशक पंचायतीराज विभाग उ.प्र. समेत मंडल स्तर और जिले के अन्य विभागों को पत्र के माध्यम से दोषी अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं. अपर मुख्य सचिव के पत्र की माने तो जिले में भारत स्वच्छ मिशन का रुपया भेजने के बाद 6 महीने तक ग्राम पंचायत के खातों में नहीं भेजा गया. शासन के निर्देशों के अनुसार ग्राम पंचायतों को आवंटित रुपया ग्राम पंचायत के कंप्यूटर के द्वारा निकाल कर खर्च किया जाना था. लेकिन, पैसे जिला मुख्यालय के कम्पयूटर से निकाला गया, जिसे लेकर भारत स्वच्छ मिशन ग्रामीण के तीन कंसल्टेंट विमल पटेल, शैलेन्द श्रीवास्तव,प्रदीप कुमार को बर्खास्त किया गया है.
डीएम एव सीडीओ से स्पष्टीकरणः वहीं, जिले के पर्यवेक्षण अधिकारियों पर भी कार्रवाई के निर्देश दिए गए. कानपुर देहात की डीएम एव सीडीओ से स्पष्टीकरण तलब कर नियुक्ति विभाग के माध्यम से कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं. कानपुर मंडल के उप निदेशक पंचायती राज अभय कुमार शाही, कानपुर देहात की तत्कालीन डीपीआरओ नमिता शरण और डीपीआरओ अभिलाषबाबू को निलंबित करते हुए अनुशासित कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं.
205 लोगों पर कार्रवाईः वही, नोडल राज्य स्तरीय कंसल्टेंट कानपुर देहात संजय कुमार चौहान और पीएफएमएस विशेषज्ञ राहुल गुप्ता की बर्खास्तगी के निर्देश के साथ ग्राम पंचायत भोजपुरा के पंचायत सचिव पुनीत कुमार और राजीव दिवेदी के निलंबन के निर्देश दिए गए हैं. तत्कालीन पटल सहायक डीपीआरओ कार्यालय कानपुर देहात के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के निर्देश दिए गये हैं. साथ ही पूरे मामले में संबंधित 195 ग्राम पंचायतों के खातों से निकाले गए रुपयों की वसूली किये जाने तक ग्राम पंचायत के खातों में दी जाने वाली धनराशि पर रोक लगाई गई है. 195 प्रधानों के खिलाफ पंचायतीराज अधिनियम की धारा -95 (जी) के तहत कार्रवाई के निर्देश और अपर मुख्य सचिव का पत्र जारी होने के बाद करीब 205 लोगों पर बड़ी कार्रवाई से कानपुर देहात के अधिकारियों और कर्मचारियों और प्रधानो में हड़कंप मचा हुआ है.
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