कानपुर देहात: देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के कानपुर देहात के परौंख गांव में 27 जून को आने के चलते जिला प्रशासन ने गांव की तस्वीर बदलने का काम शुरू कर दिया है. जिलाधिकारी के निर्देश पर कई विभाग के माध्यम से गांव का सुंदरीकरण का काम बहुत ही युद्ध स्तर पर चल रहा है. गांव में साफ सफाई से लेकर विद्युत व्यवस्था भी दुरुस्त करने का काम भी तेजी से किया जा चुका है. वहीं गांव में स्थित सरकारी भवनों का भी सुंदरीकरण का भी काम युद्ध स्तर पर किया जा रहा है.
जब राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद कानपुर देहात के अपने पैतृक गांव परौंख आते हैं, तो कहीं जाए न जाए पर कथरी देवी के मंदिर जरूर जाते हैं. मां कथरी का आशीर्वाद लेते हैं. उसके बाद ही वो कुछ और काम करते हैं, लेकिन राष्ट्रपति बनने के बाद वो जब पहली बार अपने गृह जनपद आ रहे हैं तो प्रोटोकॉल में भी सबसे पहले कथरी देवी मंदिर का जिक्र है. जहां पर वो सबसे पहले जाएंगे और मां कथरी देवी का आशीर्वाद लेंगे. लोगों की मानें तो उनका कहना है कि आज वो जो कुछ भी है तो वो मां कथरी देवी की कृपा से हैं.
गांव का और भी तेजी से हुआ विकास
जिले के डेरापुर स्थित परौंख गांव की बात करें तो ये गांव देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का पैतृक गांव है. जहां पर एक दौर ऐसा भी हुआ करता था कि इस गांव की अति पिछड़े गांवों में गिनती हुआ करती थी, लेकिन इस गांव की तस्वीर तब बदलने लगी. राष्ट्रपति के पहली बार गृह जनपद आने पर गांव का और भी विकास कार्य तेजी से हो गया है. शिक्षा से लेकर चिकित्सा तक कि सुविधा गांव वालों के लिए तेजी से चालू कर दी गई है. गांव में बैंक से लेकर अस्पताल, स्कूल, बारात घर, सड़के बिजली पानी की भी सुविधा बेहतर हो गई है. इससे उनके गांव के ग्रामीण बेहद खुश नजर आ रहे हैं.
इसे भी पढ़ें-राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद आज प्रेसिडेंशियल ट्रेन से पहुंचेंगे कानपुर
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के गांव के निवासी उनके बचपन के मित्र राजकिशोर ने बताया कि जब से रामनाथ कोविंद देश के राष्ट्रपति बने हैं. तब से परौंख गांव चौमुखी विकास की ओर अग्रसर है. गांव में स्कूल, अस्पताल, बारात घर, पार्क, बिजली, पानी की भी बेहतर सुविधाएं गांव के ग्रामीणों को तेजी से मिल रही है. उन्होंने बताया कि गांव में एक कथरी देवी का एक मंदिर है, जोकि रामनाथ कोविंद के पिता जी द्वारा बनवाया गया था. पहले सिर्फ यहां पर एक पेड़ व चबुतरा हुआ करता था. जिस पर देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के पिता व बचपन में वो खुद आकर पूजा पाठ किया करते थे. ये मंदिर काफी मान्यता वाला मंदिर माना जाता है. इसका प्रमाण खुद मेरे मित्र रामनाथ कोविंद है.