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18 साल से यहां कैद हैं भगवान श्रीकृष्ण, कानूनी पेंच में फंसी है रिहाई

उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात में भगवान श्रीकृष्ण वर्षों से जेल में कैद हैं. 18 साल बीत गए, लेकिन अभी तक उन्हें रिहाई नसीब नहीं हुई है. हालांकि हर वर्ष जन्माष्टमी आती है तो पुलिसकर्मी मूर्तियों को मालखाने से बाहर निकालते हैं और नवीन वस्त्र पहनाकर पूजन करते हैं.

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Published : Aug 12, 2020, 12:58 PM IST

इस जेल में कैद हैं भगवान श्रीकृष्ण
इस जेल में कैद हैं भगवान श्रीकृष्ण

कानपुर देहात: इंसानों की तरह भगवान श्रीकृष्ण भी जेल में 18 वर्षों से कैद हैं. कई बार लोगों ने प्रयास किया, लेकिन कानूनी दांव-पेंच के चलते उनको मुक्त नहीं कराया जा सका. जनमाष्टमी के मौके पर हर साल पुलिसकर्मी उनका जन्मोत्सव धूमधाम से मनाते हैं. कोतवाल मालखाने से मूर्तियां निकालकर उन्हें स्नान कराते हैं और नए कपड़े पहनाकर विधि-विधान से पूजा करते हैं.

इस जेल में कैद हैं भगवान श्रीकृष्ण.

आखिर क्यों कैद हैं भगवान श्रीकृष्ण
जनपद कानपुर देहात में बिना कोई अपराध के स्वयं भगवान श्रीकृष्ण अपने परिवार समेत जेल में सजा काट रहे हैं. एक तरफ समूचे देश के लोग उनके जन्मदिवस की तैयारियों में जुटे हैं और खुशियां मना रहे हैं. वहीं मजबूर श्रीकृष्ण बड़े भाई बलराम, राधा और लड्डू गोपाल समेत शिवली कोतवाली के मालखाने में कैद हैं. 18 साल बीत गए, लेकिन अभी तक उन्हें रिहाई नसीब नहीं हुई है. दरअसल 18 वर्ष पूर्व जिले के शिवली कोतवाली क्षेत्र के प्रसिद्ध राधा-कृष्ण मंदिर से ये मूर्तियां चोरी हुई थीं. सप्ताह भर में चोर मूर्तियों सहित गिरफ्त में आ गए. कुछ समय बाद जमानत पर चोर तो रिहा हो गए, लेकिन द्वापर के महारथी श्रीकृष्ण कलियुग के कानूनी दांव पेंच में फंसकर रह गए, जो आज भी कोतवाली के मालखाने में कैद हैं. हालांकि प्रत्येक वर्ष श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व आने पर कोतवाली का स्टाफ बड़ी धूमधाम से उनका जन्मदिन मनाता है. कोतवाल मालखाने से ये मूर्तियां निकालकर उन्हें स्नान कराते हैं और नए कपड़े पहनाकर विधि विधान से उनका जन्मोत्सव मनाते हैं.

कई बार हुए रिहाई के प्रयास
शिवली कस्बे के प्राचीन राधा-कृष्ण मंदिर से 12 मार्च 2002 को श्रीकृष्ण, राधा और बलराम की अष्टधातु की तीन बड़ी मूर्तियां एवं लडडू गोपाल और राधा जी की दो छोटी मूर्तियां चोरी हो गई थीं. उस दौरान मंदिर के संरक्षक आलोक दत्त ने मशक्कत करके शिवली कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज कराई थी. सक्रिय हुई पुलिस ने एक सप्ताह बाद चोरों को गिरफ्तार कर मूर्तियों को बरामद कर लिया था. आलोक दत्त द्वारा कई बार कोतवाली और न्यायालय में प्रार्थना पत्र दिया गया, लेकिन कोई हल नहीं निकल सका.

हालांकि हर वर्ष जन्माष्टमी आती है तो पुलिसकर्मी मूर्तियों को मालखाने से बाहर निकालते हैं और नवीन वस्त्र पहनाकर पूजन करते हैं. शिवली कोतवाल ने बताया कि कानूनी पेंच के चलते मूर्तियों को रिलीज कर मंदिर में स्थापित नहीं कराया जा सका है. पहले की भांति आज भी पुलिसकर्मी भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिवस पर इन मूर्तियों को मालखाने से बाहर निकालकर पूजन कराएंगे.

कानपुर देहात: इंसानों की तरह भगवान श्रीकृष्ण भी जेल में 18 वर्षों से कैद हैं. कई बार लोगों ने प्रयास किया, लेकिन कानूनी दांव-पेंच के चलते उनको मुक्त नहीं कराया जा सका. जनमाष्टमी के मौके पर हर साल पुलिसकर्मी उनका जन्मोत्सव धूमधाम से मनाते हैं. कोतवाल मालखाने से मूर्तियां निकालकर उन्हें स्नान कराते हैं और नए कपड़े पहनाकर विधि-विधान से पूजा करते हैं.

इस जेल में कैद हैं भगवान श्रीकृष्ण.

आखिर क्यों कैद हैं भगवान श्रीकृष्ण
जनपद कानपुर देहात में बिना कोई अपराध के स्वयं भगवान श्रीकृष्ण अपने परिवार समेत जेल में सजा काट रहे हैं. एक तरफ समूचे देश के लोग उनके जन्मदिवस की तैयारियों में जुटे हैं और खुशियां मना रहे हैं. वहीं मजबूर श्रीकृष्ण बड़े भाई बलराम, राधा और लड्डू गोपाल समेत शिवली कोतवाली के मालखाने में कैद हैं. 18 साल बीत गए, लेकिन अभी तक उन्हें रिहाई नसीब नहीं हुई है. दरअसल 18 वर्ष पूर्व जिले के शिवली कोतवाली क्षेत्र के प्रसिद्ध राधा-कृष्ण मंदिर से ये मूर्तियां चोरी हुई थीं. सप्ताह भर में चोर मूर्तियों सहित गिरफ्त में आ गए. कुछ समय बाद जमानत पर चोर तो रिहा हो गए, लेकिन द्वापर के महारथी श्रीकृष्ण कलियुग के कानूनी दांव पेंच में फंसकर रह गए, जो आज भी कोतवाली के मालखाने में कैद हैं. हालांकि प्रत्येक वर्ष श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व आने पर कोतवाली का स्टाफ बड़ी धूमधाम से उनका जन्मदिन मनाता है. कोतवाल मालखाने से ये मूर्तियां निकालकर उन्हें स्नान कराते हैं और नए कपड़े पहनाकर विधि विधान से उनका जन्मोत्सव मनाते हैं.

कई बार हुए रिहाई के प्रयास
शिवली कस्बे के प्राचीन राधा-कृष्ण मंदिर से 12 मार्च 2002 को श्रीकृष्ण, राधा और बलराम की अष्टधातु की तीन बड़ी मूर्तियां एवं लडडू गोपाल और राधा जी की दो छोटी मूर्तियां चोरी हो गई थीं. उस दौरान मंदिर के संरक्षक आलोक दत्त ने मशक्कत करके शिवली कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज कराई थी. सक्रिय हुई पुलिस ने एक सप्ताह बाद चोरों को गिरफ्तार कर मूर्तियों को बरामद कर लिया था. आलोक दत्त द्वारा कई बार कोतवाली और न्यायालय में प्रार्थना पत्र दिया गया, लेकिन कोई हल नहीं निकल सका.

हालांकि हर वर्ष जन्माष्टमी आती है तो पुलिसकर्मी मूर्तियों को मालखाने से बाहर निकालते हैं और नवीन वस्त्र पहनाकर पूजन करते हैं. शिवली कोतवाल ने बताया कि कानूनी पेंच के चलते मूर्तियों को रिलीज कर मंदिर में स्थापित नहीं कराया जा सका है. पहले की भांति आज भी पुलिसकर्मी भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिवस पर इन मूर्तियों को मालखाने से बाहर निकालकर पूजन कराएंगे.

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