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फसलों के दुश्मन बने अन्ना पशु, खौफ में जी रहे किसान

उत्तर प्रदेश के कन्नौज में अन्ना पशु आज विकट समस्या बन चुके हैं. किसानों की फसल को अन्ना पशु काफी नुकसान पहुंचाते हैं. किसानों की दिन और रात दोनों खेतों में कट रही है.

अन्ना पशुओं से किसान परेशान.
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Published : Oct 9, 2019, 11:43 PM IST

कन्नौज : अन्ना पशु बड़ी समस्या बन चुके हैं. पिछले कई सालों से मवेशी भगवान की तरह पूजे जाते रहे हैं. पशुओं को धन मानने वाले किसानों की नींद उड़ी हुई है. वह दहशत में जी रहे हैं. नींद इसलिए नहीं उड़ी कि उन पर कोई आतंकवादी हमला, चोरी या कोई प्राकृतिक आपदा आने वाली है. उनकी नींद उड़ाने वाले हैं आवारा घूमने वाले पशु, जो झुण्ड बनाकर आते हैं और पलक झपकते ही किसी टिड्डी दल की तरह पूरी फसल चट कर जाते हैं. किसान बहुत परेशान हैं. वह अपनी फसल की रखवाली के लिए रात-दिन खेतों पर रहते हैं.

सवाल भूख का है
एक तरफ भले ही सरकार अन्ना पशुओं के लिए बेहतर गोशालाएं बनाने का दावा कर रही हो, लेकिन गोशालाओं की क्या स्थिति है. यह किसी से छुपी हुई नहीं है. भूखे अन्ना पशु हरी फसलों की ओर दौड़ते हैं. उनके लिए यह हरी फसल हरा चारा है. मगर किसानों के लिए भी यह सवाल जीवन का है. अगर फसलें मवेशी खा गए तो बंजर धरती का सीना चीरकर मेहनत के फूल उगाने वाले उन किसानों का पेट कौन भरेगा.

कभी पशु धन थे जब से अन्ना हो गए किसानों के लिए समस्या बन गए. अब सरकार समाधान ढूंढ रही.

प्राइमरी स्कूलों में बन्द किए मवेशी
आवारा मवेशियों से तंग आकर जनपद के ग्राम पंचायत रौंसा में ग्रामीणों ने मवेशियों को खदेड़कर गांव के प्राइमरी स्कूल में बंद कर दिया और बाहर से ताला जड़ दिया. यह पहला मौका नहीं है ग्रामीण पहले भी इस समस्या को लेकर कई बार ऐसा कर चुके हैं. ऐसा ही कुछ हाल सौरिख क्षेत्र के बहादुरपुर गांव का है, जहां लोग आवारा पशुओं से हो रहे नुकसान की वजह से दहशत में जी रहे हैं.

पढ़ें- लखीमपुर खीरी: कटान में तबाह हो गए गांव, 4 साल से सड़क पर है आशियाना

आंकड़ों में हालात
जिले में कुल तीन तहसील, आठ ब्लाक और 504 ग्राम पंचायतें हैं, जिसमें जिला प्रशासन की ओर से 1 करोड़ 85 लाख की लागत से जिले में 150 अस्थाई गोशालाएं खोली गयी हैं, लेकिन अभी जिले में स्थाई गोशाला एक भी नहीं है, लेकिन जिला प्रशासन की मांग के बाद शासन ने जिले में दो स्थाई गोशालाओं के निर्माण की मंजूरी दे दी है, जिसका बजट भी पास हो चुका है और निर्माण कार्य भी चल रहा है. पहली स्थाई गोशाला जलालाबाद ब्लाक के पुरसा गांव में खुलेगी जो 1 करोड़ 20 लाख रुपये की लागत से तैयार की जा रही है. शासन द्वारा इसका पूरा बजट कार्यदाई संस्था को सौंपा जा चुका है. वहीं दूसरी गोशाला छिबरामऊ के नगलादिलु में 50 लाख रुपये की लागत से बनाई जा रही है.

अस्थाई गोआश्रय चल रहे हैं. दो स्थायी गोआश्रय भी बन रहे हैं. लगभग काम पूरा होने के करीब है. गोआश्रय के लिए जो पैसा सरकार ने भेजा था वो मिल चुका है. दोनों जगह काम चल रहा है.
- डॉ. वी. के. त्रिवेदी, मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी

फसलों के दुश्मन बने अन्ना पशु, खौफ में जी रहे किसान

कन्नौज : अन्ना पशु बड़ी समस्या बन चुके हैं. पिछले कई सालों से मवेशी भगवान की तरह पूजे जाते रहे हैं. पशुओं को धन मानने वाले किसानों की नींद उड़ी हुई है. वह दहशत में जी रहे हैं. नींद इसलिए नहीं उड़ी कि उन पर कोई आतंकवादी हमला, चोरी या कोई प्राकृतिक आपदा आने वाली है. उनकी नींद उड़ाने वाले हैं आवारा घूमने वाले पशु, जो झुण्ड बनाकर आते हैं और पलक झपकते ही किसी टिड्डी दल की तरह पूरी फसल चट कर जाते हैं. किसान बहुत परेशान हैं. वह अपनी फसल की रखवाली के लिए रात-दिन खेतों पर रहते हैं.

सवाल भूख का है
एक तरफ भले ही सरकार अन्ना पशुओं के लिए बेहतर गोशालाएं बनाने का दावा कर रही हो, लेकिन गोशालाओं की क्या स्थिति है. यह किसी से छुपी हुई नहीं है. भूखे अन्ना पशु हरी फसलों की ओर दौड़ते हैं. उनके लिए यह हरी फसल हरा चारा है. मगर किसानों के लिए भी यह सवाल जीवन का है. अगर फसलें मवेशी खा गए तो बंजर धरती का सीना चीरकर मेहनत के फूल उगाने वाले उन किसानों का पेट कौन भरेगा.

कभी पशु धन थे जब से अन्ना हो गए किसानों के लिए समस्या बन गए. अब सरकार समाधान ढूंढ रही.

प्राइमरी स्कूलों में बन्द किए मवेशी
आवारा मवेशियों से तंग आकर जनपद के ग्राम पंचायत रौंसा में ग्रामीणों ने मवेशियों को खदेड़कर गांव के प्राइमरी स्कूल में बंद कर दिया और बाहर से ताला जड़ दिया. यह पहला मौका नहीं है ग्रामीण पहले भी इस समस्या को लेकर कई बार ऐसा कर चुके हैं. ऐसा ही कुछ हाल सौरिख क्षेत्र के बहादुरपुर गांव का है, जहां लोग आवारा पशुओं से हो रहे नुकसान की वजह से दहशत में जी रहे हैं.

पढ़ें- लखीमपुर खीरी: कटान में तबाह हो गए गांव, 4 साल से सड़क पर है आशियाना

आंकड़ों में हालात
जिले में कुल तीन तहसील, आठ ब्लाक और 504 ग्राम पंचायतें हैं, जिसमें जिला प्रशासन की ओर से 1 करोड़ 85 लाख की लागत से जिले में 150 अस्थाई गोशालाएं खोली गयी हैं, लेकिन अभी जिले में स्थाई गोशाला एक भी नहीं है, लेकिन जिला प्रशासन की मांग के बाद शासन ने जिले में दो स्थाई गोशालाओं के निर्माण की मंजूरी दे दी है, जिसका बजट भी पास हो चुका है और निर्माण कार्य भी चल रहा है. पहली स्थाई गोशाला जलालाबाद ब्लाक के पुरसा गांव में खुलेगी जो 1 करोड़ 20 लाख रुपये की लागत से तैयार की जा रही है. शासन द्वारा इसका पूरा बजट कार्यदाई संस्था को सौंपा जा चुका है. वहीं दूसरी गोशाला छिबरामऊ के नगलादिलु में 50 लाख रुपये की लागत से बनाई जा रही है.

अस्थाई गोआश्रय चल रहे हैं. दो स्थायी गोआश्रय भी बन रहे हैं. लगभग काम पूरा होने के करीब है. गोआश्रय के लिए जो पैसा सरकार ने भेजा था वो मिल चुका है. दोनों जगह काम चल रहा है.
- डॉ. वी. के. त्रिवेदी, मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी

Intro: Assign By - Piyush ji (Kannauj series-Anna Pahu-03)
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अन्ना पशुओं से किसान परेशान, नहीं खुली गौशाला
- दहशत में है किसान, रात को जागकर करता है फसलों की सुरक्षा
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कन्नौज के सौरिख क्षेत्र के बहादुरपुर गांव में कोई गौशाला नही है जिसकी बजह से अन्ना पशुओं से किसान परेशान है। अपनी फसल की रखवाली के लिए रातों दिन खेतों पर रहता है और अगर कोई चूक हो जाती है तो अन्ना पशु किसानों की खड़ी फसलों को पूरी तरह से नष्ट कर देते है। जिससे किसानों की यह समस्या बनी हुई है। आइए देखते है कन्नौज से यह स्पेशल रिपोर्ट।

खेतों में खड़ी अपनी फसल को अन्ना पशुओं से बचाने के लिए किसान हर तरह की कवायद कर रहा है कहीं खेतों में कटीले तार बांध रहा है तो कहीं खुद रात में जाकर फसलों की रखवाली के लिए खड़ा रहता है लेकिन इसके बावजूद अन्ना पशुओं का झुण्ड आकर किसानों की फसलों को नष्ट कर रहा है।

Body:अन्ना पशुओं की दहशत से किसान का जीना मुश्किल है और सरकार कन्नौज में अब तक केवल दो सरकार ने गौशालाओं का निर्माण कराये जाने का आदेश दिया है। जिसमें एक छिबरामउ क्षेत्र में खोले जाने की बात सामने आ रही है तो वहीं दूसरी कन्नौज में लेकिन इसके बावजूद जो अस्थाई गौशालाएं खोली गयी है उनमें लापरवाही भी सामने आ रही है जिसकी बजह से गौशालाओं को लेकर आज भी लोगों के बीच लापरवाही के मामले सामने आते है तो कई गांवो में आज भी गौशाला नही खोली गयी है जिसकी बजह से ग्रामीणों की फसलों को अन्ना पशु नष्ट कर रहे है।

Conclusion:क्या बोलते है जिले के आंकड़े

जिले में कुल तीन तहसीले है और आठ ब्लाक व 504 ग्राम पंचायते जिसमे जिला प्रशासन की ओर से एक करोड़ पच्चासी लाख की लागत से जिले में 150 अस्थाई गौशालाएं खोली गयी है लेकिन अभी एक स्थाई गौशाला एक भी मौजूदा समय में नहीं है। लेकिन जिला प्रशासन की मांग के बाद शासन ने जिले में दो स्थाई गौशालाओं के निर्माण की मजूरी दे दी है जिसका बजट भी पास हो चुका है और निर्माण कार्य भी चल रहा है। पहली स्थाई गौशाला जलालाबाद ब्लाक के पुरसा गांव में खुलेगी जो एक करोड़ बीस लाख रुपए की लागत से तैयार की जा रही है शासन द्वारा इसका पूरा बजट कार्यदाई संस्था को सौंपा जा चुका है। तो वहीँ दूसरी गौशाला छिबरामऊ के नगलादिलु में 50 लाख रुपए की लागत से बनाई जा रही है।

बाइट -अभिनेन्द्र सिंह - किसान
बाइट - बाबूराम - किसान
बाइट - जयसिंह - किसान
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कन्नौज से पंकज श्रीवास्तव
09415168969
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