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प्राण प्रतिष्ठा से पहले रामलला का गुलाब जल से होगा स्नान, कन्नौज के इत्र से सुगंधित होगा मंदिर - अयोध्या राम मंदिर

Ram Mandir 2024: प्राकृतिक सुगंध की जब बात होती है तो हमारे जेहन में इत्र और इतिहास की नगरी कन्नौज के इत्र की खुशबू महकने लगती है. कन्नौज की महक राम दरबार को महकाएगी, इसको लेकर कन्नौज के इत्र व्यापारी क्या करने वाले हैं आईए जानते हैं इस खास रिपोर्ट में.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 19, 2024, 3:17 PM IST

कन्नौज: अयोध्या में 22 जनवरी को भगवान श्री राम के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में कन्नौज का प्राकृतिक इत्र पूरी रामनगरी में अपनी खुशबू बिखेरेगा. इसके लिए कन्नौज के इत्र व्यापारियों ने अपने-अपने प्रतिष्ठानों से इत्र को इकठ्ठा किया है. माना जाता है कि भगवान शिव के महामृत्युंजय मंत्र में सुगंध का उल्लेख किया गया है. सुगंध जो प्राकृतिक फूलों से बनी हो उसे भगवान भी बहुत पसंद करते हैं.

इत्र और इतिहास की नगरी में प्राकृतिक इत्र का पौराणिक इतिहास पांच हजार साल से भी ज्यादा पुराना है. कन्नौज का इत्र फूलों, जड़ी-बूटियों को पानी में गरम कर वाष्पीकरण प्रक्रिया से तैयार किया जाता है. खास बात यह है यहां का इत्र पूरी तरह से शुद्ध होता है. इसमें केमिकल नहीं मिलाया जाता. इसके चलते यहां के इत्र को देश के कई प्राचीन मंदिरों में भगवान की मूर्तियों पर चढ़ाया जाता है. यहां के इत्र की खुशबू से नकारात्मकता दूर होती है. स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है.

500 साल संघर्ष के बाद 22 जनवरी को अयोध्या में भगवान श्रीराम के बाल स्वरूप को उनके नए घर में प्राण प्रतिष्ठित किया जाएगा. इसको लेकर कन्नौज के इत्र व्यापारियों में जबरदस्त उत्साह देखने को मिल रहा है. सभी व्यापारी अपने द्वारा निर्मित इत्र को एक जगह इकट्ठा कर अयोध्या भेजने की तैयारी में जुट गए हैं. अयोध्या को चंदन, केवड़ा, खस, गुलाब जल जैसे इत्रों की खुशबू से महकाया जाएगा.

बताया जाता है कि कन्नौज का सम्बन्ध भगवान श्री राम से रहा है. वनवास से लौटते समय भगवान श्री राम माता सीता कन्नौज आए थे. यहां माता सीता ने अपने हांथों से भोजन बनाकर गंगा नदी के तट पर ब्राह्मणों को भोज कराया था. पूजा पाठ के काम में सबसे पहले चंदन का प्रयोग होता है. उसके बाद भगवान पर खस सहित कई प्रकार के इत्र चढ़ाए जाते हैं, जिसमें केवड़ा, नागरमोथा, मिट्टी, शमामा, मोतिया, मेहंदी का भी बहुत महत्व होता है. गुलाब जल का भी खास प्रयोग शुभ कार्यों में किया जाता है.

अयोध्या नगरी में भगवान के स्वागत के लिए कन्नौज से खास पंच जल जाएगा जो मिट्टी, सन्दल, बसावा पानी, नागर मोथा और केवड़े का होगा. भगवान श्रीराम के स्वागत में जो इत्रों का प्रयोग किया जाएगा उनके रेट भी बहुत खास हैं. मिट्टी का इत्र ₹10,000 प्रति किलो, खस का इत्र ₹65,000 प्रति किलो, केवड़े का इत्र ₹60,000 प्रति किलो, सन्दल का इत्र 1 लाख दस हजार रुपए प्रति किलो, शमामा का इत्र ₹1,00,000 रुपए प्रति किलो, मोतिया का इत्र 1,50,000 रुपए प्रति किलो और मेहंदी का इत्र ₹40,000 प्रति किलो कीमत का है.

कन्नौज लोकसभा सीट से भाजपा सांसद सुब्रत पाठक में बताया कि हम सबके अराध्य भगवान श्री राम के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में कन्नौज का शुद्ध प्राकृतिक इत्र मंदिर सहित पूरी अयोध्या को सुगंधित कर देगा.

ये भी पढ़ेंः डिंपल यादव को प्राण प्रतिष्ठा के न्योते की जगह भेजा दीया-बाती और घी, भाजपाई बोले-अखिलेश संग दीवाली जरूर मनाएं

कन्नौज: अयोध्या में 22 जनवरी को भगवान श्री राम के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में कन्नौज का प्राकृतिक इत्र पूरी रामनगरी में अपनी खुशबू बिखेरेगा. इसके लिए कन्नौज के इत्र व्यापारियों ने अपने-अपने प्रतिष्ठानों से इत्र को इकठ्ठा किया है. माना जाता है कि भगवान शिव के महामृत्युंजय मंत्र में सुगंध का उल्लेख किया गया है. सुगंध जो प्राकृतिक फूलों से बनी हो उसे भगवान भी बहुत पसंद करते हैं.

इत्र और इतिहास की नगरी में प्राकृतिक इत्र का पौराणिक इतिहास पांच हजार साल से भी ज्यादा पुराना है. कन्नौज का इत्र फूलों, जड़ी-बूटियों को पानी में गरम कर वाष्पीकरण प्रक्रिया से तैयार किया जाता है. खास बात यह है यहां का इत्र पूरी तरह से शुद्ध होता है. इसमें केमिकल नहीं मिलाया जाता. इसके चलते यहां के इत्र को देश के कई प्राचीन मंदिरों में भगवान की मूर्तियों पर चढ़ाया जाता है. यहां के इत्र की खुशबू से नकारात्मकता दूर होती है. स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है.

500 साल संघर्ष के बाद 22 जनवरी को अयोध्या में भगवान श्रीराम के बाल स्वरूप को उनके नए घर में प्राण प्रतिष्ठित किया जाएगा. इसको लेकर कन्नौज के इत्र व्यापारियों में जबरदस्त उत्साह देखने को मिल रहा है. सभी व्यापारी अपने द्वारा निर्मित इत्र को एक जगह इकट्ठा कर अयोध्या भेजने की तैयारी में जुट गए हैं. अयोध्या को चंदन, केवड़ा, खस, गुलाब जल जैसे इत्रों की खुशबू से महकाया जाएगा.

बताया जाता है कि कन्नौज का सम्बन्ध भगवान श्री राम से रहा है. वनवास से लौटते समय भगवान श्री राम माता सीता कन्नौज आए थे. यहां माता सीता ने अपने हांथों से भोजन बनाकर गंगा नदी के तट पर ब्राह्मणों को भोज कराया था. पूजा पाठ के काम में सबसे पहले चंदन का प्रयोग होता है. उसके बाद भगवान पर खस सहित कई प्रकार के इत्र चढ़ाए जाते हैं, जिसमें केवड़ा, नागरमोथा, मिट्टी, शमामा, मोतिया, मेहंदी का भी बहुत महत्व होता है. गुलाब जल का भी खास प्रयोग शुभ कार्यों में किया जाता है.

अयोध्या नगरी में भगवान के स्वागत के लिए कन्नौज से खास पंच जल जाएगा जो मिट्टी, सन्दल, बसावा पानी, नागर मोथा और केवड़े का होगा. भगवान श्रीराम के स्वागत में जो इत्रों का प्रयोग किया जाएगा उनके रेट भी बहुत खास हैं. मिट्टी का इत्र ₹10,000 प्रति किलो, खस का इत्र ₹65,000 प्रति किलो, केवड़े का इत्र ₹60,000 प्रति किलो, सन्दल का इत्र 1 लाख दस हजार रुपए प्रति किलो, शमामा का इत्र ₹1,00,000 रुपए प्रति किलो, मोतिया का इत्र 1,50,000 रुपए प्रति किलो और मेहंदी का इत्र ₹40,000 प्रति किलो कीमत का है.

कन्नौज लोकसभा सीट से भाजपा सांसद सुब्रत पाठक में बताया कि हम सबके अराध्य भगवान श्री राम के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में कन्नौज का शुद्ध प्राकृतिक इत्र मंदिर सहित पूरी अयोध्या को सुगंधित कर देगा.

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