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लॉक डाउन में दिल्ली से चले मजदूरों की हालत पर आता है तरस

लॉक डाउन के दौरान जब महानगरों में दिहाड़ी मजदूरों को दाना पानी मिलना बंद हो गया तो उन्हें घर लौट जाने के सिवा और कुछ नहीं सूझा. महानगरों से चल तो पड़े मगर उनकी दिक्कतें कहीं खत्म नहीं हो रही. भूख प्यास और थकान से व्याकुल परिवार और उसपर कोरोना का खतरा. जिला प्रशासन भी इस उमड़ी हुई भीड़ के आगे बेबस नजर आया. सरकारी आदेश के तहत काम कर रहा प्रशासन भी मदद करनेवाली संस्थाओं को खुलकर मदद करने की छूट नहीं दे पा रहा.

दिल्ली से चले मजदूरों की हालत पर आता है तरस
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Published : Mar 29, 2020, 3:06 PM IST

हालात बिगड़ते देख टूटी प्रशासन की नींद, शुरू कराई थर्मल स्क्रीनिंग

कन्नौजः यूं तो दिल्ली से यूपी के अलग-अलग जिलों में जाने के लिए पैदल ही हजारों की संख्या में निकल पडे थे लोग, जो बिना किसी रोक-टोक के परीक्षण कराए बिना ही अपने-अपने गांव और घर पहुंच गए. लेकिन हालात तब बदतर हो गए जब दिल्ली से मजदूरों को लाने के लिए शासन के निर्देश पर कुछ बसों का संचालन शुरू कर दिया गया. ऐसे में शनिवार सुबह से ही मजदूर झुंड में कन्नौज पहुंचने लग गए. बडी संख्या में लोगों को आता देख लोग हक्के-बक्के रहे गए.

ऐसे मजदूरों की थर्मल स्क्रीनिंग के लिए प्रशासन की ओर से कोई प्रबंध नही किए गए थे. जब लोगों ने सोशल साइटों पर प्रशासन को आड़े हाथों लेना शुरू किया तो रविवार सुबह से जिला अस्पताल में मजदूरों की थर्मल स्क्रीनिंग शुरू करा दी गई. दिल्ली से कन्नौज तक की सवारियां लाने वाली सभी बसों को जिला अस्पताल में रोका जा रहा है और वहां से थर्मल स्क्रीनिंग के बाद ही लोगों को उनके घरों और गांव में जाने दिया जा रहा है. इस काम में स्वास्थ्य विभाग की टीम और पुलिस कर्मी भी तैनात किए गए है.

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दिल्ली से चले मजदूरों की हालत पर आता है तरस

पैसा तो मेरे पास भी हैं, यदि खाने को कुछ हो तो दे दीजिए
दिल्ली से पैदल आने वालों की संख्या में अभी भी कमी नहीं आई है. जो लोग तीन-चार दिन पहले ही जत्थे के रूप में अपने घर जाने के लिए निकले थे उनके जत्थे शनिवार देर रात तक और रविवार सुबह तक नेशनल हाइवे से निकलते रहे. रास्ते में चल रहे इन जत्थों को बिठाने के लिए दिल्ली की ओर से आने वाली खचाखच भरी बसों में भी जगह नहीं मिली, जिस कारण भूख-प्यास से व्याकुल लोगों ने कहीं रूक कर वाहनों का इंतजार करने से बेहतर चलते रहना ही समझा. ऐसे ही एक जत्थे में कुछ महिलाएं और बच्चे शामिल थे, जो दिल्ली से पैदल चलकर कन्नौज होते हुए अपने घर जा रहे थे.

इन जत्थों में शामिल लोगों को यदि कोई स्थानीय नागरिक पैदल या बाइक से आते-जाते दिख जाता है तो वह अपने बच्चों के पेट की आग को बुझाने के लिए उससे खाना मांगने लग जाते. ऐसे में कुछ लोगों ने पैसे देने की बात कही तो मजदूरों का कहना था कि पैसे तो उनके पास भी हैं, लेकिन होटल-ढाबे और दुकानें बंद होने के कारण वह खाने के लिए कोई सामान नहीं खरीद सके.

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परमीशन के लिए प्रशासन का मुंह ताक रहे हैं समाजसेवी संगठनदिल्ली से भारी संख्या में पहुंच रहे मजदूरों के जत्थों को भूख-प्यास से व्याकुल देखते हुए जिले के कई समाजसेवी संगठन भोजन-पानी की व्यवस्था करने के लिए तैयार हैं, लेकिन लाॅक डाउन के नियमों का पालन करने के कारण उनके लिए ऐसा करना मुश्किल है. ऐसे में कुछ समाजसेवी और उनके संगठन निकल कर सामने आए हैं और उन्होंने जिले के उच्चाधिकारियों से मजदूरों के जत्थों के लिए भोजन-पानी की व्यवस्था करने की आज्ञा मांगी, लेकिन प्रशासन ऐसा करने की अनुमति नहीं दे रहा है.
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डीएम बोले सरकार के निर्देश पर काम कर रहे हैं

डीएम बोले सरकार के निर्देश पर काम कर रहे हैं
गरीबों के घरों में राशन-पानी और भोजन की व्यवस्था करने के इच्छुक समाजसेवियों को प्रशासन से परमिशन न मिलने की बात जब ईटीवी संवाददाता ने जिलाधिकारी राकेश कुमार मिश्रा के सामने रखी तो उन्होंने कहा कि वह भी चाहते हैं कि हर गरीब तक राशन-पानी पहुंचे, लेकिन शासन से जब तक इस प्रकार के निर्देश प्राप्त नहीं हो जाते हैं, तब तक किसी को परमिशन नहीं दी जा सकती.

हालात बिगड़ते देख टूटी प्रशासन की नींद, शुरू कराई थर्मल स्क्रीनिंग

कन्नौजः यूं तो दिल्ली से यूपी के अलग-अलग जिलों में जाने के लिए पैदल ही हजारों की संख्या में निकल पडे थे लोग, जो बिना किसी रोक-टोक के परीक्षण कराए बिना ही अपने-अपने गांव और घर पहुंच गए. लेकिन हालात तब बदतर हो गए जब दिल्ली से मजदूरों को लाने के लिए शासन के निर्देश पर कुछ बसों का संचालन शुरू कर दिया गया. ऐसे में शनिवार सुबह से ही मजदूर झुंड में कन्नौज पहुंचने लग गए. बडी संख्या में लोगों को आता देख लोग हक्के-बक्के रहे गए.

ऐसे मजदूरों की थर्मल स्क्रीनिंग के लिए प्रशासन की ओर से कोई प्रबंध नही किए गए थे. जब लोगों ने सोशल साइटों पर प्रशासन को आड़े हाथों लेना शुरू किया तो रविवार सुबह से जिला अस्पताल में मजदूरों की थर्मल स्क्रीनिंग शुरू करा दी गई. दिल्ली से कन्नौज तक की सवारियां लाने वाली सभी बसों को जिला अस्पताल में रोका जा रहा है और वहां से थर्मल स्क्रीनिंग के बाद ही लोगों को उनके घरों और गांव में जाने दिया जा रहा है. इस काम में स्वास्थ्य विभाग की टीम और पुलिस कर्मी भी तैनात किए गए है.

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दिल्ली से पैदल आने वालों की संख्या में अभी भी कमी नहीं आई है. जो लोग तीन-चार दिन पहले ही जत्थे के रूप में अपने घर जाने के लिए निकले थे उनके जत्थे शनिवार देर रात तक और रविवार सुबह तक नेशनल हाइवे से निकलते रहे. रास्ते में चल रहे इन जत्थों को बिठाने के लिए दिल्ली की ओर से आने वाली खचाखच भरी बसों में भी जगह नहीं मिली, जिस कारण भूख-प्यास से व्याकुल लोगों ने कहीं रूक कर वाहनों का इंतजार करने से बेहतर चलते रहना ही समझा. ऐसे ही एक जत्थे में कुछ महिलाएं और बच्चे शामिल थे, जो दिल्ली से पैदल चलकर कन्नौज होते हुए अपने घर जा रहे थे.

इन जत्थों में शामिल लोगों को यदि कोई स्थानीय नागरिक पैदल या बाइक से आते-जाते दिख जाता है तो वह अपने बच्चों के पेट की आग को बुझाने के लिए उससे खाना मांगने लग जाते. ऐसे में कुछ लोगों ने पैसे देने की बात कही तो मजदूरों का कहना था कि पैसे तो उनके पास भी हैं, लेकिन होटल-ढाबे और दुकानें बंद होने के कारण वह खाने के लिए कोई सामान नहीं खरीद सके.

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परमीशन के लिए प्रशासन का मुंह ताक रहे हैं समाजसेवी संगठनदिल्ली से भारी संख्या में पहुंच रहे मजदूरों के जत्थों को भूख-प्यास से व्याकुल देखते हुए जिले के कई समाजसेवी संगठन भोजन-पानी की व्यवस्था करने के लिए तैयार हैं, लेकिन लाॅक डाउन के नियमों का पालन करने के कारण उनके लिए ऐसा करना मुश्किल है. ऐसे में कुछ समाजसेवी और उनके संगठन निकल कर सामने आए हैं और उन्होंने जिले के उच्चाधिकारियों से मजदूरों के जत्थों के लिए भोजन-पानी की व्यवस्था करने की आज्ञा मांगी, लेकिन प्रशासन ऐसा करने की अनुमति नहीं दे रहा है.
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