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कन्नौज: गरीब के पास पैसे न होने पर सरकारी अस्पताल में इलाज न करने का आरोप - no tratment in hospital due to lack of money

उत्तर प्रदेश के कन्नौज जिले में एक मरीज को पैसे न जमा करने की वजह से वापस लौटा दिया गया. दरअसल, एक व्यक्ति के बेटे के हाथ का प्लास्टर करना था. आरोप है कि डॉक्टरों ने यह कहकर उसे लौटा दिया कि वह पैसे लेकर आए तो उसका प्लास्टर हो सकेगा.

नहीं हुआ इलाज
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Published : Jun 28, 2020, 2:04 AM IST

कन्नौज: जिले के तिर्वा क्षेत्र का रहने वाला दिनेश कुमार काफी गरीब है, जो मजदूरी करके अपने परिवार का भरण-पोषण करता है. लॉकडाउन की वजह से उसकी मजदूरी का काम भी बंद हो गया. इसके बाद उसके सामने आर्थिक समस्या खड़ी हो गई. इसी बीच दिनेश के छोटे बेटे प्रताप का हाथ टूट गया. आर्थिक स्थिति ठीक न होने पर वह अपने बेटे के हाथ में प्लास्टर करवाने के लिए जिला अस्पताल गया.

आरोप है कि जिला अस्पताल में दिनेश के पास फीस के पैसे न होने पर उसको बाहर निकाल दिया गया. दिनेश से कहा गया कि पहले पैसे लेकर आओ तब इलाज होगा. दिनेश का कहना है कि उसके पास किराए तक के पैसे नहीं हैं. वह अस्पताल की फीस कहां से भरेगा. सरकारी अस्पताल में जहां गरीबों का इलाज बिना फीस के होना चाहिए, वहां भी बिना पैसे के कोई काम नहीं होता.

दिनेश ने डॉक्टर पर आरोप लगाते हुए कहा कि डॉक्टर ने इलाज के लिए उससे 300 रुपये की मांग की है. वहीं जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डाॅ. उमेश चन्द्र चतुर्वेदी ने पूरे मामले पर कहा कि उस बच्चे का एक बार कच्चा प्लास्टर हो गया था. वह खुद ही प्लास्टर काटकर यहां पर आया था.

उसका कहना था कि प्लास्टर खराब हो गया था, दूसरा प्लास्टर कर दो. इसपर प्लास्टर लगाने का जो निर्धारित शुल्क होता है, उसे जमा कराने के लिए उससे कहा गया. उससे कहा गया कि पैसे जमा करने के बाद प्लास्टर होगा और उसकी रशीद भी दी जाएगी. उन्होंने कहा कि अगर अगर मरीज के पास बीपीएल कार्ड होता है तो हम प्लास्टर नि:शुल्क कर देते हैं.

कन्नौज: जिले के तिर्वा क्षेत्र का रहने वाला दिनेश कुमार काफी गरीब है, जो मजदूरी करके अपने परिवार का भरण-पोषण करता है. लॉकडाउन की वजह से उसकी मजदूरी का काम भी बंद हो गया. इसके बाद उसके सामने आर्थिक समस्या खड़ी हो गई. इसी बीच दिनेश के छोटे बेटे प्रताप का हाथ टूट गया. आर्थिक स्थिति ठीक न होने पर वह अपने बेटे के हाथ में प्लास्टर करवाने के लिए जिला अस्पताल गया.

आरोप है कि जिला अस्पताल में दिनेश के पास फीस के पैसे न होने पर उसको बाहर निकाल दिया गया. दिनेश से कहा गया कि पहले पैसे लेकर आओ तब इलाज होगा. दिनेश का कहना है कि उसके पास किराए तक के पैसे नहीं हैं. वह अस्पताल की फीस कहां से भरेगा. सरकारी अस्पताल में जहां गरीबों का इलाज बिना फीस के होना चाहिए, वहां भी बिना पैसे के कोई काम नहीं होता.

दिनेश ने डॉक्टर पर आरोप लगाते हुए कहा कि डॉक्टर ने इलाज के लिए उससे 300 रुपये की मांग की है. वहीं जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डाॅ. उमेश चन्द्र चतुर्वेदी ने पूरे मामले पर कहा कि उस बच्चे का एक बार कच्चा प्लास्टर हो गया था. वह खुद ही प्लास्टर काटकर यहां पर आया था.

उसका कहना था कि प्लास्टर खराब हो गया था, दूसरा प्लास्टर कर दो. इसपर प्लास्टर लगाने का जो निर्धारित शुल्क होता है, उसे जमा कराने के लिए उससे कहा गया. उससे कहा गया कि पैसे जमा करने के बाद प्लास्टर होगा और उसकी रशीद भी दी जाएगी. उन्होंने कहा कि अगर अगर मरीज के पास बीपीएल कार्ड होता है तो हम प्लास्टर नि:शुल्क कर देते हैं.

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