कन्नौज: जिले में कृत्रिम गर्भाधान योजना का प्रचार-प्रसार न होने से पशुपालकों को इस योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है. जिले में 2 लाख 37 हजार गोवंश है, जिसमें गायों से केवल बछिया को जन्म देने वाली प्रजनन क्षमता वाली 62 हजार ही गाय हैं, लेकिन 4 महीने में केवल 117 गायों को ही सेक्स सॉर्टेड सीमेन योजना के तहत गाय को कृत्रिम गर्भाधान योजना का लाभ देते हुए गर्भवती कराया गया है.
क्या है यह योजना पशु चिकित्सा विभाग की गोवंशीय पशुओं में वर्गीकृत वीर्य का प्रयोग (सेक्स सॉर्टेड सीमेन) योजना में कृत्रिम गर्भाधान से गायों को गर्भवती किया जा रहा है. यह योजना नवंबर 2019 से चालू की गई थी, जिसमें कृत्रिम गर्भाधान में स्वदेशी नस्ल की बछिया पैदा करने पर जोर दिया जा रहा है. इसके लिए साहीवाल, बादल, थारपारकर, हरियाणा, रेड सिंधी प्रजाति के स्वदेशी सांड के सीमेन का प्रयोग किया जा रहा है. इसमें सबसे बेहतर साहीवाल सांड का सीमेन है, जिसमें गाय से बछियों के जन्म देने का दावा है. गर्भाधान के लिए पशुपालकों से प्रति गाय 300 रुपये लिए जाते हैं, जिससे राजस्थान, मथुरा, हाथरस और आगरा जैसे इलाकों में साहीवाल प्रजाति की गाय 25 से 30 लीटर तक दूध दे रही हैं.
पशुपालकों को 300 रुपये में मिल रहा है सीमेनप्रदेश में एसबीएस संस्था से सेक्स सॉर्टेड सीमेन मुहैया कराने का अनुबंध किया गया है. इस संस्था की ओर से 1500 रुपये में सीमेन दिया जाता है, जिसमें 1200 रुपये सरकार अनुदान दे रही है. इससे अब यह फीमेल मात्र 300 रुपये में ही पशुपालकों को दिया जा रहा है. जिले में 2 लाख 37 हजार गौवंश हैं, जिसमें करीब 62 हजार गाय प्रजनन योग्य है. इन गायों को सेक्स सॉर्टेड सीमेन योजना के तहत गर्भवती करने के लिए पशु चिकित्सा विभाग ने 300 गांव के पशुपालकों को तैयार किया है. यह योजना नवंबर 2019 में शुरू की गई है, जिसके बाद से इस महीने तक केवल 117 गायों को ही गर्भवती कराया गया है. गर्भवती गाय बछिया के जन्म देने के बाद 15 से 20 लीटर दूध देगी.
क्या कहते हैं पशु चिकित्सक मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर अनिल कुमार सिंह ने योजना के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि सेक्स सीमेन योजना से पशुपालक किसानों को यह लाभ मिलेगा कि उनके आगे केवल बछिया ही पैदा होगी. इससे दूध बढ़ेगा और उनका दुरुपयोग नहीं होगा. इस योजना के लिए गांव-गांव में डीआई सेंटर खोल करके प्रचार-प्रसार किया जा रहा है, जिससे ज्यादा से ज्यादा किसान लाभान्वित हों. हालांकि फंड तो नहीं है कोई, लेकिन इसमें 300 रुपये प्रति सीमेन के हिसाब से लिया जाता है और सरकारी खाते में जमा किया जाता है.
प्रचार-प्रसार के माध्यम से किया जा रहा जागरूकमुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. अनिल कुमार सिंह ने बताया कि इसमें ज्यादा समस्या यह है कि यह बहुत महंगा सीमेन है. इसका पहली बार उपयोग हो रहा है, क्योंकि इतना महंगा सीमेन कभी नहीं यूज हुआ. हालांकि फिर भी खास पेज पर अपना प्रचार-प्रसार कर रहे हैं. लोग समझ रहे हैं और काम कर रहे हैं.मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. अनिल कुमार सिंह ने बताया कि पशुपालकों को इसलिए समस्या आती है, क्योंकि वे लोग इसको खिला नहीं पाते हैं. उसे पहले तैयार कर लें, वीडेविल इस प्रकार बना लें कि यह ठहर जाए. उसके लिए मिंडामिक्सर डीवाबीन वह सब कराते हैं. समाधान यही है कि उसको पहले जाकर तैयार करने के लिए डीवाबीन कराएंगे, फिर मिंडामिक्सर देंगे, जिससे कि वह इस लायक हो जाए कि वह फिर गाय कंसीव कर सके.
सभी समस्या का समाधान करेगी "गोकुल मिशन योजना"मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. अनिल कुमार सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि अभी इसमें एक गोकुल मिशन योजना और है. अभी तक हमने 300 गांव सिलेक्ट किए थे. वहीं इससे अलग जो और गांव शेष बचे गए हैं, वे 300 गांव हैं. उनको भी सिलेक्ट किया जा रहा है और उसमें भी यह निशुल्क है. इससे पूरा क्षेत्र कवर हो सकेगा.