कन्नौज: इत्रनगरी के राजा जयचंद्र की जयंती हर साल महाशिवरात्री को मनाई जाती है. कान्यकुब्ज शिक्षा एवं समाज सेवा समिति ने जयचंद्र किले में लगी प्रतिमा को फूल माला चढ़ाकर सादगी पूर्ण तरीके से जयंती मनाई. इस दौरान समिति के अध्यक्ष ने महाराजा जयचंद को गद्दार साबित करने वाले को पांच लाख नगद पुरस्कार देने की घोषणा की है. कहा कि राजा जयचंद्र वीर पराक्रमी सम्राट थे. कुछ चाटुकार इतिहासकारों व पृथ्वी राज के दरबारी कवि चंद्रबरदाई ने भ्रांति फैलाई थी कि पृथ्वीराज को मरवाने में जयचंद्र मददगार थे. इसके बाद से उन्हें गद्दार कहा जाने लगा.
क्या है पूरा मामला
मंगलवार को महाशिवरात्री पर्व पर कान्यकुब्ज शिक्षा समिति एवं समाज सेवा समिति के तत्वाधान में महाराजा जयचंद्र की जयंती मनाई गई. समिति के लोगों ने जयचंद्र के किले में लगी मूर्ति पर माल्यापर्ण किया. बता दें कि हर साल समिति की ओर से शहर के लुधपुरी मोहल्ला में महाराजा जय चंद्र के किले के सामने स्मृति समारोह का आयोजन किया जाता है. कोरोना महामारी के चलते इस वर्ष जयंती कार्यक्रम को सादगी से आयोजित किया गया. समिति के अध्यक्ष नवाब सिंह यादव ने बताया कि काव्य मीमांसा व भविष्य पुराण में जयचंद्र को उत्तर भारत का अपने समय में सबसे प्रतापी व प्रजापालक नरेश कहा गया है.
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जयचंद्र का साम्राज्य 700 योजन तक फैला था. राजा जयचंद्र वीर व पराक्रमी सम्राट थे. राजा पृथ्वीराज चौहान के दरबार के कवि चंद्रबरदाई के काव्य पृथ्वीराज रासो के आधार पर उन्हें गद्दार माना जाता है. उनकी संस्था कई सालों से दावा कर रही कि राजा जयचंद्र गद्दार नहीं थे.
अगर कोई राजा जयचंद्र को गद्दार साबित कर देगा तो उनकी समिति की ओर से पांच लाख का नगद इनाम दिया जाएगा. बताया कि प्रतिवर्ष महाराजा जयचंद्र की जयंती मनाई जाती है. कार्यक्रम में पूरे प्रदेश व देश से कई इतिहासकार आते थे जिसमें जयचंद्र के उज्जव भविष्य पर चर्चा होती थी. इस बार कोराना व चुनाव के चलते कार्यक्रम नहीं हो सका.
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