कन्नौज: अपनी सुगंध (खुशबू) से देश और विदेश तक विख्यात कन्नौज का इत्र कारोबार लॉकडाउन में पूरी तरह से ठप है. कोरोना संकट ने इत्र व्यापार पर इस कदर ग्रहण लगाया कि इत्र की खुशबू फीकी हो गई. हालांकि इत्र व्यापारियों की परेशानी को देखते हुए सरकार ने 20 अप्रैल से कारखाने संचालित करने की स्वीकृति दी थी, लेकिन अनुमति मिलने के बावजूद कारखाना चलाना मुश्किल हो रहा है. कारखाने चलाने के लिए जिन संसाधनों की जरूरत होती है, वह इत्र व्यापारियों को आसानी से नहीं मिल रहे.
350 इत्र कारखानों का संचालन ठप
जिले में छोटे-बड़े करीब 350 इत्र कारखाने हैं. यहां हजारों मजदूर और कर्मचारी इत्र के कारोबार से रोजी-रोटी कमाते हैं. वहीं इत्र व्यवसाय में अपनी मुख्य भूमिका अदा करने वाला फूलों का कारोबार भी अब चौपट होने की कगार पर है, जबकि फूलों की खेती करने वाले किसान भी इस लॉकडाउन के फेर में फंसकर आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं. इत्र तैयार करने के लिए गुलाब, बेला और मेहंदी के फूलों और पत्तियों की बहुतायत में जरूरत होती है. लिहाजा जिले में इस तरह की खेती करने वाले किसान ज्यादा हैं.
व्यापारियों के सामने आर्थिक संकट
यहां निर्मित इत्र की खपत प्रदेश के अलावा महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, दिल्ली के साथ-साथ विदेशों में भी है. ऐसे में तैयार माल की खपत न होने से इत्र व्यापारियों की परेशानी जस की तस बनी हुई है. यूं कहें कि अब व्यापारियों को आर्थिक संकट से उबारना किसी चुनौती से कम साबित नहीं होगा.
इत्र कारोबारियों को करोड़ों रुपए का घाटा
इत्र व्यवसायी विपिन मिश्रा ने बताया कि इत्र की भट्टी जलाने के लिए संसाधन उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं और इस लॉकडाउन में मजदूर भी मिलना कठिन हो रहा है. वहीं एसोसिएशन के उपाध्यक्ष पवन त्रिवेदी का कहना है कि इस समय लॉकडाउन में कारखाने बंद होने से इत्र व्यापारियों को करोड़ों रुपये का नुकसान हो रहा है. हालांकि इन व्यापारियों को उम्मीद है कि लॉकडाउन जल्द खत्म होगा और फिर से जिंदगी सामान्य होकर पटरी पर लौटेगी.