कन्नौज: जिले में कोरोना ने चारों ओर तबाही मचा रखी है. कोरोना काल में हुई मौतों के आंकड़ों ने जिले भर को हिलाकर रख दिया है. बीते डेढ़ माह में सिर्फ महादेवी घाट पर दो हजार से ज्यादा शवों का अंतिम संस्कार किया गया है. जबकि साढ़े तीन माह में 3480 शवों का अंतिम संस्कार किया गया है. साथ ही सैकड़ों शवों को गंगा किनारे रेती में भी दफन किया गया है. फरवरी और मार्च में कम लोगों की मौतें हुई थीं, जबकि दूसरी लहर आने पर लोगों की मौतों का आंकड़ा अप्रैल और मई में तेजी से बढ़ा है.
महादेवी घाट पर किया जा रहा शवों का अंतिम संस्कार
कोरोना महामारी के चलते जिले में मौतों का सिलसिला बदस्तूर जारी है. महादेवी घाट पर बड़ी संख्या में लोग शवों का अंतिम संस्कार करने के लिए पहुंच रहे हैं. बीते करीब डेढ़ माह में दो हजार से ज्यादा शवों का अंतिम संस्कार जिले के सिर्फ एक घाट पर हुआ है, जबकि साढ़े तीन माह में 3480 शवों का अंतिम संस्कार किया गया है. वहीं, कोरोना से मौत के सरकारी आंकड़े कुछ और ही कहते हैं. कोरोना काल में श्मशान घाट पर जब ईटीवी भारत की टीम ने स्तिथि का जायजा लिया तो हर तरफ मौत का सन्नाटा पसरा था. दूर-दूर तक रेती में सैकड़ों की तादाद में शव दिखाई दे रहे थे. वहीं, दूसरी तरफ कई शव जलते नजर आ रहे थे.
अप्रैल-मई में बढ़ा मौतों का आंकड़ा
श्मशान घाट पर पंजीकरण कार्यालय में तैनात कर्मचारी ने बताया कि फरवरी और मार्च की अपेक्षा करीब 2 गुना शव अब तक आ चुके हैं. फरवरी की बात की जाए तो कुल 741 और मार्च में 661 शव आए थे. वहीं, कोरोना काल की दूसरी लहर में यह संख्या अचानक दोगुनी हो गई. अप्रैल में कुल 1444 शव आए और 1 से 15 मई के बीच कुल 661 शव आ चुके हैं. इनका अंतिम संस्कार किया जा चुका है.
शवों को दफनाने से रोकने के लिए सख्त हुआ प्रशासन
लगातार लोगों द्वारा शव को दफनाए जाने के बाद प्रशासन सतर्क हो गया है. शव को दफनाने से रोकने के लिए प्रत्येक घाट पर पुलिसकर्मियों के साथ निगरानी समिति के कर्मचारियों की भी तैनाती कर दी गई है. पुलिस और समिति के कर्मचारी हर घाट पर भ्रमण कर लोगों को शव दफनाने से रोक रहे हैं.
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20 से 40 रोजाना अंतिम संस्कार के लिए पहुंच रहे शव
कोरोना की दूसरी लहर अब कम होती दिख रही है. फिलहाल अब भी 20 से 40 शव प्रतिदिन महादेवी घाट पर अंतिम संस्कार के लिए आ रहे हैं. वहीं, जिले के बाकी तीन और घाटों और कब्रिस्तानों में आए शवों का आंकड़ा नहीं मिल पाया है. महादेवी घाट पर तैनात कर्मचारी की मानें तो कम से कम यहां के आंकड़े के आधे तो शव वहां पर भी आए होंगे तो ऐसे में कहा जाए कि बीते 2 महीनों में 3 हजार के आस-पास मौतों का आंकड़ा पहुंच चुका है.