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सखियों की हालत खुद खराब, कन्नौज वन स्टॉप सेंटर कैसे करेगा पीड़िताओं की मदद - sakhi one stop center

यूपी के कन्नौज में 2017 में बनाए गए वन स्टॉप सेंटर की हालत बहुत खराब है. आलम यह है कि पीड़ित महिलाओं की समस्या को सुनने वाले खुद अपनी समस्याओं से परेशान हैं. प्रशासनिक लापरवाही का आलम यह है कि यहां काम करने वाले कर्मचारियों को नौ महीने से वेतन नहीं मिला है, जिससे उनके खाने-पीने के भी लाले पड़ गए हैं.

स्टॉफ को नौ महीने से नहीं मिला वेतन
स्टॉफ को नौ महीने से नहीं मिला वेतन
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Published : Mar 24, 2020, 7:17 AM IST

Updated : Mar 24, 2020, 6:03 PM IST

कन्नौज: जिले में 'सखी' वन स्टॉप सेंटर महिलाओं की समस्या के लिए 8 मार्च 2017 में खोला गया था, लेकिन आज यह सेंटर बदहाली के आंसू बहा रहा है. यहां सेंटर पर कार्यरत महिलाओं के आंसू पोछने वाला कोई नहीं है. 'सखी' वन स्टॉप सेंटर में कार्यरत स्टॉफ की महिलाओं से उनकी समस्याओं को जानने के लिए ईटीवी भारत के संवाददाता ने उनसे बातचीत की.

स्टाफ को नौ महीने से नहीं मिला वेतन
स्टाफ की महिला कर्मचारियों ने बताया कि उनकी सबसे बड़ी समस्या वेतन है. यहां कार्यरत स्टाफ को लगभग नौ महीने से वेतन तक नहीं मिला है. ऐसे में इनके आगे परिवार के भरण-पोषण की समस्या भी खड़ी हो गई है. सबसे बड़ी बात तो यह है कि इनमें से स्टाफ के कुछ लोगों को वेतन दिए बिना ही सेंटर से हटा भी दिया गया है.

स्टॉफ को नौ महीने से नहीं मिला वेतन.

बिल्डिंग की हालत भी जर्जर
इतना ही नहीं सेंटर की बिल्डिंग की हालत भी जर्जर है. बिल्डिंग की छत टीन शेड से आच्छादित है, जिसकी वजह से बारिश के दिनों में पूरी बिल्डिंग में पानी भरने की समस्या आ जाती है. इससे अंडरग्राउंड विद्युतीकरण होने के कारण करंट फैल जाता है, जिससे हादसे भी होते रहते हैं.

प्रशासनिक अवहेलना के कारण समस्याएं जस की तस
ऐसा नहीं है कि इस बात की जानकारी उच्चाधिकारियों को नहीं है. इसके बावजूद भी प्रशासनिक अवहेलना के कारण समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं. ऐसे में बिना वेतन के स्टाफ कैसे काम करें. यह सबसे बड़ा सवाल है, जिसका परिणाम यह हुआ है कि धीरे-धीरे इस वन स्टॉप सेंटर में काम बंद होता जा रहा है.

पीड़ित महिलाओं की समस्या को दूर करने के लिए सेंटर स्टॉफ के पास पर्याप्त संसाधन भी नहीं हैं. स्टॉफ के आने-जाने के लिए जो गाड़ी मिली थी, उसके ड्राइवर को भी हटा दिया गया है. यहां काम करने वाले सफाई कर्मियों को भी हटा दिया गया है, जिसकी वजह से 'सखी' वन स्टॉप सेंटर के अंदर गंदगी का ढे़र जमा हो गया है. ऐसे में इनकी समस्या को सुनने वाला कोई नहीं है. पिछले कई महीनों से यहां के कर्मचारियों ने अपनी गुहार शासन-प्रशासन से भी की है, लेकिन प्रशासन है कि कान में तेल डाले बैठा है.

इसे भी पढ़ें- हमीरपुर में अब तक नहीं खुल सका है 'वन स्टॉप सेंटर'

कन्नौज: जिले में 'सखी' वन स्टॉप सेंटर महिलाओं की समस्या के लिए 8 मार्च 2017 में खोला गया था, लेकिन आज यह सेंटर बदहाली के आंसू बहा रहा है. यहां सेंटर पर कार्यरत महिलाओं के आंसू पोछने वाला कोई नहीं है. 'सखी' वन स्टॉप सेंटर में कार्यरत स्टॉफ की महिलाओं से उनकी समस्याओं को जानने के लिए ईटीवी भारत के संवाददाता ने उनसे बातचीत की.

स्टाफ को नौ महीने से नहीं मिला वेतन
स्टाफ की महिला कर्मचारियों ने बताया कि उनकी सबसे बड़ी समस्या वेतन है. यहां कार्यरत स्टाफ को लगभग नौ महीने से वेतन तक नहीं मिला है. ऐसे में इनके आगे परिवार के भरण-पोषण की समस्या भी खड़ी हो गई है. सबसे बड़ी बात तो यह है कि इनमें से स्टाफ के कुछ लोगों को वेतन दिए बिना ही सेंटर से हटा भी दिया गया है.

स्टॉफ को नौ महीने से नहीं मिला वेतन.

बिल्डिंग की हालत भी जर्जर
इतना ही नहीं सेंटर की बिल्डिंग की हालत भी जर्जर है. बिल्डिंग की छत टीन शेड से आच्छादित है, जिसकी वजह से बारिश के दिनों में पूरी बिल्डिंग में पानी भरने की समस्या आ जाती है. इससे अंडरग्राउंड विद्युतीकरण होने के कारण करंट फैल जाता है, जिससे हादसे भी होते रहते हैं.

प्रशासनिक अवहेलना के कारण समस्याएं जस की तस
ऐसा नहीं है कि इस बात की जानकारी उच्चाधिकारियों को नहीं है. इसके बावजूद भी प्रशासनिक अवहेलना के कारण समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं. ऐसे में बिना वेतन के स्टाफ कैसे काम करें. यह सबसे बड़ा सवाल है, जिसका परिणाम यह हुआ है कि धीरे-धीरे इस वन स्टॉप सेंटर में काम बंद होता जा रहा है.

पीड़ित महिलाओं की समस्या को दूर करने के लिए सेंटर स्टॉफ के पास पर्याप्त संसाधन भी नहीं हैं. स्टॉफ के आने-जाने के लिए जो गाड़ी मिली थी, उसके ड्राइवर को भी हटा दिया गया है. यहां काम करने वाले सफाई कर्मियों को भी हटा दिया गया है, जिसकी वजह से 'सखी' वन स्टॉप सेंटर के अंदर गंदगी का ढे़र जमा हो गया है. ऐसे में इनकी समस्या को सुनने वाला कोई नहीं है. पिछले कई महीनों से यहां के कर्मचारियों ने अपनी गुहार शासन-प्रशासन से भी की है, लेकिन प्रशासन है कि कान में तेल डाले बैठा है.

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Last Updated : Mar 24, 2020, 6:03 PM IST
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