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कोर्ट के आदेशों की अवेहलना करना सीओ तिर्वा को पड़ा महंगा, अब दिया गिरफ्तार करने का आदेश

मिर्जापुर जनपद के अहरौरा थाना क्षेत्र में साल 2010 में युवक की हत्या कर शव को छिपा देने का मामला सामने आया था. वहीं, इस मामले में मिर्जापुर कोर्ट में बयान दर्ज कराने के लिए सीओ तिर्वा को उपस्थित होने का निर्देश दिया गया था. लेकिन वो कोर्ट में हाजिर नहीं हुए. आखिरकार अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम वायु नंदन मिश्र ने कन्नौज के तिर्वा सर्किल के सीओ को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया है.

कोर्ट के आदेशों की अवेहलना करना पड़ा मंहगा
कोर्ट के आदेशों की अवेहलना करना पड़ा मंहगा
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Published : Nov 2, 2021, 12:03 PM IST

Updated : Nov 2, 2021, 9:21 PM IST

कन्नौज: हत्या के मुकदमा में कोर्ट में बयान दर्ज कराने के लिए उपस्थित नहीं होने व कोर्ट के आदेशों की अवेहलना करना सीओ तिर्वा को मंहगा पड़ गया. मिर्जापुर जनपद के अहरौरा थाना क्षेत्र में साल 2010 में युवक की हत्या कर शव को छिपा देने का मामला सामने आया था. वहीं, इस मामले में मिर्जापुर कोर्ट में बयान दर्ज कराने के लिए सीओ तिर्वा को उपस्थित होने का निर्देश दिया गया था.

लेकिन वो कोर्ट में हाजिर नहीं हुए. आखिरकार अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम वायु नंदन मिश्र ने कन्नौज के तिर्वा सर्किल के सीओ को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया है.

कोर्ट के आदेशों की अवेहलना करना पड़ा मंहगा
कोर्ट के आदेशों की अवेहलना करना पड़ा मंहगा

साथ ही उनके वेतन से सौ रुपये अर्थदंड के तौर पर काटकर न्यायालय में जमा कराने के निर्देश दिए है. बता दें कि सीओ दीपक दुबे घटना के समय अहरौरा थानाध्यक्ष के पद पर तैनात थे.

वर्तमान समय में तिर्वा सर्किल के सीओ के पद पर तैनात है. कोर्ट की ओर से बयान दर्ज कराने के लिए करीब 42 बार नोटिस भेजा गया था. कोर्ट ने 12 नवंबर तक मिर्जापुर कोर्ट में पेश कराने का आदेश दिया है.

इसे भी पढ़ें - आर्थिक तंगी में छूटा इन दोनों गोल्ड मेडलिस्ट बहनों का खेल, अब दिवाली का दीया बना चला रही पेट

क्या है पूरा मामला

जानकारी के अनुसार साल 2010 में मिर्जापुर जनपद के अहरौरा थाना क्षेत्र में एक युवक की हत्या कर शव को छिपाने का मुकदमा दर्ज किया गया था. मामले की विवेचना वर्तमान समय में तिर्वा सर्किल के सीओ के पद पर तैनात व तत्कालीन थानाध्यक्ष दीपक दुबे ने की थी.

विवेचना के दौरान दीपक दुबे का स्थानांतरण दूसरे जनपद हो गया. जिसके चलते साल 2017 से कार्रवाई लंबित है.

वहीं, 2017 से 2019 तक लखनऊ में कार्यरत रहे. इस दौरान मिर्जापुर कोर्ट ने 42 बार नोटिस जारी कर बयान दर्ज कराने के लिए उपस्थित होने के आदेश दिए. लेकिन वह बयान दर्ज कराने के लिए कोर्ट नहीं पहुंचे. लखनऊ के पुलिस अधीक्षक के माध्यम से सात बार नोटिस भेजकर कोर्ट में गवाही के लिए भेजने का आदेश दिया गया था.

लेकिन एसपी ने लखनऊ कानून व्यवस्था का हवाला देते हुए बचाते रहे. 42 बार कोर्ट के आदेशों की अवेहलना करने पर अपर सत्र न्यायाधीश त्वरित प्रथम वायु नंदन ने तिर्वा सीओ दीपक दुबे को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश करने के आदेश दिए है.

साथ ही अर्थदंड के तौर पर उनके वेतन से सौ रुपए काटकर न्यायालय में जमा कराने का आदेश दिया है. कोर्ट ने 12 नवंबर तक सीओ को गिरफ्तार कर पेश कराने का आदेश दिया है. वहीं मामले में जानकारी लेने के लिए एसपी प्रशांत वर्मा से संपर्क करना चाहा तो उनसे संपर्क नहीं हो सका.

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कन्नौज: हत्या के मुकदमा में कोर्ट में बयान दर्ज कराने के लिए उपस्थित नहीं होने व कोर्ट के आदेशों की अवेहलना करना सीओ तिर्वा को मंहगा पड़ गया. मिर्जापुर जनपद के अहरौरा थाना क्षेत्र में साल 2010 में युवक की हत्या कर शव को छिपा देने का मामला सामने आया था. वहीं, इस मामले में मिर्जापुर कोर्ट में बयान दर्ज कराने के लिए सीओ तिर्वा को उपस्थित होने का निर्देश दिया गया था.

लेकिन वो कोर्ट में हाजिर नहीं हुए. आखिरकार अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम वायु नंदन मिश्र ने कन्नौज के तिर्वा सर्किल के सीओ को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया है.

कोर्ट के आदेशों की अवेहलना करना पड़ा मंहगा
कोर्ट के आदेशों की अवेहलना करना पड़ा मंहगा

साथ ही उनके वेतन से सौ रुपये अर्थदंड के तौर पर काटकर न्यायालय में जमा कराने के निर्देश दिए है. बता दें कि सीओ दीपक दुबे घटना के समय अहरौरा थानाध्यक्ष के पद पर तैनात थे.

वर्तमान समय में तिर्वा सर्किल के सीओ के पद पर तैनात है. कोर्ट की ओर से बयान दर्ज कराने के लिए करीब 42 बार नोटिस भेजा गया था. कोर्ट ने 12 नवंबर तक मिर्जापुर कोर्ट में पेश कराने का आदेश दिया है.

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क्या है पूरा मामला

जानकारी के अनुसार साल 2010 में मिर्जापुर जनपद के अहरौरा थाना क्षेत्र में एक युवक की हत्या कर शव को छिपाने का मुकदमा दर्ज किया गया था. मामले की विवेचना वर्तमान समय में तिर्वा सर्किल के सीओ के पद पर तैनात व तत्कालीन थानाध्यक्ष दीपक दुबे ने की थी.

विवेचना के दौरान दीपक दुबे का स्थानांतरण दूसरे जनपद हो गया. जिसके चलते साल 2017 से कार्रवाई लंबित है.

वहीं, 2017 से 2019 तक लखनऊ में कार्यरत रहे. इस दौरान मिर्जापुर कोर्ट ने 42 बार नोटिस जारी कर बयान दर्ज कराने के लिए उपस्थित होने के आदेश दिए. लेकिन वह बयान दर्ज कराने के लिए कोर्ट नहीं पहुंचे. लखनऊ के पुलिस अधीक्षक के माध्यम से सात बार नोटिस भेजकर कोर्ट में गवाही के लिए भेजने का आदेश दिया गया था.

लेकिन एसपी ने लखनऊ कानून व्यवस्था का हवाला देते हुए बचाते रहे. 42 बार कोर्ट के आदेशों की अवेहलना करने पर अपर सत्र न्यायाधीश त्वरित प्रथम वायु नंदन ने तिर्वा सीओ दीपक दुबे को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश करने के आदेश दिए है.

साथ ही अर्थदंड के तौर पर उनके वेतन से सौ रुपए काटकर न्यायालय में जमा कराने का आदेश दिया है. कोर्ट ने 12 नवंबर तक सीओ को गिरफ्तार कर पेश कराने का आदेश दिया है. वहीं मामले में जानकारी लेने के लिए एसपी प्रशांत वर्मा से संपर्क करना चाहा तो उनसे संपर्क नहीं हो सका.

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Last Updated : Nov 2, 2021, 9:21 PM IST
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