कन्नौजः यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के तीसरे चरण में कन्नौज में भी वोटिंग होनी है. ऐसे में यहां के इत्र कारोबारियों की 34 साल पुरानी उम्मीद फिर बढ़ गई है. वह आस है कन्नौज को इंडिस्ट्रयल एरिया के रूप में विकसित करने की. यहां के व्यापारियों का कहना है कि अगर कन्नौज का औद्योगिक विकास होगा तो इससे न केवल सरकार का राजस्व बढ़ेगा बल्कि कई लोगों को रोजगार भी मिलेगा.
इत्रनगरी के नाम से प्रसिद्ध कन्नौज का गौरवशाली इतिहास रहा है. कभी राजा हर्षवर्धन की राजधानी रही कन्नौज का इत्र इस वक्त पूरी दुनिया में महक रहा है. कन्नौज में इत्र बनाने का इतिहास करीब 17वीं शताब्दी का है. जानकार बताते हैं कि इत्र बनाने का तरीका फारस के कारीगरों से मिला था. इत्र को लेकर एक कहावत प्रचलित है कि 17वीं शताब्दी में जब मुगल सम्राट जहांगीर की बेगम नूरजहां जिस कुंड में स्नान करती थीं, उसमें गुलाब की पंखुड़ियों को तोड़कर डाला जाता था. नूरजहां ने एक बार देखा कि गुलाब की पंखुड़ियां पानी में तेल छोड़ रही हैं. जिसके बाद गुलाब के फूलों से सुंगधित तेल निकालने की कवायद शुरू की गई. जिसके बाद जहांगीर ने भी सुगंध निकालने के लिए शोध को बढ़ावा दिया. यह भी कहा जाता है कि कन्नौज के कुछ लोगों ने पहली बार नूरजहां के लिए फूलों से सुगंधित तेल निकाला था. उस समय से लेकर आज तक इत्र बनाने की विधि में कोई खास बदलाव नहीं आया है.
आज भी इत्र के कारखानों में आसवन विधि से तांबे के बड़ी-बड़ी डेगों में इत्र तैयार किया जाता है. कन्नौज में मिट्टी की सुंगध का इत्र भी तैयार किया जाता है. इसका इस्तेमाल गुटखा और तंबाकू में किया जाता है. कन्नौज से यूके, यूएस, सऊदी अरब, ओमान, ईराक, ईरान समेत कई देशों में सप्लाई किया जाता है. इत्र कारोबारी मोहम्मद आलम बताते है कि कन्नौज में बनने वाला इत्र पूरी तरह से प्राकृतिक होता है. इसमें केमिकल का इस्तेमाल नहीं किया जाता.
दुनिया का सबसे महंगा इत्र भी यहीं बनाया जाता है. कन्नौज में सबसे सस्ता इत्र तैयार किया जाता है. वहीं यहां पर दुनिया का सबसे महंगा इत्र भी बनाया जाता है. अदरऊद इत्र सबसे महंगा इत्र माना जाता है. यह इत्र असम की विशेष लकड़ी आसमाकीट से बनाया जाता है. इस इत्र के एक ग्राम की कीमत 5 हजार रुपए तक है. वहीं कुछ इत्र के जानकार बताते है कि अदरऊद की बाजार में कीमत 50 लाख रुपए प्रति किलो तक होती है. वहीं गुलाब से बनने वाला इत्र भी करीब 3 लाख रुपए किलो तक में खरीदा जाता है.
कन्नौज के इत्र व्यापार पर एक नजर
- 350 से ज्यादा कारखाने
- 60 से ज्यादा देशों में होता है इत्र का व्यापार
- 30 प्रतिशत से ज्यादा कारोबार विदेशी बाजार में होता है
- 50 हजार से ज्यादा किसान फूलों की खेती से जुड़े
- 60 हजार से ज्यादा लोगों को मिलता है रोजगार
- 200 से 300 करोड़ का सालाना टर्नओवर
ये हैं प्रमुख मुद्दे
इत्र एसोसिएशन के अध्यक्ष पवन त्रिवेदी बताते हैं कि इत्र उद्योग की खास तौर पर तीन मुख्य जरूरतें है. करीब 34 साल पहले औद्योगिक एरिया का निर्माण हुआ था. अभी तक उसका विस्तार तक नहीं हुआ है. यहां पर करीब 300 छोटी बड़ी इकाइयां काम कर रहीं हैं. संकरी-संकरी गलियों में व्यापार करने को मजबूर है. यहां पर परफ्यूम पार्क प्रस्तावित है उसका जल्द से जल्द निर्माण कराया जाना चाहिए.
इत्र कारोबारी विवेक नारायण मिश्रा बताते हैं कि इत्र कारोबार से हर तीन परिवार से एक परिवार प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ा है. सरकार के सबसे ज्यादा राजस्व इत्र से ही मिलता है. बताया कि इत्र उद्योग को एक उम्मीद थी कि शायद की कुछ सालों में राहत मिले. इत्र उद्योग को सिंथेटिक उद्योग से कई दशकों से चुनौती मिल रही है. हमारे सामने अस्तिव का सवाल है. इत्र कारोबार संकट के दौर से गुजर रहा है. सरकार ने इत्र पर जीएसटी को बढ़ा दिया जिसने व्यापारियों की कमर तोड़ने का काम किया है. लोगों को उम्मीद थी कि एक उत्पाद एक जनपद में इत्र उद्योग में आया था तो शायद कुछ बदलाव आएगा. इसके लिए 11 सूत्री मांगें भी सरकार को भेजी थी. अगर सरकार हमारी मांगें मानती है तो राजस्व एक साल में दो गुना कर देगें. इत्र व्यापारी मोहम्मद आलम बताते है कि इत्र का कारोबार मंदा है. उम्मीद थी कि सरकार इत्र व्यापार के लिए काम करेगी. लेकिन सरकार ने इत्र परफ्यूम पार्क के काम को बंद करवा दिया. अगर सरकार टैक्स हो जाता तो व्यापार और बढ़ता.
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