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सावधान! इन रंगों से न खेलें होली, त्वचा को हो सकता है नुकसान

होली में रासायनिक रंगों का इस्तेमाल आप पर भारी पड़ सकता है. ये रंग त्वचा पर बहुत बुरा असर डालते हैं. साथ ही आंखों और बालों के लिए भी नुकसानदायक साबित हो सकते हैं. इसलिए इन रंगों की बजाय प्राकृतिक रंग प्रयोग करना चाहिए.

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Published : Mar 20, 2019, 5:21 PM IST

केमिकल से बने रंगों का इस्तेमाल हो सकता है घातक

कन्नौज:हर साल की तरह इस साल भी होली के मौके पर बाजार में केमिकल युक्त रंगों की भरमार देखने को मिल रही है. ये रंग कहीं होली के रंग में भंग न डाल दें, इसलिए सोच-समझ कर ही रंग खरीदें. केमिकल युक्त रंग आपकी त्वचा और आंखों के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं. डॉक्टरों के मुताबिक इन रंगों में इतने खतरनाक केमिकल होते हैं कि उनसे त्वचा, आंख, किडनी, लीवर और फेफड़ों में गंभीर इंफेक्शन होने का खतरा होता है. साथ ही त्वचा के झुलसने का खतरा भी रहता है.

केमिकल से बने रंगों का इस्तेमाल हो सकता है घातक.
कितने खतरनाक हैं यह केमिकल वाले रंग

केमिकल युक्त रंग त्वचा को काफी नुकसान पहुंचाते हैं. रंग लगने के बाद खुजली होना, दाग पड़ जाना और सूजन जैसी समस्याएं सामने आती हैं. वहीं स्किन कैंसर का खतरा भी रहता है. लोगों का मानना है कि सूखे रंग से होली खेलना अधिक सुरक्षित होता है लेकिन ऐसा नहीं है. सूखा रंग हवा में मिलकर आपके नाक और मुंह के रास्ते शरीर के अंदर पहुंच जाता है जो दमा जैसी बीमारियों को जन्म देता है. बालों में रंग लगने के बाद बाल झड़ने और डेंड्रफ जैसी कई समस्याएं भी सामने आती हैं.

खतरनाक रंगों से कैसे करें बचाव

होली पर हानिकारक केमिकल रंगों से बचने के लिए होली खेलने से पहले मुंह और बालों में क्रीम और सरसों का तेल आदि लगा लें. साथ ही पूरे शरीर को कपड़ों से अच्छी तरह ढक लें. इसके अलावा कान, नाक, आंख के आसपास वैसलीन लगा लें. ऐसा करने से हानिकारक रंग त्वचा के अंदर नहीं जा पाएंगे.रंग छुड़ाने के लिए ठंडे पानी का इस्तेमाल करें. कई बार लोग रंग छुड़ाने के लिए केरोसिन ऑइल और पेट्रोल आदि का भी इस्तेमाल करते हैं. ऐसा करने से शरीर पर दाने निकल सकते हैं. रंग छुड़ाने के लिए बेसन के पेस्ट का प्रयोग सबसे बेहतर उपाय है.

कैसे बनाएं प्राकृतिक रंग

घर में ही नेचुरल कलर बनाकर होली का पूरा आनंद लिया जा सकता है. हल्दी, चंदन, फूलों और सब्जियों की मदद से प्राकृतिक रंग तैयार किेए जा सकते हैं. लाल रंग के चंदन और अनार के छिलके को उबालकर लाल रंग बनाया जा सकता है. चुकंदर की जड़ से नीला रंग तैयार किया जा सकता है. वहीं हल्दी को चावल या आटे में मिला कर पीला रंग बनाया जा सकता है. इसके अलावा हरा रंग तैयार करने के लिए पालक, हरा धनिया और हरे गेहूं को पीसकर मेहंदी के आटे का इस्तेमाल किया जाता है.

कन्नौज:हर साल की तरह इस साल भी होली के मौके पर बाजार में केमिकल युक्त रंगों की भरमार देखने को मिल रही है. ये रंग कहीं होली के रंग में भंग न डाल दें, इसलिए सोच-समझ कर ही रंग खरीदें. केमिकल युक्त रंग आपकी त्वचा और आंखों के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं. डॉक्टरों के मुताबिक इन रंगों में इतने खतरनाक केमिकल होते हैं कि उनसे त्वचा, आंख, किडनी, लीवर और फेफड़ों में गंभीर इंफेक्शन होने का खतरा होता है. साथ ही त्वचा के झुलसने का खतरा भी रहता है.

केमिकल से बने रंगों का इस्तेमाल हो सकता है घातक.
कितने खतरनाक हैं यह केमिकल वाले रंग

केमिकल युक्त रंग त्वचा को काफी नुकसान पहुंचाते हैं. रंग लगने के बाद खुजली होना, दाग पड़ जाना और सूजन जैसी समस्याएं सामने आती हैं. वहीं स्किन कैंसर का खतरा भी रहता है. लोगों का मानना है कि सूखे रंग से होली खेलना अधिक सुरक्षित होता है लेकिन ऐसा नहीं है. सूखा रंग हवा में मिलकर आपके नाक और मुंह के रास्ते शरीर के अंदर पहुंच जाता है जो दमा जैसी बीमारियों को जन्म देता है. बालों में रंग लगने के बाद बाल झड़ने और डेंड्रफ जैसी कई समस्याएं भी सामने आती हैं.

खतरनाक रंगों से कैसे करें बचाव

होली पर हानिकारक केमिकल रंगों से बचने के लिए होली खेलने से पहले मुंह और बालों में क्रीम और सरसों का तेल आदि लगा लें. साथ ही पूरे शरीर को कपड़ों से अच्छी तरह ढक लें. इसके अलावा कान, नाक, आंख के आसपास वैसलीन लगा लें. ऐसा करने से हानिकारक रंग त्वचा के अंदर नहीं जा पाएंगे.रंग छुड़ाने के लिए ठंडे पानी का इस्तेमाल करें. कई बार लोग रंग छुड़ाने के लिए केरोसिन ऑइल और पेट्रोल आदि का भी इस्तेमाल करते हैं. ऐसा करने से शरीर पर दाने निकल सकते हैं. रंग छुड़ाने के लिए बेसन के पेस्ट का प्रयोग सबसे बेहतर उपाय है.

कैसे बनाएं प्राकृतिक रंग

घर में ही नेचुरल कलर बनाकर होली का पूरा आनंद लिया जा सकता है. हल्दी, चंदन, फूलों और सब्जियों की मदद से प्राकृतिक रंग तैयार किेए जा सकते हैं. लाल रंग के चंदन और अनार के छिलके को उबालकर लाल रंग बनाया जा सकता है. चुकंदर की जड़ से नीला रंग तैयार किया जा सकता है. वहीं हल्दी को चावल या आटे में मिला कर पीला रंग बनाया जा सकता है. इसके अलावा हरा रंग तैयार करने के लिए पालक, हरा धनिया और हरे गेहूं को पीसकर मेहंदी के आटे का इस्तेमाल किया जाता है.
Intro:सावधान : इन रंगों से ना खेले होली, केमिकल युक्त रंग आपकी त्वचा को पहुंचा सकता है नुकसान

होली में बाजार में बिकने वाले केमिकल युक्त रंग आपकी त्वचा को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा सकते हैं। खासकर मुंह में लगाने वाला सफेदा सबसे घातक रंग है। इससे त्वचा का कैंसर भी हो सकता है। होली पर केमिकल युक्त रंगो से परहेज करना चाहिए और हर्बल वास्तु के रंगों से होली खेलें । जिससे त्वचा सुरक्षित रहेगी ।आखिर कितने खतरनाक हैं यह केमिकल युक्त रंग देखे कन्नौज से स्पेशल रिपोर्ट।


Body:होली के त्यौहार में रंगों से खेलना हर किसी को अच्छा लगता है। मगर कई बार यह रंग आपकी त्वचा बाल या आंखों को नुकसान भी पहुंचा देते हैं । हर साल की तरह इस साल भी होली के मौके पर बाजारों में केमिकल युक्त रंगों की भरमार देखने को मिल रही है । जो त्वचा और आंखों के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। होली यानी रंगो का त्यौहार लेकिन होली के रंग कहीं ना कहीं रंग में भंग ना डाल दे जो खतरनाक केमिकल के जरिए तैयार किए गए है। लेकिन यदि आपने अभी तक रंग व गुलाल नहीं खरीदे हैं तो सोच समझ कर ही रंग खरीदें , क्योंकि केमिकल युक्त रंग आपकी त्वचा और आंखों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। चिकित्सकों का साफ कहना है कि रंगों में इतने खतरनाक केमिकल होते हैं कि उनसे त्वचा , आंख, किडनी, लीवर व फेफड़ों में गंभीर इंफेक्शन होने का खतरा होता है । इन रंगों के प्रयोग से त्वचा के झुलसने का खतरा भी बना रहता है । हरे, काले नारंगी, सफेद आदि रंगों में पारा, क्रोमियम आयोडाइड, कांच के महीन टुकड़े आदि मिलाए जाते हैं । यह रसायनिक तत्व सीधे-सीधे किडनी, लीवर और फेफड़ों के गंभीर इंफेक्शन के लिए जिम्मेदार होते हैं। बाजार में इस समय ऐसे ही केमिकल रंग ज्यादातर दुकानों पर बिक्री किए जा रहे हैं । सबसे अधिक बिक्री केमिकल रंगों की ही हो रही है । हम अपने आप को रंग खेलने से रोक नहीं पाते हैं । जिससे सभी प्रकार के रंग हमारे शरीर के संपर्क में आते हैं। जो हमारे शरीर को काफी नुकसान पहुंचा सकते हैं । होली खेलने के बाद हम इसे गंभीरता से नहीं लेते तो आगे चलकर यह खतरनाक साबित हो सकते हैं । केमिकल से बने रंगों से शरीर को अधिक नुकसान पहुंचता है।

कौन-कौन से और कितने खतरनाक हैं यह केमिकल वाले रंग

लाल रंग में मरकरी सल्फाइड और सिल्वर कलर में एलमुनियम ब्रोमाइड केमिकल मिलाकर तैयार किया जाता है । हरे रंग के लिए कॉपर सल्फेट डाई का इस्तेमाल किया जाता है, इसके कारण अंधापन होने का खतरा होता है, जबकि नीला रंग बनाने के लिए पर्शियन डाई का इस्तेमाल की जाती है , जो स्किन एलर्जी पैदा कर सकते हैं । यह दोनों ही स्किन कैंसर का कारण भी बन सकते हैं । होली खेलते समय आंखों के अंदर रंग जाने का सबसे अधिक खतरा रहता है । आंखों में रंग जाने से जलन होना और लाल होना तो सामान्य बात है । इसके अलावा केमिकल से बने रंगों के अंदर जाने से रोशनी भी जा सकती है । केमिकल युक्त रंग त्वचा को काफी नुकसान पहुंचाते हैं । रंग लगने के बाद खुजली पड़ना, दाग पड़ जाना और सूजन पर जाना जैसी समस्याएं सामने आती हैं। वही स्किन कैंसर का खतरा भी बना रहता है। लोगों का मानना है कि सूखे रंग से होली खेलना अधिक सुरक्षित होता है , लेकिन ऐसा नहीं होता है सूखा रंग हवा में मिलकर आपके नाक और मुंह के अंदर जाकर शरीर के अंदर पहुंच जाता है । जो की दमा और सांस जैसी बीमारियों को जन्म देता है । बाजार में बिक रहे केमिकल से बने रंग वाले लोगों को प्रभावित करते हैं । बालों में रंग लगने के बाद बाल झड़ने और डेंड्रफ जैसी कई समस्याएं भी सामने आती हैं।

यह है केमिकल युक्त हानिकारक रंग

काला - (पारा) लेड ऑक्साइड --- मानसिक अपंगता

नारंगी - कोमियम आयोडाइड

पीला - ओरेमाइन (अमोनियम) --- अस्थमा कैंसर

हरा - कॉपर सल्फेट --- त्वचा में एलर्जी

बैंगनी - क्रोमियम --- अस्थमा एलर्जी

लाल - मरकरी (पारा) --- त्वचा का कैंसर

नीला - कोबाल्ट नाइट्रेट --- अस्थमा कैंसर

सफेदा - सिल्वर नाइट्रेट सोराइसिस --- कैंसर


Conclusion:खतरनाक रंगों से कैसे करें बचाव

होली पर हानिकारक केमिकल रंगो से बचने के लिए होली खेलने से पहले मुंह पर सरसों का तेल और क्रीम आदि लगा ले। इसी तरह से बालों को भी अच्छी तरह से सरसों का तेल लगा ले। साथ ही पूरे शरीर को कपड़ों से अच्छी तरह ढक लें। ध्यान रखें रंगो को छुड़ाने के लिए केरोसिन का कतई इस्तेमाल ना करें । आंखों और स्किन में जलन महसूस होने पर तुरंत रंगो को साफ पानी से धो दें। होली में इस्तेमाल होने वाले रंगों में मेटल ऑक्साइड मिला होता है, जो बालों को नुकसान पहुंचाता है । इसलिए रंग खेलने से पहले बालों पर नारियल या सरसों का तेल अच्छे से जरूर लगा लें। होली में रंग खेलने से पहले पूरे शरीर पर सरसों का तेल लगाने से खतरनाक और घातक रंग ज्यादा तेल शरीर पर नहीं टिकेगा। इसके अलावा कान, नाक, आंख के आसपास वैसलीन लगा ले। ऐसा करने से हानिकारक रंग त्वचा के अंदर नहीं जा पाएंगे । होली में लगे रंग को उतारने के लिए लोग अक्सर गर्म पानी का इस्तेमाल करते हैं , जबकि इससे तो रंग और ज्यादा पक्का हो जाता है। इसके अलावा स्किन भी सूख जाती है। इसलिए हमेशा रंग छुड़ाने के लिए ठंडे पानी का इस्तेमाल करें । कई बार लोग रंग छुड़ाने के लिए केरोसिन आयल, पेट्रोल आदि का भी इस्तेमाल करते हैं , ऐसा करने से शरीर पर दाने निकल सकते हैं। रंग छुड़ाने के लिए घर में बना बेसन का पेस्ट का प्रयोग सबसे बेहतर उपाय है । आमतौर पर होली में तीन तरह के रंग बाजार में आते हैं इनमें केमिकल वाले रंग, शीशे मिले चमकीले रंग, और प्राकृतिक रंग शामिल होते हैं । केमिकल वाले रंग थोड़े सस्ते होने के चलते इनकी बिक्री अधिक होती है जो स्किन के लिए यह रंग बेहद खतरनाक होते हैं । और यह व्यक्ति को अंधा तक बना सकते हैं। जहां तक संभव हो आंखों को हर तरह के रंग से बचाएं। होली में ज्यादातर प्राकृतिक रंगों को घर पर ही बनाएं । केमिकल युक्त रंग से स्किन ड्राई हो जाती है और फटने लगती है यह बाद में एलर्जी का विकराल रूप रूप ले लेती है इसके कारण हमारे फेस और बॉडी पर दाने हो जाते हैं साथ ही इससे कैंसर भी हो सकता है।

हर्बल रंगों से खेले होली, कैसे बनाएं नेचुरल कलर

ज्यादातर बुजुर्ग और डॉक्टर हर्बल रंगों से होली खेलने की सलाह देते हैं । अगर कृतिम रंगों की बात की जाए तो हर रंग में खतरनाक केमिकल का समावेश है । इससे बचाव का आसान तरीका यही है कि लोग हर्बल रंग से होली खेले । घर में ही नेचुरल कलर बनाकर होली का पूरा आनंद ले । इसके लिए घरों में मेहंदी हल्दी आदि प्राकृतिक वस्तुओं से रंग तैयार कर के होली खेली जाए। यह नुकसानदायक बिल्कुल नहीं होंगे । प्राकृतिक रंगों को हल्दी, चंदन, फूलों और सब्जियों की मदद से तैयार किया जा सकता है । लाल रंग को लाल रंग के चंदन से अनार के छिलके को उबालकर बनाया जा सकता है तथा नीले रंग को चुकंदर की जड़ से तैयार किया जा सकता है। वहीं पीला रंग हल्दी को चावल या आटे में मिला कर बनाया जा सकता है । साथ ही गेंदे के फूल से भी रंग तैयार किया जा सकता है । हरा रंग तैयार करने के लिए पालक , हरा धनिया और हरी गेहूं को पीसकर मेहंदी को आटे में मिला कर भी तैयार किया जा सकता है । यह प्राकृतिक रंग आपको हर मुसीबत से बचाएंगे और होली का पूरा आनंद प्रदान करेंगे।

बाइट - राजू - दुकानदार

बाइट - अरुण कुमार तिवारी - गणमान्य नागरिक/ व्यापारी

बाइट - डॉ वी0के0 शुक्ला ( ई0एम0ओ0 ) जिला अस्पताल कन्नौज

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कन्नौज से पंकज श्रीवास्तव
94 15 16 8969
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