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झांसी: यहां कई दशक से पेयजल संकट से जूझ रहे हैं लोग, वर्षों से खरीद कर पी रहे हैं पानी

झांसी मुख्यालय से 13 किमी दूर रक्सा कस्बे के लोग अब भी पानी की संकट से जूझ रहे हैं. यहां पानी की टंकियां बनाई गई, लेकिन सब दिखावे के हैं. वहीं अब भी यहां के लोग पानी खरीद कर पीते हैं.

पेयजल संकट से जूझ रहे हैं लोग.
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Published : Jun 23, 2019, 11:17 AM IST

झांसी: बुंदेलखंड में पेयजल संकट दूर करने के सरकारी दावों की पोल खुलती दिखाई दे रही है. झांसी के रक्सा कस्बे के लोग पिछले कई दशक से पीने के पानी का संकट झेल रहे हैं. यहां पानी उपलब्ध कराने के लिए कई योजनाएं बनाई गई हैं, लेकिन अब भी यहां लोगों को पीने के लिए पानी खरीदना पड़ता है.

पेयजल संकट से जूझ रहे हैं लोग.
  • जनपद मुख्यालय से मात्र 13 किमी की दूरी पर रक्सा कस्बे के लोग पानी के संकट झेल रहे हैं.
  • रक्सा की रहने वाली नीलेश बताती हैं कि पानी दूर से लाना पड़ता है.
  • महीना भर में कभी-कभी पानी आ जाता है. जो आता है वह पीने वाला नहीं होता है.
  • पीने के लिए पानी खरीदना पड़ता है.
  • जितेन्द्र बताते हैं कि यहां दो-दो टंकी बनी है, लेकिन बस दिखाने को है.
  • दो किलोमीटर दूर से पानी लाना पड़ता है.
  • प्राइवेट टैंकर वाले एक रुपये में दस लीटर पानी देते हैं।

पहुज डैम से फिल्टरेशन प्लांट के माध्यम से उस क्षेत्र में जलापूर्ति की जाती है. मैंने स्वयं वहां जाकर जांच की है. वहां पेय योग्य पानी की जलापूर्ति हो रही है. जहां कहीं समस्या होगी, जांच कराकर समस्या का समाधान करेंगे.
-कुलदीप सिंह, अधिशासी अभियंता, जल संस्थान

झांसी: बुंदेलखंड में पेयजल संकट दूर करने के सरकारी दावों की पोल खुलती दिखाई दे रही है. झांसी के रक्सा कस्बे के लोग पिछले कई दशक से पीने के पानी का संकट झेल रहे हैं. यहां पानी उपलब्ध कराने के लिए कई योजनाएं बनाई गई हैं, लेकिन अब भी यहां लोगों को पीने के लिए पानी खरीदना पड़ता है.

पेयजल संकट से जूझ रहे हैं लोग.
  • जनपद मुख्यालय से मात्र 13 किमी की दूरी पर रक्सा कस्बे के लोग पानी के संकट झेल रहे हैं.
  • रक्सा की रहने वाली नीलेश बताती हैं कि पानी दूर से लाना पड़ता है.
  • महीना भर में कभी-कभी पानी आ जाता है. जो आता है वह पीने वाला नहीं होता है.
  • पीने के लिए पानी खरीदना पड़ता है.
  • जितेन्द्र बताते हैं कि यहां दो-दो टंकी बनी है, लेकिन बस दिखाने को है.
  • दो किलोमीटर दूर से पानी लाना पड़ता है.
  • प्राइवेट टैंकर वाले एक रुपये में दस लीटर पानी देते हैं।

पहुज डैम से फिल्टरेशन प्लांट के माध्यम से उस क्षेत्र में जलापूर्ति की जाती है. मैंने स्वयं वहां जाकर जांच की है. वहां पेय योग्य पानी की जलापूर्ति हो रही है. जहां कहीं समस्या होगी, जांच कराकर समस्या का समाधान करेंगे.
-कुलदीप सिंह, अधिशासी अभियंता, जल संस्थान

Intro:झांसी. बुन्देलखण्ड का पेयजल संकट दूर करने के सरकारी दावों की पोल खुलती दिखाई देती है झांसी के रक्सा कस्बे में। जनपद मुख्यालय से मात्र 13 किमी की दूरी पर स्थित इस जगह के लोग पिछले कई दशक से पीने के पानी का संकट झेल रहे हैं। यहां पानी उपलब्ध कराने के लिए कई योजनाएं बनाई गई हैं लेकिन आलम यह है कि यहां लोगों को पीने के लिए पानी खरीदना पड़ता है। रक्सा क्षेत्र के कुछ हिस्सों में ग्रामीण और कुछ हिस्सों में नगरीय योजना के तहत पानी उपलब्ध कराने के दावे किए जाते हैं।


Body:रक्सा की रहने वाली नीलेश बताती हैं कि पानी दूर से लाना पड़ता है। महीना भर में कभी-कभी पानी आ जाता है। जो आता है, वह पीने वाला नहीं होता है। पीने के लिये पानी खरीदना पड़ता है। एक दिन के लिये पचास रुपये का पानी खरीदना पड़ता है।

जीतेन्द्र बताते हैं कि यहां दो-दो टँकी बनी है लेकिन बस दिखाने को है। दो किलोमीटर दूर से पानी साइकिल से लाना पड़ता है। प्राइवेट टैंकर वाले एक रुपये में दस लीटर पानी देते हैं।


Conclusion:जल संस्थान के अधिशाषी अभियंता कुलदीप सिंह बताते हैं कि पहूज डैम से फिल्टरेशन प्लांट के माध्यम से उस क्षेत्र में जलापूर्ति की जाती है। मैंने स्वयं वहां जाकर जांच की है। वहां पेय योग्य पानी की जलापूर्ति हो रही है। जहां कहीं समस्या होगी, जांच कराकर समस्या का समाधान करेंगे।

बाइट - नीलेश - स्थानीय निवासी
बाइट - जीतेन्द्र - स्थानीय निवासी
बाइट - कुलदीप सिंह - अधिशासी अभियंता, जल संस्थान
पीटीसी

लक्ष्मी नारायण शर्मा
झांसी
9454013045
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