झांसी: जिले में अक्षयवर की अध्यक्षता में एक बैठक आयोजित की गई. बैठक में एसडीएम मोंठ, तहसीलदार मोंठ, सीओ मोंठ संग्राम सिंह, उप निदेशक कृषि कमल कटियार, जिला कृषि अधिकारी केके सिंह के साथ ही जिला प्रदूषण अधिकारी शामिल हुए. बैठक में पराली से फैल रहे प्रदूषण पर चर्चा की गई. बैठक में एडीएम ने लेखपाल, कृषि और पुलिस विभाग की संयुक्त टीम बनाकर पराली जलाने वालों पर कार्रवाई करने के सख्त निर्देश दिए.
एसडीएम ने पुलिस के 112 सचल वाहन को सक्रिय करने और थानों को निगरानी बढ़ाने को कहा. वहीं खण्ड विकास अधिकारियों को भी कर्मचारियों के माध्यम से पराली जलाने वालों पर कार्रवाई के निर्देश दिए.
क्यों जलाई जाती है पराली...
धान के खेत काटे जाने के बाद उसके अवशेष खेत में ही पड़े रह जाते हैं. मजदूरी बचाने की खातिर अमूमन किसान पराली खेत में जला देते हैं. पराली जलाने के बाद धुएं से बढ़ रहे प्रदूषण को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश सरकार को कड़े कदम उठाने के निर्देश दिए. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद सेटेलाइट के जरिए निगरानी शुरू की गई. लखनऊ स्थित कृषि विभाग के मॉनिटरिंग सेंटर की रिपोर्ट चौंकाने वाली है. एक अक्तूबर से 11 नवंबर के बीच झांसी में कुल 46 स्थानों पर पराली जलाने की तस्वीरें सामने आईं हैं, जबकि पिछले वर्ष झांसी में पराली जलाने के महज दो मामले ही सामने आए थे.
पराली जलाने के मामले
बता दें, सेटेलाइट माध्यम से प्राप्त तस्वीरों के आधार पर तैयार रिपोर्ट में पराली जलाने के झांसी में 46 मामले सामने आए. ललितपुर में 5, हमीरपुर में 13 एवं महोबा में 7 मामले पाए गए, जबकि पीलीभीत में 299, रामपुर में 278, मथुरा में 441, खीरी में 126, महाराजगंज में 103 मामले सामने आए. झांसी में बढ़ती संख्या के बाद अधिकारियों ने पराली जलाने वालों पर कार्रवाई शुरू की है. कृषि उपनिदेशक कमल कटियार के मुताबिक बुधवार तक 23 आरोपी किसानों को नोटिस जारी किया गया है.